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IGI एयरपोर्ट पर बन रहा देश का पहला एलिवेटेड टैक्सीवे, जानें इसके फायदे

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Published : Sep 8, 2021, 10:56 PM IST

दिसम्बर 2022 तक भारत का पहला एलिवेटेड क्रॉस टैक्सीवे तैयार हो जाएगा. यह टैक्सीवे दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर तैयार किया जा रहा है. इसके शुरू होने से एयरपोर्ट पर CO2 उत्सर्जन में कमी आएगी.

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एलिवेटेड टैक्सीवे

नई दिल्ली : दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर भारत का पहला एलिवेटेड क्रॉस टैक्सीवे दिसंबर 2022 तक तैयार होने वाला है. एयरपोर्ट ऑपरेटर दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) ने ईस्टर्न क्रॉस टैक्सीवे (ईसीटी) का लगभग 60 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है. इस 2.1 किमी लंबी दोहरी एलिवेटेड ईसीटी के एक बार शुरू होने के बाद न केवल हवाई अड्डे पर भीड़भाड़ कम करने और विमान के सर्कुलेशन पाथ में सुधार करने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे एयरपोर्ट पर उत्सर्जन होने वाले सीओ 2 में सालाना लगभग 55 हजार टन सीओ 2 उत्सर्जन में कमी आएगी.

जीएमआर समूह के उप प्रबंध निदेशक आई प्रभाकर राव ने बताया कि डायल द्वारा एयरपोर्ट पर पर्यावरण सुरक्षा के लिए के नए पहल किए जा रहे हैं. ईसीटी के शुरू होने से रनवे पर लैंडिंग के बाद या टेक-ऑफ करने वाले विमानों संचालन समय में कमी आएगी. इसका सीधा असर उनसे होने वाले सीओ-2 (CO2) उत्सर्जन पर पड़ेगा. साथ ही कार्बन उत्सर्जन भार को और कम करने के लिए कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस एयरसाइड वाहन का उपयोग किया जाएगा. इससे यात्रियों को लैंडिंग के बाद या टेक-ऑफ के दौरान बहुत कम समय के लिए विमान के अंदर रहना होगा.

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देश का पहला एलिवेटेड टैक्सीवे
वर्तमान में रनवे नम्बर 29/11 से टेक-ऑफ करने के लिए एक विमान को लगभग 9 किमी की दूरी कवर करना पड़ता है. ईसीटी के चालू होने से विमान की टैक्सी की दूरी सिर्फ सिर्फ 2 किमी राह जाएगा. क्योंकि यह आरडब्ल्यूवाई ​​11/29 के समानांतर टैक्सीवे के साथ टैक्सी करेगा और ईसीटी का उपयोग सीधा रास्ता लेने के लिए करेगा.
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एलिवेटेड टैक्सीवे के फायदे
टर्मिनल 1 या इसके विपरीत ईसीटी एयरलाइनों पर हर बार कोई विमान उपयोग करने पर लगभग 350 किलो ईंधन की बचत होगी. साथ ही टैक्सी किए जाने वाले प्रत्येक विमान से निकलने वाले लगभग 1,114 किलोग्राम सीओ 2 के उत्सर्जन को रोका जा सकेगा. इससे सालाना लगभग 55,000 टन सीओ 2 के उत्सर्जन को कम किया जा सकेगा.
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ईस्टर्न क्रॉस टैक्सीवे

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प्रभाकर राव ने बताया कि डुअल ईस्टर्न क्रॉस टैक्सीवे भारत में अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट है. हमारा लक्ष्य 2030 तक नेट जीरो कार्बन एयरपोर्ट बनाने का है. जो दिल्ली हवाई अड्डे के चरण 3 ए विस्तार परियोजना का हिस्सा है. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद आईजीआई एयरपोर्ट प्रति वर्ष 14 करोड़ यात्रियों को संभाल सकेगा. वर्तमान में 4 करोड़ है.

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