नई दिल्ली: चावड़ी बाजार इलाके से पकड़ा गया अवैध टेलीफोन एक्सचेंज राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा था. यह खुलासा छानबीन के दौरान हुआ है. आरोपियों ने लगभग चार करोड़ कॉल विदेशों से भारत में करवाई हैं, जिनका रिकॉर्ड सरकार के पास भी नहीं था. कुवैत में बैठे सरगना सहित यह गैंग सरकार को लगभग 100 करोड़ रुपये का नुकसान केवल दो महीनों में ही पहुंचा चुकी था.
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इस मामले की जांच जिला के साइबर सेल इंस्पेक्टर जगदीश कुमार की देखरेख में एसआई पवन यादव और कमलेश कुमार की टीम ने द्वारा की जा रही थी. साइबर सेल ने हाल ही में मोहम्मद इरफान उर्फ रज्जी को गिरफ्तार किया, जिसने यहां पर सॉफ्टवेयर लगाया था. इसके माध्यम से यह अंतरराष्ट्रीय कॉल होती थी. इस बिल्डिंग के मालिक जुल्फिकार अली को भी पुलिस टीम ने गिरफ्तार कर लिया. वह भी बीते 7 महीने से फरार चल रहा था. उसकी निशानदेही पर दो अन्य आरोपी इरफान अली और आरिफ अली को गिरफ्तार किया गया.
डीसीपी श्वेता चौहान ने बताया कि इस पूरे गैंग का सरगना कुवैत में बैठा हुआ है. उसने भारत में मौजूद आरोपियों के माध्यम से अवैध टेलीफोन एक्सचेंज बनवाया और इसके जरिए महज दो माह के भीतर ही चार करोड़ से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय कॉल करवाईं. इसके माध्यम से भारत सरकार को 103 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है. इतना ही नहीं इसमें आने वाली कॉल के बारे में भारत सरकार या पुलिस को किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं थी. इसलिए यह सुरक्षा के लिहाज से बड़ा खतरा था. छानबीन के दौरान पुलिस को पता चला है कि रोजाना लगभग डेढ़ लाख कॉल इस सर्वर के माध्यम से भारत में आ रही थीं.
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गिरफ्तार किया गया इरफान अली प्रॉपर्टी डीलर है. मोहम्मद इरफान के झांसे में आकर जल्दी रुपए कमाने के लिए वह टेलीफोन एक्सचेंज चलाने लगा. दूसरा आरोपी जुल्फिकार इस अवैध टेलीफोन एक्सचेंज का मालिक था. तीसरा आरोपी आरिफ अली पकड़े गए जुल्फिकार का बेटा है और यहां पर दो इंटरनेट कनेक्शन उसके नाम से लिए गए थे. चौथा आरोपी मोहम्मद इरफान नौवीं कक्षा तक पढ़ा है. उसने वर्ष 2006 में करोल बाग स्थित एक इंस्टीट्यूट से हार्डवर्किंग और सॉफ्टवेयर का कोर्स किया था. इसके बाद वह टीवी और मोबाइल ठीक करने का काम करता था. वर्ष 2017-18 में वह मुंबई गया और वहां पर अजीम के संपर्क में आया. उसके साथ मिलकर वहां अवैध टेलीफोन एक्सचेंज बनाया. जब मुंबई पुलिस ने उसके साथियों को गिरफ्तार किया तो वह फरार हो गया था. दिल्ली आकर उसने इस तरीके का टेलीफोन एक्सचेंज यहां पर बनाया.