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जामिया एलुमनाई एसोसिशन के अध्यक्ष ने कोर्ट में रखा तर्क, कहा- प्रदर्शनकारी होना नहीं अपराध

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Published : Aug 24, 2021, 10:51 PM IST

जामिया मिलिया इस्लामिया एलुमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष शिफा-उर-रहमान ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान तर्क रखा है कि प्रदर्शनकारी होना कोई अपराध नहीं है. हर व्यक्ति को राय रखने का अधिकार है. दिल्ली की एक कोर्ट में शिफा-उर-रहमान की जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही थी.

jamia alumni association president Shifa Ur Rahman in court over delhi riots
जामिया एलुमनाई एसोसिशन के अध्यक्ष

नई दिल्ली : दिल्ली दंगा मामले के आरोपी और जामिया एलुमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष शिफा-उर-रहमान ने जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट से कहा कि क्या प्रदर्शनकारियों को धन देना, यूएपीए के तहत अपराध है. कोर्ट जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 8 सितंबर को करेगा.

सुनवाई के दौरान शिफा उर रहमान की ओर से वकील अभिषेक सिंह ने बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा के हेट स्पीच के खिलाफ की गई शिकायत की प्रति दिखाई. उन्होंने कहा कि पुलिस ने इस मामले में शिफा-उर-रहमान को बतौर गवाह या आरोपी कोई पूछताछ नहीं की. अभिषेक सिंह ने पूछा कि शिकायत के बाद एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की गई.

अभिषेक सिंह ने कहा कि शिफा-उर-रहमान के मौलिक अधिकारों का सुनियोजित तरीके से हनन किया गया है. उन्होंने कहा कि जामिया एलुमनाई एसोसिएशन का सदस्य होना कोई अपराध नहीं है. विरोध करना और अपनी राय व्यक्त करना अपराध कैसे हो सकता है. जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी के व्हाट्सएप ग्रुप का सदस्य होना भी अपराध नहीं है. इस ग्रुप में हिंसा को बढ़ावा देने की कोई बात नहीं की गई थी. इस केस में जामिया एलुमनाई एसोसिएशन के किसी दूसरे सदस्य को आरोपी नहीं बनाया गया है. इस केस में रहमान की गिरफ्तारी नहीं की जानी चाहिए थी.

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सिंह ने कहा कि विरोध करना मौलिक अधिकार है. आप विरोध करनेवाले को दंगाई की श्रेणी में क्यों रख रहे हैं. आरोपी ने प्रदर्शनकारियों को कुछ वित्तीय मदद भी की थी. क्या प्रदर्शनकारियों को वित्तीय मदद करना यूएपीए के तहत अपराध है. उन्होंने कहा कि सवाल ये नहीं है कि नागरिकता संशोधन कानून या एनआरसी देश के हित में है या नहीं बल्कि सवाल ये है कि किसी कानून का विरोध करना अपराध कैसे हो गया.

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बता दें कि रहमान को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 26 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया था. उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 124ए, 302, 307, प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रोपर्टी एक्ट की धारा 3 और 4, आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 के अलावा यूएपीए की धारा 13,16,17 और 18 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

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