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कोविड डेड बॉडी का पोस्टरमोर्टम कितना जरूरी!

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Published : Aug 21, 2020, 9:38 PM IST

देश में कोरोना का कहर लगातार बढ़ रहा है. हर दिन नये पॉजिटिव केसेज 70 हजार का आंकड़ा छू लिया है. 80 फीसदी से ज्यादा मामले बिना लक्षणों वाले होते हैं. ऐसे में अगर किसी की मौत हो जाती है तो यह जानने के लिये पोस्टमॉर्टेम करना जरूरी होता है. अगर बिना लक्षण वाले कोविड मरीज की मौत होती है जिसकी जानकारी किसी को नहीं है तो यह बेहद खतरनाक स्थिति है.

How important is the covid test of dead body in the corona era
कोविड डेड बॉडी का पोस्टरमोर्टम कितना जरूरी!

नई दिल्ली: देश में कोरोना का कहर लगातार बढ़ रहा है. एक दिन में नए कोरोना पॉजिटिव केसे का आंकड़ा 70 हजार तक जा पहुंचा है. हालांकि कोरोना के 80 फीसदी से ज्यादा मामले बिना लक्षणों वाले होते हैं. अगर किसी की मौत हो जाती है तो वजह जानने के लिए पोस्टमार्टम करना जरूरी होता है. ऐसे में अगर बिना लक्षण वाले कोविड मरीज की मौत होती है, जिसकी जानकारी किसी को नहीं है तो यह बेहद खतरनाक स्थिति है. अनजाने में ही इस तरह कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलेगा. क्या पता ऐसा हो भी रहा हो. ऐसे में जानते हैं इस पर विशेषज्ञों की क्या राय है.

क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट
बहुत सारे ऐसे मरीज मर रहे हैं, जिनमें कोरोना का कोई लक्षण नहीं दिखाई दिया या ऐसे मरीज हैं जिनकी कोरोना की रिपोर्ट उनके मरने के बाद पॉजिटिव आती है. ऐसे मरीजों का पोस्टमार्टम करना काफी खतरनाक होता है. अनजाने में ऐसे मरीजों का अंतिम संस्कार करना भी खतरनाक होता है. ऐसे में उनके संपर्क में आने वाले लोगों के कारण संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है. कोरोना काल में अस्पताल में इलाज के दौरान मरने वाले हर व्यक्ति का कोरोना वायरस टेस्ट जरूर होना चाहिए. सवाल यह उठता है कि क्या ऐसा हो रहा है. मरने वाले कोरोना संदिग्ध मरीजों के शवों का पोस्टमार्टम हो रहा है या नहीं, अगर किसी कोरोना मरीज का पोस्टमार्टम किया जाना हो तो डॉक्टर क्या-क्या तैयारियां करते हैं ताकि वह सुरक्षित रह सकें? दिल्ली सरकार के जीटीबी हॉस्पिटल के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के हेड व प्रोफेसर डॉक्टर एनके अग्रवाल बताते हैं कि हमारे हॉस्पिटल में करोना मरीजों की मौत होने पर पोस्टमार्टम हुए हैं. इसके लिए सरकार ने जो समय-समय पर गाइडलाइंस निकाले हैं, उनका पालन किया गया है. पोस्टमार्टम करने के दौरान डॉक्टर और पोस्टमार्टम में शामिल हर व्यक्ति की सुरक्षा तय मानकों के हिसाब से होती है. डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना संक्रमित मरीजों या कोरोना संदिग्ध मरीजों का पोस्टमार्टम करने के दौरान अच्छी क्वालिटी के पीपीई किट्स दी जाती हैं. आईसीएमआर के गाइडलाइन के मुताबिक पूरी सावधानियां बरती जाती हैं.

सभी मृतक कोविड मरीजों के शव का पोस्टमॉर्टम जरूरी नहीं

आईसीएमआर गाइडलाइंस के तहत सभी मृतक कोरोना मरीजों के शवों का पोस्टमार्टम करना जरूरी नहीं है, जब बहुत जरूरी हो तभी कोरोना मरीजों का पोस्टमार्टम किया जाता है. हालांकि किसी को मृतक कोरोना मरीज के शव का पोस्टमार्टम करना बहुत जरूरी हो तो पहले मरीज के बारे में एक-एक डिटेल का डॉक्यूमेंटेशन होता है. फोटोग्राफी होती है. पोस्टमार्टम करते वक्त किसी भी स्वास्थ्य कर्मी को इंफेक्शन ना हो इसका पूरा ध्यान रखा जाता है.

पेन ड्राइव की तरह होता है कोरोना वायरस

डॉ. अग्रवाल के मुताबिक कोरोना वायरस पेन ड्राइव की तरह होता है. यह सेल्स के साथ रिएक्शन करता है. खासकर लंग्स सेल्स के साथ. लंग्स सेल्स के साथ ही यह वायरस प्रॉपर तरीके से रिएक्शन करता है. इसके लिए वायरस को एनर्जी के रूप में एटीपी की जरूरत होती है ताकि वह अपने संख्या को मल्टीप्लाई कर सके. यह सिर्फ जीवित प्राणियों में ही रिएक्शन करता है. व्यक्ति की मृत्यु के बाद कोरोना वायरस कोशिकाओं को ऊर्जा मिलना बंद हो जाती है, जिससे वह निष्क्रिय हो जाता है. इसके बावजूद कोरोना से बचने के लिए सभी स्वास्थ्य कर्मियों को और पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर को पूरी सावधानी बरतनी होती है.

आंतरिक अंगों के परीक्षण के लिए किया जाता है पोस्टमॉर्टम

डॉ. एनके अग्रवाल बताते हैं कि आईसीएमआर गाइडलाइंस के मुताबिक आमतौर पर हम मृतक कोरोना संक्रमित मरीजों के शव का पोस्टमार्टम नहीं करते हैं, अगर बहुत जरूरी हो तभी पोस्टमार्टम करते हैं और वह भी पूरी सावधानी के साथ. अभी सरकार की तरफ से जो गाइडलाइंस जारी की गई है उसमें कुछ मरीजों के आंतरिक अंगों के परीक्षण करने होते हैं. ऐसा करने के लिए भी पूरी सावधानी बरती जाती है.

ऐसे किया जाता है अंतिम संस्कार

डॉ. अग्रवाल के मुताबिक कोरोना वायरस से अगर किसी मरीज की मृत्यु हो जाती है तो इसकी बॉडी को डिस्पोज ऑफ करने का एक मानक है. ऐसे मरीजों की मृत्यु होने पर सबसे पहले वार्ड में बॉडी को ले जाकर के अच्छे से सैनिटाइज किया जाता है. उसके बाद बॉडी को ट्रिपल लेयर प्लास्टिक की बॉडी बैग में पैक किया जाता है. पूरी बॉडी को ढकने के बाद मुंह वाले हिस्से को पारदर्शी प्लास्टिक से ढका जाता है ताकि मृतक का चेहरा परिजनों को दिखाया जा सके.

इसके बाद बॉडी को पूरी सावधानी के साथ मोर्चरी में रखा जाता है. सरकारी नियमों के मुताबिक ही बॉडी को डिस्पोज किया जाता है. इसके लिए हॉस्पिटल का स्टाफ ही जाता हैं और 5 से ज्यादा लोगों की इजाजत शवदाह गृह में जाने की नहीं होती है. परिवार वालों को दूर से ही ट्रांसपेरेंट वाले हिस्से से बॉडी दिखाई जाती है. बॉडी को छूने की या उसके पास जाने की इजाजत नहीं होती है. शरीर के अवशेष को परिजनों को सौंप दिया जाता है. शव की राख में कोरोना वायरस होने की पुष्टि अभी तक नहीं हुई है.


किन-किन मरीजों के शवों की पोस्टमॉर्टम करने की जरूरत

आरएमएल अस्पताल के आईसीयू एक्सपर्ट डॉक्टर सक्षम मित्तल बताते हैं कि कोरोना काल में किन-किन मरीजों के शवों का पोस्टमार्टम करना है इसे समझना बहुत जरूरी है. अस्पताल में आने वाले जिन मरीजों में कोरोना के लक्षण देखे गए हैं अगर उनकी कोविड-19 की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है और अगर ऐसे मरीज की हॉस्पिटल में मृत्यु हो जाती है तो जो डॉक्टर उस मरीज का इलाज कर रहे थे वही डॉक्टर सर्टिफाइड कर सकते हैं कि मरीज की मौत कोरोना से हुई है. इस तरह के केसेज को नॉन एमएलसी केस की तरह ट्रीट किया जाता है. ऐसे केसे के लिए पोस्टमार्टम करना जरूरी नहीं है, लेकिन अगर किसी ऐसे मरीज की मौत होती है जो सस्पेक्टेड कोविड-19 होते हैं तो ऐसे मामले को मेडिको लीगल केसे माना जाता है और इनका पोस्टमार्टम करना जरूरी होता है.

पोस्टमार्टम करना काफी जोखिम भरा

आईसीएमआर के गाइडलाइंस के मुताबिक आईसीएमआर किसी को भी अनावश्यक रूप से एक्सपोज नहीं करना चाहती है. किन मामलों की जांच करवानी है या किन मामलों का पोस्टमार्टम कराना है यह पुलिस डिसाइड करती है, जब पोस्टमार्टम किया जाता है तो इससे बड़ी मात्रा में एरोसोल जनरेट होता है. इसकी वजह से वायरस के संपर्क में आने की संभावना काफी होती है. ऐसी किसी भी डेड बॉडी का पोस्टमार्टम करना काफी हाई रिस्क होता है. अगर सावधानी ना बरती गई तो यह वहां मौजूद सभी डाक्टर या हेल्थ केयर वर्कर्स कोविड-19 की चपेट में आ सकते हैं, लेकिन ऐसे किसी भी मरीज की पोस्टमार्टम करने के पहले डॉक्टर और हेल्थ वर्कर्स सुरक्षा के सारे उपायों के साथ पूरी तरह से तैयार होते हैं.




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