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दिल्ली हिंसा के दौरान दुकान में लूटपाट और आगजनी के आरोपी को जमानत मिली

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Published : Nov 18, 2020, 9:34 AM IST

कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के दौरान दुकानों में तोड़फोड़ और आगजनी के एक मामले के आरोपी को जमानत दे दी है.

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कड़कड़डूमा कोर्ट

नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के दौरान दुकानों में तोड़फोड़ और आगजनी के एक मामले के आरोपी को जमानत दे दी है. एडिशनल सेशन जज अमिताभ रावत ने कहा की गवाहों के बयान में काफी अंतर है और आरोपी के खिलाफ कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं है.

कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के आरोपी को जमानत दी

सुनवाई के दौरान आरोपी अजय की ओर से वकील आरती गुप्ता ने कहा की इस मामले में 28 फरवरी को एफआईआर दर्ज की गई, जबकि घटना 25 फरवरी की है. एफआईआर दर्ज करने के बाद धारा 436 जोड़ी गई है. आरती गुप्ता ने कहा कि आरोपी 21 साल का है और अपने परिवार का एकलौता कमाऊ सदस्य है. वह 11वीं कक्षा में पढ़ता है और पैसे कमाने के लिए इलाके के बच्चों को पढ़ाता है. उसके पिताजी मिल गई और हार्ट की बीमारी से पीड़ित है. उसके मां और पिता की देखभाल करने वाला परिवार में कोई नहीं है.

उन्होंने कहा कि 25 फरवरी को दिल्ली हिंसा के दौरान ज्योति नगर थाने में कई एफआईआर दर्ज किए गए. इन एफआईआर में एक आरोपी की एक ही समय में कई जगह पर है. उपस्थिति दिखाई गई है. उन्होंने कहा की गवाह असलम ने अजय के खिलाफ कई मामलों में गवाही दी है जब की घटनाएं अलग-अलग स्थानों की है। इस मामले में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और ऐसी स्थिति में आरोपी को हिरासत में रखने की कोई जरूरत नहीं है. इस मामले के दो आरोपी सूरज और योगेंदर को जमानत मिल चुकी है. आरोपी के खिलाफ न तो कोई सीसीटीवी फुटेज है और न ही कोई स्वतंत्र गवाह है.


दिल्ली पुलिस ने किया जमानत का विरोध

आरोपी की जमानत का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस की ओर से वकील राजीव कृष्ण शर्मा ने कहा की वर्तमान के शिकायतकर्ता गुलफाम की शिकायत पर दर्ज की गई है. गुलफाम ने अपनी शिकायत में कहा है की 25 फरवरी को कुछ अज्ञात लोगों ने मेन वजीराबाद रोड पर उसके ऑटो इलेक्ट्रिकल शॉप में लूटपाट की और आग लगा दिया किससे उसकी दुकान में रखे सभी इलेक्ट्रिकल सामान जलकर राख हो गए. इस मामले में दो आरोपी अजय और गौरव पंचाल को गिरफ्तार किया गया. अजय ने आरोपी के बारे में बयान दिया की घटना में आरोपी की भी संलिप्तता थी. इस मामले में गवाह असलम और हेड कांस्टेबल रविंदर ने आरोपी की पहचान की.



गवाहों के बयान में काफी अंतर है

कोर्ट ने कहा की शिकायतकर्ता ने अपने बयान में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ शिकायत की है. शिकायतकर्ता इस घटना का चश्मदीद गवाह नहीं है और एफआईआर घटना के 3 दिन बाद दर्ज की गई है जिसके बारे में पुलिस ने कोई सफाई नहीं दी है. इस घटना के बारे में आरोपी के खिलाफ कोई सीसीटीवी फुटेज भी नहीं है. कोर्ट ने पाया कि गवाहों के बयान में भी काफी अंतर है. उसके बाद कोर्ट ने आरोपी को बीस हजार रूपये के मुचलके पर जमानत देने का आदेश दिया.

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