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यमुना के स्वभाविक रूप को खतरा मानती है नदी को नाले की तरह देखने वाली दिल्ली

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Published : Jul 31, 2021, 10:04 PM IST

चंद दिनों की बरसात और महज कुछ हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद ही यमुना का जलस्तर खतरे को पार कर जाता है. इसके बाद हरकत में आ जाती है सरकार और शुरू हो जाते हैं राहत बचाव के कार्य, लेकिन उस यमुना की तरफ कोई नहीं देखता, जिसके बचाव की सबसे ज्यादा जरूरत है. सवाल यह है कि यमुना के वास्तविक रूप से दिल्ली डरती क्यों है.

question of yamuna denger level in delhi
यमुना का स्तर 205.6 मीटर तक पहुंच गया

नई दिल्ली : शुक्रवार को दिल्ली में यमुना का स्तर 205.6 मीटर तक पहुंच गया था. यह खतरे की वर्तमान स्तर से काफी ज्यादा है. आपको बता दें कि दिल्ली में यमुना का खतरनाक स्तर 205.33 मीटर है. हालांकि अब यमुना का जल स्तर फिर से सामान्य की तरफ लौट रहा है. शनिवार शाम 4 बजे तक यमुना का जलस्तर 204.89 मीटर था. हालांकि अब भी वार्निंग लेबल से ज्यादा है.

शुक्रवार को यमुना का जलस्तर बढ़ने के साथ ही प्रशासन हरकत में आया और यमुना किनारे झुग्गियों में रहने वाले लोगों को वहां से निकाला जाने लगा. इनमें से ज्यादातर लोगों को अभी यमुना पुस्ता और लोहा पुल के ऊपर अस्थायी टेंट में जगह दी गई है. लोहा पुल के पास ऐसे ही टेंट में रह रहे ललित ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि हर दूसरे साल ऐसी परेशानी सामने आती है.

यमुना का जलस्तर खतरे के पार

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ललित ने बताया कि उसका परिवार वर्षों से यमुना खादर में रहता रहा है. उसका कहना था कि हम वहीं पर खेती करते हैं और हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं कि कहीं घर ले सकें. ऐसे हजारों लोगों ने दिल्ली में यमुना के घर को ही अपना घर बनाया है और यमुना के घर में अतिक्रमण ही वो कारण है, जो हर साल यमुना के उस रूप को खतरा करार देती है, जिसमें यमुना को हमेशा रहना चाहिए.

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यमुना के वास्तविक रूप से दिल्ली डरती क्यों है
यमुना के लिए काम करने वाले मशहूर पर्यावरणविद मनोज मिश्र ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि यमुना के जिस जल स्तर को खतरा बताया जा रहा है, वह यमुना का स्वाभाविक रूप है और इतना पानी यमुना में हमेशा ही रहना चाहिए. मनोज मिश्र ने कहा कि यमुना में जलस्तर बढ़ने से फ्लड प्लेन में पानी फैल रहा है और यह स्वाभाविक है, क्योंकि फ्लडप्लेन होता ही इसलिए है.
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दिल्ली के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा

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मनोज मिश्र का कहना था कि इसे डेंजर की स्थिति मान लेना हमारे हिसाब से सही नहीं है. जब तक हथिनीकुंड बैराज से कम से कम 6 लाख क्यूसेक पानी नहीं छोड़ा जाता है, तब तक दिल्ली में कोई बाढ़ नहीं आती है. मनोज मिश्र ने खतरे के पैमाने को लेकर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि खतरे के स्तर में संशोधन की जरूरत है. इसके कारण थोड़े से बढ़े हुए जल स्तर को भी भयावह बताया जाने लगता है.

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