नई दिल्ली: लंबे इंतजार के बाद दिल्ली के 13 टोल एंट्रीज पर RFID सिस्टम लागू हो चुका है. इस सिस्टम के तहत दिल्ली में आने वाले कमर्शियल वाहनों से RFID टैग की मदद से टोल कलेक्ट किया जाएगा. बिना इस टैग के वाहनों की एंट्री नहीं हो पाएगी. उपराज्यपाल अनिल बैजल ने इस सिस्टम का आज उद्घाटन किया है.
सोमवार को उपराज्यपाल अनिल बैजल ने एनवायरनमेंट एंड पॉल्युशन कंट्रोल कमेटी (EPCA) चीफ भूरेलाल और मेंबर सुनीता नारायण के साथ मिलकर इस पूरे सिस्टम को प्रेजेंटेशन के जरिए समझा और इसका औपचारिक उद्घाटन किया. मौके पर दक्षिणी और उत्तरी दिल्ली नगर निगम की आयुक्त वर्षा जोशी समेत कई नेताओं और अधिकारियों ने शिरकत की.
'सुनिश्चित करेंगे कि प्रयासों में कोई बाधा नहीं आए'
उपराज्यपाल अनिल बैजल ने अपने संबोधन में कहा कि ये दिल्ली की प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए एक कारगर कदम हो सकता है. उन्होंने कहा कि वो इसके लिए निगम अधिकारियों को बधाई देना चाहते हैं. साथ ही अपील करना चाहते हैं कि दिल्ली की बेहतरी के लिए प्रयास करते रहें क्योंकि वो ये सुनिश्चित करेंगे कि इन प्रयासों में कोई बाधा नहीं आ रही है.
'लंबे जाम की समस्या से मिलेगी निजात'
EPCA चीफ भूरेलाल ने कहा कि इस सिस्टम से दिल्ली की प्रदूषण और लंबे जाम की समस्या से राहत मिलेगी. आज दिल्ली में 1 करोड़ से ज्यादा गाड़ियां हैं.
इससे अलग अन्य राज्यों से भी दिल्ली में रोजाना गाड़ियां आती हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली के प्रदूषण का एक बड़ा हिस्सा यहां आने वाले ट्रक और अन्य कमर्शियल वाहनों के चलते होता है. RFID सिस्टम से इसमें बहुत फर्क पड़ेगा.
'कैमरों की मदद से ऑटोमेटिक होगा'
साउथ एमसीडी के एडिशनल कमिश्नर रणधीर सहाय ने पूरे सिस्टम को समझाते हुए बताया कि साउथ एमसीडी को इस काम की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. सिस्टम के तहत जो भी कमर्शियल वाहन दिल्ली में एंट्री लेना चाहते हैं. उन्हें 218 रुपये का एक टैग लेना होगा.
निगम के लोग उसकी सारी जानकारी फीड कर लेंगे. अब जब भी वो एंट्री करेंगे उन्हें अपने टैग में पहले से टॉपअप हुए पैसे से ये एंट्री मिलेगी. इस प्रक्रिया में उन्हें रुकने की जरूरत नहीं होगी बल्कि ये कैमरों की मदद से ऑटोमेटिक होगा.
'10 लाख गाड़ियों को टैग दिए जाने की प्लानिंग'
सहाय ने बताया कि टैग लगाने की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है. टॉल प्लाजा से पहले खड़े निगम के मोबाइल वैन के जरिए ये टैग खरीदा जा सकता है. उन्होंने कहा कि अभी तक 40 हजार गाड़ियों को ये दिया जा चुका है.
10 लाख गाड़ियों को टैग दिए जाने की प्लानिंग है. सहाय ने साफ किया कि अभी इसमें 1 महीने का समय दिया जा रहा है. जिन लोगों को इसकी जानकारी नहीं है या जो अभी तक टैग नहीं ले पाए हैं. वो कैश देकर भी एंट्री कर पाएंगे. हालांकि 1 महीने बाद ये सख्ती से लागू कर दिया जाएगा.
'10 साल पुरानी गाड़ियों के लिए बैरियर नहीं खुलेगा'
सिस्टम के तहत दिल्ली में 10 साल पुरानी कमर्शियल वाहनों के प्रवेश पर पूरी तरह रोक लग जाएगी. टोल प्लाजा पर लगे सेंसर 10 साल पुरानी गाड़ियों को पहचान कर उनके लिए बैरियर नहीं खोलेंगे.
इस सिस्टम से टैक्स कलेक्ट करने के लिए लगने वाले औसतन 15-16 सेकेंड घटकर 3-4 तक रह जाएंगे. जिससे लंबी-लंबी लाइनें नहीं लगेंगी. इसी वजह से प्रदूषण की समस्या से राहत मिलने की बात कही जा रही है.