नई दिल्ली : आज यानी बुधवार को प्रदोष व्रत है. बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है. प्रदोष व्रत पर भगवान शिव का पूजन किया जाता है. ये व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. इस व्रत को बेहद फलदायी माना गया है. इस व्रत को रखने से भगवान शिव के साथ मां पार्वती का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. कहा जाता है कि प्रदोष व्रत का दिन शिव भक्तों के लिए सबसे शुभ और पवित्र दिनों में से एक है. इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है. प्रदोष व्रत हर महीने में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 07 जुलाई से शुरू होकर 08 जुलाई की सुबह 03 बजकर 20 मिनट तक रहेगी. इसके बाद चतुर्दशी तिथि लग जाएगी. कहा जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में करनी चाहिए. प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल कहा जाता है.
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती की पूजा का विधान है. मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से पाप तो मिटते ही है साथ ही मोक्ष भी प्राप्त होता है. प्रदोष व्रत सौभाग्य और दाम्पत्य जीवन की सुख-शान्ति और समृद्धि के लिए रखा जाता है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने देवताओं को बचाने के लिए असुरों और दानवों को हराया था.
- प्रदोष व्रत करने के लिए व्रती को त्रयोदशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए.
- स्नानकर भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए.
- इस व्रत में भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है.
- गुस्सा या विवाद से बचकर रहना चाहिए.
- प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
- इस दिन सूर्यास्त से एक घंटा पहले नहाकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए.
- प्रदोष व्रत की पूजा में कुशा के आसन का प्रयोग करना चाहिए.
बुध प्रदोष व्रत 2021 पूजा मुहूर्त
07 जुलाई को प्रदोष व्रत के लिए पूजा का मुहूर्त 02 घंटा 01 मिनट है. इस अवधि में ही आपको भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी होगी. बुधवार के दिन शाम को 07 बजकर 23 मिनट से रात 09 बजकर 24 मिनट तक प्रदोष व्रत की पूजा कर सकते हैं. इस समय काल में भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाएगी.