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हाईकोर्ट ने निजामुद्दीन मरकज की केवल पहली मंजिल ही खोलने के निर्देश पर केंद्र से मांगा जवाब

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Published : Mar 11, 2022, 6:10 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से दिल्ली स्थित निजामुद्दीन मरकज के मस्जिद बंगले की पहली मंजिल नमाज के लिए खोलने पर जवाब मांगा है. हाईकोर्ट का कहना है कि जब मस्जिद की चार मंजिलें हैं तो केवल पहली मंजिल को ही खोलने की अनुमति क्यों दी जा रही है. साथ ही इसे केवल त्योहार पर ही क्यों, हमेशा के लिए क्यों नहीं खोले जा सकने पर भी प्रश्न उठाए हैं.

हाईकोर्ट
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नई दिल्ली: त्योहारों के मौके पर केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट से निजामुद्दीन मरकज स्थित मस्जिद बंगले पर लोगों को नमाज अदा करने की अनुमति दिए जाने की बात कही है. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से मस्जिद बंगले के किस हिस्से को नमाज के लिए खोले जाना है, इसपर जवाब मांगा है. जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की बेंच ने केंद्र सरकार के वकील रजत नायर से इस संबंध में केंद्र का निर्देश लेकर 14 मार्च तक कोर्ट को बताने के लिए कहा है. अता

दरअसल केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि शबे बारात और रमजान के मौके पर निजामुद्दीन मरकज के मस्जिद में कुछ लोगों को नमाज पढ़ने की अनुमति दी जा सकती है. इस पर हाईकोर्ट ने केंद्र से केवल त्योहार पर ही क्यों, हमेशा के लिए क्यों नहीं खोले जा सकने को लेकर प्रश्न किया था. कोर्ट ने कहा था कि अगर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकार ने कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है तो इसे सालों भर के लिए क्यों नहीं खोला जा सकता है.

इसके जवाब में केंद्र सरकार के वकील रजत नायर ने कहा था कि अगर मस्जिद की पहली मंजिल खोली जाती है, तो कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन अगर पूरा परिसर खोलने की मांग की जाएगी तो उस पर केंद्र को आपत्ति है. इसपर कोर्ट का सवाल था कि जब मस्जिद के चार मंजिल हैं तो केवल पहली मंजिल को ही खोलने की अनुमति क्यों दी जा रही है. कोर्ट ने वकील नायर को इस पर केंद्र सरकार से स्पष्ट निर्देश लेकर आने का कहा.

वहीं बीते 4 फरवरी केंद्र सरकार ने निजामुद्दीन मरकज स्थित मस्जिद को दोबारा खोलने की मांग पर विरोध जताया था. केंद्र का कहना था कि यह परिसर केस से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसे नहीं खोला जा सकता, लेकिन शबे बारात और रमजान के मौके पर कुछ लोगों को नमाज अदा करने की अनुमति दी जा सकती है. इसपर केंद्र की वकील रजत नायर ने कहा कि ये याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि मरकज में रहनेवाले वैध लोगों ने याचिका दायर नहीं की है. नायर ने कहा कि इससे पूर्व भी पांच लोगों को एक साथ नमाज पढ़ने की इजाजत दी गई थी. इस साल भी त्योहारों के मौके पर ऐसी ही अनुमति दी जा सकती है. उन्होंने कहा था कि अगर याचिकाकर्ता पूरे परिसर को खोलने की मांग करना चाहते हैं, इसे अभी खोलने की इजाजत नहीं मिलेगी, क्योंकि यह परिसर केस से जुड़ी हुई संपत्ति है.

सुनवाई के दौरान दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से वकील वजीह शफीक ने कहा था कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकार के हालिया आदेश को देखते हुए मरकज को खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा था कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकार ने 26 फरवरी को सभी प्रतिबंधों को हटाने का आदेश दिया था, लेकिन मरकज के परिसर पर दिल्ली पुलिस का ताला लगा हुआ है. तब कोर्ट ने दिल्ली वक्फ बोर्ड से दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकार के हालिया आदेश की प्रति दाखिल करने का निर्देश दिया.

23 फरवरी को सुनवाई के दौरान दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से वकील संजय घोष ने कहा था कि शबे बारात का त्योहार नजदीक आ रहा. रमजान का महीना भी 2 अप्रैल से शुरू हो रहा है. उन्होंने इस दौरान निजामुद्दीन मरकज स्थित मस्जिद को खोलने की मांग की. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि मरकज को खोलना दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकार के दिशानिर्देशों पर निर्भर करेगा. केंद्र की ओर से वकील रजत नायर ने कहा था कि इसके लिए पुलिस और वक्फ बोर्ड ने संयुक्त रूप से मस्जिद परिसर का निरीक्षण किया है. निरीक्षण में धार्मिक स्थल और अन्य जरुरतों वाली जगहों की पहचान की गई है. उसके बाद कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. बता दें कि मार्च 2020 में निजामुद्दीन मरकज स्थित मस्जिद में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ था, जिसमें विदेशी नागरिक आए थे. उसके बाद पुलिस ने इस मस्जिद को सील कर दिया था.

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