नई दिल्ली: एक दशक से गोगी-टिल्लू के बीच चल रही गैंगवार क्या गोगी की हत्या के बाद अब खत्म हो जाएगी. पुलिस को ऐसा नहीं लगता है. पुलिस का मानना है कि गोगी गैंग कमजोर हुआ है लेकिन उसके सदस्य इसका बदला लेने के लिए जल्द हमला करेंगे. इसे ध्यान में रखते हुए जेल में बंद सभी बड़े गैंगस्टरों की सुरक्षा को लेकर उन्हें विशेष इंतजाम करने होंगे ताकि दोबारा ऐसी घटना न हो.
जानकारी के अनुसार जितेंद्र गोगी की गिरफ्तारी से पहले तक टिल्लू गैंग कमजोर हो चुका था. जितेंद्र गोगी एक-एक कर उसके साथियों को मार रहा था जबकि टिल्लू जेल में बंद होने के चलते उसे जवाब नहीं दे पा रहा था. जितेंद्र गोगी की गिरफ्तारी तक भी उसके गैंग का ही दबदबा था. उसके जेल जाने के बाद से दीपक बॉक्सर गैंग की कमान बाहर संभाल रहा था और गोगी के इशारे पर काम कर रहा था. लेकिन गोगी चाहता था कि फ़ज़्ज़ा बाहर निकलकर गैंग को संभाले और टिल्लू के बचे हुए साथियों को मार डाले. इसलिए काला जठेड़ी की मदद से उसने अस्पताल में उपचार के बहाने पहुंचे कुलदीप उर्फ फ़ज़्ज़ा को पुलिस हिरासत से फरार करवाया था.
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पुलिस का मानना है कि गोगी की हत्या के बाद उसका गैंग काफी कमजोर हो गया है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि दोनों गैंग के बीच चल रही गैंगवार खत्म हुई है. उन्हें लगता है कि कुछ दिनों तक शांत रहने के बाद एक बार फिर यह गैंग आपस में एक-दूसरे की जान लेंगे. गोगी की मौत से जहां टिल्लू मजबूत हुआ है तो वहीं फरार चल रहा दीपक बॉक्सर भी कुख्यात बदमाश है. वह कई हत्याओं को अंजाम दे चुका है जिसके चलते वह टिल्लू से बदला लेने के लिए उस पर हमला अवश्य करेगा. इसे ध्यान में रखते हुए पुलिस सबसे पहले दीपक बॉक्सर को पकड़ना चाहती है ताकि इस गैंगवार को टाला जा सके.
सूत्रों के अनुसार टिल्लू ने जहां जेल में बंद नीरज बवाना से हाथ मिला लिया था तो वहीं गोगी की मदद काला जठेड़ी कर रहा था. अभी के समय में अधिकांश कुख्यात बदमाश जेल में बंद हैं. ऐसे में पुलिस को आशंका है कि यह गैंगवार जेल के भीतर भी पहुंच सकती है. ऐसे में जेल प्रशासन को भी अलर्ट रहने की आवश्यकता है. पुलिस को आशंका है कि यह कुख्यात बदमाश भी मौका पाकर एक-दूसरे पर हमला कर सकते हैं. इसलिए इन बदमाशों की पेशी के दौरान उन्हें ज्यादा अलर्ट रहना होगा.