नई दिल्लीः देश के सबसे बड़े व्यापारी संगठनों में से एक कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने अफगानिस्तान में हुए तख्तापलट के बाद बयान जारी किया है. उन्होंने कहा है कि जिस तरह से अफगानिस्तान में राजनीतिक उठा-पटक हुई है. इसका सबसे ज्यादा बुरा असर हिंदुस्तान और अफगानिस्तान के बीच होने वाले द्विपक्षीय व्यापार पर भी पड़ सकता है. इसकी वजह से सबसे ज्यादा नुकसान व्यापारी वर्ग को होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है.
भारत और अफगानिस्तान में व्यापार की बात की जाए, तो भारत अफगानिस्तान से सूखे किशमिश, अखरोट, बादाम, अंजीर, पाइन नट, पिस्ता, सूखे खुबानी और खुबानी, चेरी, तरबूज, औषधीय जड़ी-बूटियों और कुछ फल आयात करता है. अफगानिस्तान को भारत निर्यात में चाय, कॉफी, काली मिर्च , कपास, खिलौने, जूते और विभिन्न अन्य उपभोग्य वस्तुएं भेजता है.
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भारत और अफगानिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2020-21 में 1.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था. जबकि, 2019-20 में यह बढ़कर 1.52 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया. भारत से निर्यात 826 मिलियन अमेरिकी डॉलर था.
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प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि अफगानिस्तान में राजनीतिक अनिश्चितता के कारण बाजारों में कीमतें बढ़ सकती हैं. वर्तमान में आया- निर्यात शिपमेंट फंसे हुए हैं, जिससे व्यापारियों को भारी नुकसान हो सकता है.
बता दें कि अफगानिस्तान में हाल ही में हुए राजनीति उठा-पटक के बाद तालिबान ने पूर्ण तरीके से अफगानिस्तान में शासन स्थापित कर लिया है. इसके बाद भारत और अफगानिस्तान के बीच में होने वाले व्यापार पर भी नकारात्मक असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है. वही, एक बड़ी समस्या यह भी है कि अफगानिस्तान को होने वाला निर्यात, अब पूरी तरह से बंद हो जाएगा, जब तक अफगानिस्तान में हालात सुधरते नहीं हैं.