नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) की डिवीजन बेंच ने मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) के मामले में जेल में बंद दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येद्र जैन (Satyendra Jain) को पद से निलंबित करने की मांग को लेकर दायर याचिका खारिज कर दी है. चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ये मुख्यमंत्री का काम है कि वो आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति को मंत्री के पद पर बनाये रखता है या नहीं.
हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मनोज नरुला के एक केस में 2014 में किसी मंत्री को हटाने के लिए दिशानिर्देश देने से इनकार कर दिया था. किसी मंत्री को हटाने का दिशानिर्देश देना कोर्ट का काम नहीं है. हाईकोर्ट ने कहा कि जब तक कोई व्यक्ति दोषी करार नहीं दिया जाता है तब तक उसे निर्दोष माना जाता है. हाईकोर्ट ने कहा कि सुशासन उन लोगों पर निर्भर करता है कि वो किन लोगों के हाथ में है. हाईकोर्ट ने डॉ. बीआर अंबेडकर को उद्धृत किया कि चाहे संविधान जितना भी अच्छा क्यों न हो अगर वो गलत हाथों में है तो वो गलत साबित हो जा सकता है. अगर संविधान बुरा भी हो और वो अच्छे हाथों में है तो वो सही साबित हो सकता है.
याचिका बीजेपी नेता नन्द किशोर गर्ग ने दायर की थी. याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने कहा था कि 48 घंटे से अधिक न्यायिक हिरासत में रहने पर जज, आईएएस, आईपीएस अस्थायी रूप से पद से हटा दिए जाते हैं. लेकिन लंबे अरसे से जेल में बंद दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन पद पर बने हुए हैं.
ये भी पढ़ें : मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ED ने सत्येंद्र जैन के खिलाफ दाखिल किया चार्जशीट, छ: अन्य लोगों के नाम भी शामिल
याचिका में कहा गया था कि मंत्री भारतीय दंड संहिता की धारा 21 और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 2(सी) के तहत न केवल एक लोकसेवक होता है बल्कि वो संविधान की अनुसूची तीन के तहत मंत्री पद का पवित्र शपथ लेता है. मंत्री को सैलरी मिलती है, मुफ्त रेल टिकट, मुफ्त हवाई टिकट और उसे आईएएस, आईपीएस और जजों की तरह जीवन भर कई सारे भत्ते और सुविधाएं मिलती हैं. ऐसे में एक मंत्री आईएएस, आईपीएस और जजों की तरह का पूरा वेतन पानेवाला लोकसेवक हैं. लेकिन सत्येंद्र जैन लंबे समय से न्यायिक हिरासत में रहने के बावजूद संवैधानिक पदों पर हैं.