नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान एक आटो चालक की हत्या के मामले में आरोपी की दूसरी जमानत याचिका खारिज कर दी है. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने कहा कि आरोपी को दूसरे सह-आरोपियों की तरह जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उसे चश्मदीद गवाहों ने पहचाना है जबकि सह-आरोपियों को नहीं.
पुलिसकर्मियों के बयान प्रमाणिक नहीं
आरोपी कुलदीप सिंह की और से वकील मनीष भदौरिया का कहना है कि आरोपी की उम्र 28 साल है और वह अपने परिवार का एकलौता कमाऊ सदस्य है. उसके परिवार में उसकी पत्नी, उसकी दो साल की बच्ची, दो अविवाहित बहनें और बुजुर्ग मां-पिता हैं, उसे झूठे तरीके से फंसाया गया है. भदौरिया ने कहा कि आरोपी पिछले 30 मार्च से न्यायिक हिरासत में है. उसका एफआईआर में नाम नहीं है.
आरोपी को सह-आरोपियों के बयान के बाद गिरफ्तार किया गया था. उसे सीसीटीवी फुटेज में नहीं देखा गया है. उन्होंने कहा कि कॉन्स्टेबल अमित, भूपेंद्र और हेड-कॉन्स्टेबल अनिल के बयानों को प्रमाणिक नहीं माना जा सकता है. जिन्होंने आरोपी की पहचान की है. उन्होंने कहा कि एफआईआर घटना के काफी दिनों के बाद दर्ज की गई और इन पुलिसकर्मियों ने सौ नंबर की कॉल या डीडी एंट्री का कोई उल्लेख नहीं किया है.
स्वतंत्र गवाहों ने पहचान की
दिल्ली पुलिस की और से वकील नरेश कुमार गौड़ ने कहा कि ये मामला एक निर्दोष आटो चालक बब्बू की हत्या का है. बब्बू की हत्या का वीडियो बीबीसी ने चलाया था और इस मामले के जांच अधिकारी ने बीबीसी से फुटेज की मांग की है. उन्होंने कहा कि आरोपी उसी इलाके में रहता है, जहां स्वतंत्र गवाह रहते हैं. ऐसे में इस बात की आशंका है कि अगर उसे रिहा किया गया, तो वो गवाहों को धमका सकता है.
गौड़ ने कहा कि आरोपी की ये दूसरी जमानत याचिका है. उसकी पहली जमानत याचिका 10 जुलाई को खारिज की गई थी और उसके बाद से स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है. उन्होंने कहा कि आरोपी को स्वतंत्र गवाह मुन्ना ने पिछले 18 मई को पहचान की थी. गवाह ने कहा था कि आरोपी दंगाइयों की भीड़ में शामिल था और उसने मृतक आटो चालक की लाठी-डंडों से जमकर पिटाई की थी. आरोपी की पहचान मुन्ना के अलावा इमरान नामक दूसरे गवाह ने भी की थी. आरोपी ने पहचान परेड में शामिल होने से इंकार कर दिया था.