नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने नेटफ्लिक्स पर दिखाई जा रही फिल्म गुंजन सक्सेना-द कारगिल गर्ल पर रोक लगाने के लिए दायर केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई टाल दी है. जस्टिस राजीव शकधर की बेंच ने धर्मा प्रोडक्शन की ओर से दाखिल जवाब पर केंद्र को एक हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.
आज धर्मा प्रोडक्शन ने अपना जवाब दाखिल किया. इसके बाद केंद्र सरकार ने धर्मा प्रोडक्शन के जवाब पर हलफनामा दाखिल करने के लिए समय की मांग की, जिसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. पिछले 2 सितंबर को कोर्ट ने इस फिल्म पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. जस्टिस राजीव शकधर की बेंच ने वायु सेना को पक्षकार बनाने की जगह गुंजन सक्सेना को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था.
केंद्र और वायु सेना ने दायर की है याचिका
पिछले 2 सितंबर को कोर्ट ने कहा था कि इस फिल्म के रिलीज हुए पहले ही काफी समय बीत चुका है. याचिका केंद्र सरकार और वायु सेना ने दायर की है. केंद्र सरकार की ओर से एएसजी संजय जैन ने कहा था कि ये फिल्म वायु सेना की साख को गिराने वाली है. फिल्म में सेना में लिंग आधारित भेदभाव का गलत चित्रण हुआ है, तब कोर्ट ने कहा था कि आपको काफी पहले आना चाहिए था. हम ये आदेश नहीं दे सकते हैं. कोर्ट ने धर्मा प्रोडक्शन, नेटफ्लिक्स और पूर्व फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना को नोटिस जारी किया था.
पहले भी याचिका खारिज कर चुका है हाईकोर्ट
बता दें कि इसके पहले भी दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म गुंजन सक्सेना-द कारगिल गर्ल के कुछ डायलॉग हटाने या उसमें बदलाव की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी. पिछले 28 अगस्त को चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि वो अपनी मांग सूचना और प्रसारण मंत्रालय के पास रखें.
क्या है वायु सेना के तर्क
याचिका में कहा गया था कि इस फिल्म में वायु सेना की पूर्व फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना के काम के बारे में गलत बातें कही गई हैं. इस फिल्म में वायु सेना के पुरुष अधिकारियों को स्त्री जाति से घृणा करने वाले के रूप में दर्शाया गया है. याचिका में कहा गया था कि फिल्म में वायु सेना के बारे में कहा गया है कि वो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करती है. याचिका में कहा गया था कि इस फिल्म में भारतीय वायु सेना के बारे में कई मनगढ़ंत बातें कही गई हैं. फिल्मकार ने सिनेमा लाइसेंस की आड़ में वायु सेना के बारे में गलत तथ्यों को पेश किया है.