नई दिल्ली: द्वारका के रुक्मिणी द्वारकाधीश इस्कॉन मंदिर में इस बार भव्य तैयारी की जा रही है. द्वारका इस्कॉन के वाइस प्रेसिडेंट अमोघ लीला दास ने बताया कि मंदिर में दीप दान लोग कर सकेंगे. कार्तिक मास की त्रयोदशी के दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. इसे धन त्रयोदशी या धनवन्तरी त्रयोदशी भी कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक धन त्रयोदशी के दिन भगवान कृष्ण के दिव्य अंशावतार, भगवान धनवन्तरी अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, जिसे पाने के लिए सुर और असुर दोनों लालायित थे पर अंततः अमृत देवताओं को ही मिला.
कार्तिक मास की त्रयोदशी के दिन अच्छी सेहत और निरोगी काया की कामना हेतु भगवान धनवन्तरी की पूजा की जाती है, जो अमृत और औषधि के देवता हैं. इस दिन का महत्व इसलिए भी है कि समुद्र मंथन के दौरान लक्ष्मी देवी प्रकट हुईं और उन्होंने भगवान विष्णु को अपना स्वामी चुना. भगवान विष्णु ने उन्हें सदा-सदा के लिए अपने वक्षस्थल पर रहने का स्थान दिया.
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उन्हीं बाल गोपाल की स्तुति करने के लिए दामोदर अष्टकम् का पाठ किया जाता है. दीवाली के दिन भगवान कृष्ण की इसी दामोदर लीला को याद कर उनका गुणगान किया जाता है और उन्हें दीपदान कर अपनी भक्ति प्रकट की जाती है.
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