नई दिल्ली : शुक्रवार को दिल्ली में यमुना का स्तर 205.6 मीटर तक पहुंच गया था. यह खतरे की वर्तमान स्तर से काफी ज्यादा है. आपको बता दें कि दिल्ली में यमुना का खतरनाक स्तर 205.33 मीटर है. हालांकि अब यमुना का जल स्तर फिर से सामान्य की तरफ लौट रहा है. शनिवार शाम 4 बजे तक यमुना का जलस्तर 204.89 मीटर था. हालांकि अब भी वार्निंग लेबल से ज्यादा है.
शुक्रवार को यमुना का जलस्तर बढ़ने के साथ ही प्रशासन हरकत में आया और यमुना किनारे झुग्गियों में रहने वाले लोगों को वहां से निकाला जाने लगा. इनमें से ज्यादातर लोगों को अभी यमुना पुस्ता और लोहा पुल के ऊपर अस्थायी टेंट में जगह दी गई है. लोहा पुल के पास ऐसे ही टेंट में रह रहे ललित ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि हर दूसरे साल ऐसी परेशानी सामने आती है.
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ललित ने बताया कि उसका परिवार वर्षों से यमुना खादर में रहता रहा है. उसका कहना था कि हम वहीं पर खेती करते हैं और हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं कि कहीं घर ले सकें. ऐसे हजारों लोगों ने दिल्ली में यमुना के घर को ही अपना घर बनाया है और यमुना के घर में अतिक्रमण ही वो कारण है, जो हर साल यमुना के उस रूप को खतरा करार देती है, जिसमें यमुना को हमेशा रहना चाहिए.
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मनोज मिश्र का कहना था कि इसे डेंजर की स्थिति मान लेना हमारे हिसाब से सही नहीं है. जब तक हथिनीकुंड बैराज से कम से कम 6 लाख क्यूसेक पानी नहीं छोड़ा जाता है, तब तक दिल्ली में कोई बाढ़ नहीं आती है. मनोज मिश्र ने खतरे के पैमाने को लेकर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि खतरे के स्तर में संशोधन की जरूरत है. इसके कारण थोड़े से बढ़े हुए जल स्तर को भी भयावह बताया जाने लगता है.