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झुग्गियां गिराए जाने का खौफ, बस्ती के लोग मुख्यमंत्री से लगाएंगे गुहार

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Published : Apr 25, 2022, 5:16 PM IST

दिल्ली में बीते कुछ महीनों से सियासी माहौल पूरी तरीके से गरमाया हुआ है. जहांगीरपुरी क्षेत्र में दो गुटों में हुई हिंसक झड़प के बाद नगर निगम ने हिंसा ग्रस्त क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ बुलडोजर चलाकर कार्रवाई की. जखीरा की झुग्गी-बस्ती में रह रहे लोगों ने कहा कि वह पूरे मामले को लेकर डरे हुए हैं. वह जल्द ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात करने की कोशिश करेंगे.

अतिक्रमण का डर
अतिक्रमण का डर

नई दिल्ली : देश की राजधानी दिल्ली में अवैध अतिक्रमण को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है. निगम लगातार अवैध अतिक्रमण के खिलाफ बुलडोजर चलाकर कार्रवाई कर रहा है. इस बीच दिल्ली में विभिन्न जगहों पर स्थित झुग्गी-बस्तियों में रह रहे लोगों के मन में न सिर्फ डर पैदा हो गया है बल्कि निगम द्वारा बुलडोजर की कार्रवाई के चलते परेशानियां कई गुना तक बढ़ गई हैं. जखीरा की झुग्गी बस्ती में रह रहे लोगों ने कहा है कि वे डरे हुए हैं. वह जल्द ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात करने की कोशिश करेंगे, जिन्होंने उन्हें पक्का घर देने का वादा किया था.

दूसरी तरफ जहांगीरपुरी में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ की गई कार्रवाई के बाद दिल्ली में विभिन्न जगह पर अवैध अतिक्रमण करके बस चुकी 200 से ज्यादा झुग्गी बस्तियों में रह रहे लोगों के मन में न सिर्फ डर बढ़ा है, बल्कि परेशानी भी कई गुना तक बढ़ गई है. इन सभी झुग्गी बस्ती में रह रहे लोग कहीं न कहीं इस बात से ही परेशान हैं. अगर उनकी झुग्गी-बस्ती के ऊपर निगम ने बुलडोजर चलाया और अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की गई तो उनका क्या होगा. वह कहां जाएंगे, अपने बच्चों को कहां रखेंगे और कैसे अपना गुजर-बसर करेंगे.

इस पूरे मामले पर ईटीवी भारत के संवाददाता ने दिल्ली की सबसे बड़ी झुग्गी-बस्तियों में से एक जखीरे के लोगों से बातचीत की. जखीरे में झुग्गी-बस्ती बहुत बड़े क्षेत्र में फैली हुई हैं. जखीरे के अंदर झुग्गी बस्तियां एक ही जगह पर चार अलग-अलग हिस्सों में बस चुकी हैं. ये झुग्गी-बस्तियां अवैध तरीके से न सिर्फ बसाई गई हैं, बल्कि यह सभी झुग्गी-बस्तियां नगर निगम और रेलवे की जमीन पर बनाए गए हैं, जिन्हें कभी भी निगम और रेलवे के द्वारा खाली करवाया जा सकता है.

दिल्ली में अतिक्रमण का खौफ

जखीरा की झुग्गी बस्ती में रहने वाले लोगों ने बताया कि वह साल 1984 में यहां पर आए थे और रहना शुरू किया था. इसके बाद से लगातार जखीरा के अंदर झुग्गी-बस्ती का क्षेत्र विस्तार होता रहा. इस पूरे क्षेत्र में अलग-अलग हिस्सों में झुग्गी बस्ती का क्षेत्र बंटा हुआ है. उसमें तकरीबन 70 से 75 हजार की आबादी में लोग रहते हैं, जो बहुत बड़ी संख्या है. इनमें से लगभग 45000 लोग दिल्ली के मतदाता हैं और वह अपने मत के अधिकार का प्रयोग भी चुनावों में करते हैं.

जखीरा की झुग्गी बस्ती में रहने वाले लोगों ने बताया कि यहां पर उन्हें किसी प्रकार की कोई सुविधा प्रशासन की तरफ से मुहैया नहीं कराई जा रही है. हालांकि दिल्ली सरकार ने बिजली का कनेक्शन जरूर दे दिया है, लेकिन दिन में 24 घंटे बिजली नहीं आती है. इन झुग्गी बस्तियों में एक बहुत बड़ा इलाका ऐसा भी है, जहां पीने के पानी की बहुत बड़ी समस्या है और लोगों को खरीदकर पानी पीना पड़ता है, जबकि जखीरा की झुग्गी बस्ती के पूरे क्षेत्र में पानी के निकासी की समस्या एक बड़ी समस्या है. पूरे क्षेत्र में एक भी सीवर नहीं है, जिसकी वजह से झुग्गी बस्तियों में जहां-तहां गंदगी का अंबार लगा हुआ है और झुग्गी बस्ती में रहने वाले लोग भी गंदगी में रहने को मजबूर हैं.

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जखीरा की झुग्गी बस्तियों में रह रही महिलाओं ने कहा कि वह बड़ी मुश्किल से यहां पर गुजर-बसर कर रही है, कौन चाहेगा झुग्गी बस्तियों में रहना उन्हें मजबूरी में यहां गुजर-बसर करना पड़ रहा है. कई महिलाएं तो ऐसी हैं, जिनकी पूरी जिंदगी यहां पर निकल गई. साल 1984 में यहां शादी करके आई थी. इसके बाद उनके जो बच्चे हुए उनकी शादी यहीं हुई. अब उनके बच्चों के भी बच्चे हो चुके हैं और उनकी शादी भी हो रही है या कुछ की शादी हो भी चुकी है. महिलाओं ने कहा कि अगर उन्हें यहां से निकाला जाता और उनकी झुग्गियों को तोड़ा जाता तो उनकी सरकार और प्रशासन से एक ही अपील है कि उन्हें कहीं और जगह दी जाए, जहां वह न सिर्फ अपने सर पर छत का इंतजाम कर सके बल्कि रह सके. कुछ महिलाओं ने यह भी कहा कि वह इस डर के माहौल में जल्द ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर जाकर उनसे मिलने की कोशिश करेंगी और उनसे मदद की गुहार भी लगाई जाएगी.

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जखीरा की झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों ने यह भी बताया कि आज से तकरीबन 10 साल पहले जखीरा की झुग्गी-बस्ती में रह रहे लोगों के द्वारा राजीव रतन आवास योजना के तहत पक्के मकान को लेकर फॉर्म भरा गया था. सभी जरूरी कागजात जमा कराए गए थे, लेकिन किसी भी व्यक्ति को अभी तक मकान सरकार और प्रशासन के द्वारा एलॉट नहीं किया गया है. स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि सरकार और प्रशासन के द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाएं हम लोगों के लिए बनाई तो जाती हैं और उन्हें शुरू किया जाता है, लेकिन इन योजनाओं का फायदा लोगों तक नहीं पहुंचता है.

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