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केजरीवाल के सुरक्षा न लेने पर बोले पूर्व एसीपी, 'ये लक्षण ठीक नहीं'

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Published : Sep 13, 2022, 4:15 PM IST

Updated : Sep 13, 2022, 4:29 PM IST

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गुजरात (Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal) फतह करने के लिए अहमदाबाद के अलावा कई शहरों में भ्रमण कर रहे हैं. इस बीच सोमवार को सुरक्षा कर्मियों से हुई बहस के बाद केजरीवाल के ऊपर सवाल खड़े हो रहे हैं. पूर्व एसीपी वेद भूषण इस घटना को कैसे देख रहे हैं, पढ़िए इस रिपोर्ट में.

पूर्व एसीपी वेद भूषण
पूर्व एसीपी वेद भूषण

नई दिल्ली: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गुजरात दौरे पर हैं. सोमवार को उन्होंने मौजूद सुरक्षा अधिकारियों को यह कहते हुए सुरक्षा लेने से मना कर दिया कि वह एक आम आदमी है और वह किसी प्रकार की सुरक्षा नहीं लेंगे. इसको लेकर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि वीवीआईपी द्वारा इस प्रकार का व्यवहार गलत है. ऐसे में उनके साथ कोई हादसा भी हो सकता है.

दिल्ली पुलिस के पूर्व एसीपी वेद भूषण (Former Delhi Police ACP Ved Bhushan) का कहना है कि केजरीवाल मुख्यमंत्री हैं. ऐसे में किसी अन्य राज्य में यात्रा करने के दौरान मेजबान राज्य की यह जिम्मेदारी होती है कि वह दूसरे राज्य के मुख्यमंत्री को सुरक्षा उपलब्ध कराएं.

पूर्व एसीपी वेद भूषण

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उन्होंने बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री पर पहले भी स्याही फेंकने और थप्पड़ मारने जैसी कई घटनाएं हो चुकी हैं. ऐसे में उन्हें सुरक्षा लेने से इंकार नहीं करना चाहिए. इस प्रकार की घटनाओं से किसी भी हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता है. फिलहाल, केजरीवाल के पास अभी जेड प्लस सुरक्षा है.

क्या होती है जेड प्लस सिक्योरिटी

देश में अलग-अलग वीवीआईपी को खतरे का स्तर देखते हुए सुरक्षा उपलब्ध कराई जाती है. इन सुरक्षा श्रेणियों को एक्स, वाई, जेड और जेड प्लस सिक्योरिटी कहा जाता है. Z कैटेगरी सिक्योरिटी सेफ्टी को बढ़ाने के लिए दी जाती है, जिसमें 22 सुरक्षाकर्मी द्वारा गार्ड किया जाता है. इसमें नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) के 4 या 5 कमांडर भी शामिल किए जाते हैं. यह सुरक्षा दिल्ली पुलिस या सीआरपीएफ मुहैया कराती है.

इस कैटेगरी की सुरक्षा में एस्कॉर्ट कार भी होती है. इसमें तैनात कमांडोज के पास सब मशीनगन और आधुनिक संचार के साधनों (modern means of communication) रहते हैं. इस कैटेगरी में तैनात किए गए कमांडोज मार्शल ऑर्ट सीखे हुए होते हैं जो बिना हथियार के भी लड़ने का हुनर रखते हैं.



वहीं, Z + सिक्योरिटी ज्यादातर केंद्र सरकार के मंत्री, मुख्यमंत्री, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीश, मशहूर राजनेता व बड़े ब्यूरोक्रेट्स को मुहैया कराई जाती है. जिसमें 36 सुरक्षाकर्मी सेवा में तैनात किए जाते हैं. जिनमें एनएसजी के 10 कमांडोज भी शामिल हैं.

इन कमांडोज को अत्याधुनिक हथियारों के साथ तैनात किया जाता है. इसमें तीन घेरे में सुरक्षा की जाती है. पहले घेरे में एनएसजी सुरक्षा में लगाए जाते हैं, इसके बाद एसपीजी के अधिकारी तैनात किए जाते हैं और इसके साथ ही आईटीबीपी और सीआरपीएफ के जवान भी सुरक्षा में लगाए जाते हैं.

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Last Updated : Sep 13, 2022, 4:29 PM IST
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