नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने जंतर मंतर पर धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ नारा लगाने के आरोपी प्रीत सिंह को जमानत दे दी है. जस्टिस मुक्ता गुप्ता की बेंच ने जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.
15 सितंबर को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान प्रीत सिंह की तरफ से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि इस मामले के मुख्य आरोपी को जमानत मिल चुकी है. उन्होंने कहा था कि आरोपी ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए के तहत कोई अपराध नहीं किया है. यहां तक कि स्टेटस रिपोर्ट में भी उसका जिक्र नहीं है.
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से वकील तरंग श्रीवास्तव ने कहा था कि ट्रांसक्रिप्ट और वीडियो में साफ है कि आरोपी एक खास धर्म के लोगों के खिलाफ नारे लगा रहा था, जिस आरोपी को जमानत मिली है उसके खिलाफ कोई वीडियो फुटेज नहीं मिला. श्रीवास्तव ने इस मामले के सह-आरोपी उत्तम उपाध्याय की ओर से लगाए गए नारे का जिक्र किया था. उन्होंने एक और सह आरोपी विनीत की ओर से फेसबुक की गई लाईव वीडियो का जिक्र किया.
उन्होंने कहा था कि ये नारे इतने भड़काऊ हैं कि मैं उन्हें पढ़ना नहीं चाहता हूं. उन्होंने प्रीत सिंह और सह आरोपी पिंकी चौधरी के इंटरव्यू का हवाला दिया. तब कोर्ट ने पूछा था कि क्या इस मामले में किसी को जमानत मिली हुई है. तब श्रीवास्तव ने कहा था कि अश्विनी उपाध्याय को जमानत मिली है, उन्हें जमानत इसलिए मिली क्योंकि उनके खिलाफ कोई वीडियो फुटेज सबूत के तौर पर नहीं था, लेकिन प्रीत सिंह और पिंकी चौधरी ने इंटरव्यू दिए थे जिसका वीडियो मौजूद है. इनके अलावा दीपक सिंह ने भी इंटरव्यू दिया था. तब कोर्ट ने पूछा था कि क्या चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. तब श्रीवास्तव ने कहा था कि अभी जांच चल रही है.
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3 सितंबर को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट ने 28 अगस्त को प्रीत सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दिया था. एडिशनल सेशंस जज अनिल अंतिल ने कहा था कि देश का संविधान एक जगह एकत्र होकर अपनी राय रखने की स्वतंत्रता का अधिकार देता है, लेकिन इस अधिकार का उपयोग प्रतिबंधों के साथ किया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा था कि आरोपी प्रीत सिंह को दूसरे आरोपियों के साथ साफ-साफ देखा जा सकता है कि उसने भड़काऊ भाषण दिया.
इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने पिछले 11 अगस्त को वकील अश्विनी उपाध्याय को जमानत दे दी थी. दिल्ली पुलिस ने अगस्त को 9 अगस्त को अश्विनी उपाध्याय और बाकी आरोपियों को पूछताछ के लिए बुलाया था. पूछताछ के बाद 10 अगस्त को सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 9 अगस्त को एफआईआर दर्ज किया था. बता दें कि 8 अगस्त को जंतर-मंतर पर भारत जोड़ो आंदोलन के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया था, जिसमें धर्म विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक नारेबाजी की गई थी.