नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट आज पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ पूर्व मंत्री एमजे अकबर की ओर से दायर किए गए मानहानि के मामले पर सुनवाई करेगा. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहूजा सुनवाई करेंगे. इस मामले में प्रिया रमानी की ओर से दलीलें पूरी हो चुकी हैं. एमजे अकबर की ओर से अभी दलीले बाकी हैं.
पिछले 22 अक्टूबर को डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज सुजाता कोहली ने इस मामले को एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रट विशाल पाहूजा की कोर्ट में सुनवाई के लिए वापस भेज दिया था. अक्टूबर को एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहूजा ने कहा था कि चूकी उनकी कोर्ट केवल सासंदों और विधायकों से संबंधित केसों की ही सुनवाई कर सकती है. इसलिए इस मामले को दूसरी कोर्ट में शिफ्ट किया जाए. उसके बाद इस मामले को डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज सुजाता कोहली के पास फैसला लेने के लिए भेज दिया गया था. इस मामले में एमजे अकबर की ओर से अभी दलीले पेश की जानी बाकी है. प्रिया रमानी की ओर से वकील रेबेको जॉन ने अपनी दलीलें खत्म कर ली है.
प्रिया रमानी के ट्वीट् मानहानि वाले नहीं
पिछले 19 सितंबर को रेबेका जॉन ने कहा था कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जरुरी है और प्रिया रमानी उसका एक छोटा हिस्सा भर हैं. उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर की ओर से ये कहा जाना सही नहीं है कि प्रिया रमानी के ट्वीट मानहानी वाले हैं. इसका कोई कानूनी आधार नहीं है. भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के मानदंडों के तहत मानहानि की कोई संभावना नहीं है. उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर की वकील गीता लूथरा ने जिन फैसलों का उदाहरण दिया है, वे दीवानी मानहानि से जुड़े हैं न कि अपराधिक मानहानि के हैं.
मी-टू मूवमेंट ने एक सुरक्षित प्लेटफार्म दिया
रेबेका जॉन ने कहा था कि एमजे अकबर का कहना है कि प्रिया रमानी ने 20 साल तक कुछ नहीं किया, लेकिन प्रिया रमानी ने उस समय भी कहा और वो अभी भी है. मीटू मूवमेंट ने प्रिया रमानी को सुरक्षित प्लेटफार्म दिया. गजाला वहाब ने भी अपने बयान में कहा है कि एशियन एज में यौन प्रताड़ना पर कोई कार्रवाई का कोई मेकानिज्म नहीं था. विशाखा गाइडलाइन तो 1997 में आया. प्रिया रमानी ने अपनी चुप्पी की वजह को विस्तार से बताया है, उस पर कोर्ट गौर कर सकता है.
'प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस नहीं'
रेबेका जॉन ने कहा था कि एमजे अकबर की ओर से कहा गया कि वे कठिन मेहनत करते थे और उनकी छवि को खराब करने की कोशिश की गई. उन्होंने कहा था कि कठिन मेहनत करना केवल एमजे अकबर का अकेला काम नहीं था. मिलने से पहले प्रिया रमानी एक पत्रकार के रूप में एमजे अकबर की प्रशंसा करती थी, लेकिन उनका रमानी और दूसरी महिलाओं के साथ व्यवहार उलटा था. रेबेका जॉन ने कहा था कि कुल मिलाकर प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस नहीं बनता है.
अक्टूबर 2018 में दायर किया था
15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. 18 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने एमजे अकबर की अपराधिक मानहानी की याचिका पर संज्ञान लिया था. 25 फरवरी 2019 को कोर्ट ने पूरिव केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा आपराधि मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दी थी कोर्ट ने प्रिया रमानी को दस हजार निजी मुचलते पर जमानत दी थी.
कोर्ट ने 10 अप्रैल 2019 को प्रिया रमानी के खिलाफ आरोप तय किए थे,कोर्ट ने प्रिया रमानी को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने की स्थाई छूट दी थी.