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दिल्ली में दिहाड़ी मजदूरों के खिल उठे चेहरे, पाबंदियां हटते ही मिलने लगा रोजगार

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Published : Jan 31, 2022, 8:44 PM IST

कोरोना के मामले घटते ही दिल्ली में लागू तमाम पाबंदिया हटा ली गई हैं. कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए ऑड-ईवन और वीकेंड कर्फ्यू समेत कई तरह की पाबंदियां लगाई गई थीं. पाबंदियां हटते ही मजदूरों के चेहरे खिल उठे हैं.

Faces of daily wage laborers blossomed in Delhi employment started
Faces of daily wage laborers blossomed in Delhi employment started

नई दिल्ली : कोरोना के मामले घटते ही दिल्ली में लागू तमाम पाबंदिया हटा ली गई हैं. कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए ऑड-ईवन और वीकेंड कर्फ्यू समेत कई तरह की पाबंदियां लगाई गई थीं. जिन्हें बीते दिनों दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी की मीटिंग में हटाने का फैसला किया गया. LG अनिल बैजल के इस फैसले से बाजारों में रौनक लौट आई है. इसके साथ ही मजदूर तबके के चेहरे खिल उठे हैं. क्योंकि अब इन दिहाड़ी मजदूरों को काम मिल रहा है.



लगातार कोरोना की मार से देश के लोग और अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है. कोरोना को लेकर लागू पाबंदियों का कबसे ज्यादा असर रोज कमाने-खाने वाले मजदूर तबके पर पड़ा था. जो पाबंदियां हटने से सबसे ज्यादा खुश नजर आ रहा है. शादी-व्याह से लेकर बाजार और बारातघरों तक में इन्हें काम के लिए बुलाया जा रहा है. जिससे इनकी जिंदगी की गाड़ी फिर पटरी पर लौट आई है.

दिल्ली में दिहाड़ी मजदूरों के खिल उठे चेहरे, पाबंदियां हटते ही मिलने लगा रोजगार

दिल्ली में बाजार, दुकानें, मैरेज हॉल और बैंक्वेट बंद होने से हजारों मजदूर अपने घरों को पलायन कर गए. बाकी मजदूर भी अपने घरों को जाने की सोचने लगे थे, लेकिन पाबंदियां हटते ही इन्हें काम मिलने लगा है. इसलिए अब इन्होंने घर वापस जाने का इरादा बदल दिया है. वीकेंड कर्फ्यू सहित अन्य पाबंदियों की वजह से फैक्ट्री, बारातघर, रेस्टॉरेन्ट में काम करने वाले मजदूर बेरोजगार होकर घर पर बैठे थे. अपने परिवार का पेट भरने के लिए उनके पास कोई दूसरा काम भी नहीं था. टेंट लगाने वाले कामगार वापस काम शुरू होने के बाद टेंट लगाने के काम मे लगे हुए हैं, लेकिन 4 दिनों पहले तक इनके चेहरे पर मायूसी छाई हुई थी.

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पिछली बार लॉकडाउन के समय दिल्ली सरकार ने कंस्ट्रक्शन मजदूरों को 5 हजार रुपए सहायता राशि दी थी. लेबर कार्ड के माध्यम से ये पैसा उनके खातों में भेजा गया था. पहली बार जब लॉकडाउन हुआ था तो उस वक़्त निर्माण कार्यों से जुड़े 55 हजार रजिस्टर्ड मजदूर थे. इन सभी को 5 हजार रुपए सहायता राशि उपलब्ध कराई गई थी. इसके बाद लेबर विभाग ने रजिस्ट्रेशन कैंप लगाया. जिसके बाद रजिस्टर्ड निर्माण मजदूरों की तादाद 2 लाख 10 हजार हो गई.

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