नई दिल्ली : मैथिली ठाकुर आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. निश्चित तौर पर वह असाधारण ही होगी. गांव-घर के गीतों से यह मुकाम हासिल करने वाली मैथिली ठाकुर के गीतों की गूंज अब देश के कोने-कोने से होती हुई सरहदों की रेखाएं भी पार कर गई है. जब वह गाती हैं तो उसकी सधी हुई उंगलियां हारमोनियम पर ऐसे चलती हैं, जैसे कोई कंप्यूटराइज्ड की-बोर्ड चल चल रहा हो. उसके साथ तबले और ताल पर संगत देते उसके दोनों छोटे भाई जब मैथिली की भाव-भंगिमा के साथ जुगलबंदी करते हैं तो श्रोताओं की तंद्रा गीत खत्म होने के बाद ही टूटती है.
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर ईटीवी भारत ने युवा गायिका और सोशल मीडिया फेम मैथिली ठाकुर से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने अपनी पूरी मंडली के साथ कृष्ण भजन गाकर सुनाए. उन्होंने कहा कि आगे भी वो अच्छे संगीत गाती रहेंगी और लोकगायिका की अपनी छवि को और मजबूत करना चाहेंगी.
मैथिली ने बताया कि मेरी गायकी की शुरुआत ठीक वैसे ही हुई जैसे तमाम लोग अपना वीडियो बनाकर यूट्यूब पर डालते हैं, हमने अपने दोनों भाइयों के साथ स्मार्ट फोन से वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड किये, उसके बाद ये कारवां आगे बढ़ता गया.
मैथिली बताती हैं कि आज भी हम लोग ठीक वैसे ही काम कर रहे हैं, जैसे पहले करते थे, लेकिन बदलते के वक्त के साथ कुछ बदलाव जरूर हुआ है. अपनी गायिकी का श्रेय मैथिली अपने पिता को देती हैं, उनका कहना है कि पिता जी की बदौलत ही यह सब संभव हो पाया, आज हम तीनों भाई-बहन उनके निर्देशों का पालन करते हुए उसी दिशा में आगे बढ़ते हैं, जैसा वो कहते हैं.
बातचीत के दौरान मैथिली ने बताया कि उनको संगीत के साथ-साथ पेंटिंग और उसमें मधुबनी पेंटिंग बहुत पसंद है. एजुकेशन को लेकर जब सवाल किया गया तो मैथिली ने कहा कि हम तीनों भाई-बहन अभी पढ़ाई कर रहे हैं, मैं ग्रेजुएशन फाइनल ईयर में हूं, रिषभ ने 12वीं पास किया है. वहीं अयाची अभी 9वीं क्लास में है.
एक सवाल के जवाब में मैथिली ने कहा कि जब हमको कोई नहीं जान रहा था, तब भी हम वैसे ही काम कर रहे थे, ठीक वैसे ही हम आज भी काम कर रहे हैं. मैथिली ने कहा कि हमने अपने को सीमित नहीं रखा है, मैंने फैसला लिया है, मुझे कहां, किस रास्ते पर जाना है. मैं हमेशा वही गीत गाना चाहती हूं, जिससे मुझे खुशी मिले. मैं अपनी इसी छवि को और मजबूत करना चाहूंगी. हम दर्शकों के कमेंट के आधार पर तय करते हैं कि हमको आगे क्या तैयारी करनी है.
दरअसल, मैथिली ठाकुर, देश के उस मध्यम वर्ग की नुमाइंदगी करती हैं, जिसमें प्रतिभा तो बहुत है, लेकिन उसे जाहिर करने और प्रसिद्धि पाने के लिए ताउम्र संघर्ष करना होता है. मैथिली कहती हैं कि इस मामले में वो खुशनसीब हैं कि उन्हें पिता के रूप में संगीत के एक बेहतरीन गुरु भी मिले हैं और सोशल मीडिया के रूप में एक मजबूत प्लेटफॉर्म भी, जहां उनकी फॉलोइंग एक करोड़ के पार पहुंच गई है.
मीठी आवाज़, हारमोनियम की तान और तबले की गूंज के बीच मैथिली ठाकुर ने अपने भाई ऋृषभ और अयाची की संगत में अब तक सैकड़ों वीडियो पोस्ट कर खासी लोकप्रियता हासिल की है. आज के ज़माने के इन युवा सेलेब्स को ईटीवी भारत अपने मंच पर आमंत्रित करता रहा है.
बातचीत के दौरान मैथिली कहती हैं कि आजकल कई तरह के संगीत हैं, लेकिन मैंने अपने पिता का रास्ता चुना है. अच्छा संगीत, जिसमें लोकगीत हों, भजन हों या ऐसे जो मधुर हों, उनको ही रिकॉर्ड करना मुझे पसंद है और इसे ही मैं फॉलो कर रही हूं. अपने भाइयों की दिलचस्पियों का जिक्र करते हुए मैथिली ने कहा कि तीनों भले ही स्क्रिन पर एक जैसे मिजाज के नजर आते हों, लेकिन हैं सभी अलग-अलग मिजाज के...संगीत की धुन हम तीनों को एक साथ जोड़ देती है.
जन्माष्टमी के मौक़े पर ईटीवी पर मैथिली के कृष्ण भजनों की धूम
जन्माष्टमी पर वृंदावन में मैथिली ठाकुर और उनका परिवार है. जन्माष्टमी के लिए मैथिली ठाकुर ने ईटीवी भारत के दर्शकों के लिए खास कृष्ण भजन गाकर सुनाए, जिसमें छोटी-छोटी गइया, छोटे-छोटे ग्वाल...बंसी वाले ने घेर लई, अकेली राधा यमुना गई ...जैसे लोकप्रिय भजनों से श्रीकृष्ण का वंदन किया.
मैथिली ठाकुर ग्रेजुएशन में हैं. पढ़ाई और संगीत की रुचि में टकराव न हो. इसलिए मैथिली ठाकुर का कहना है कि वे और उनके भाई, सब पढ़ाई और संगीत के बीच संतुलन बनाकर चल रहे हैं.
एक नजर मैथिल ठाकुर के करियर पर
मैथिली का जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी जिले में स्थित बेनीपट्टी नामक एक छोटे से शहर में हुआ था. उनके पिता रमेश ठाकुर, जो खुद अपने क्षेत्र के लोकप्रिय संगीतकार थे, और माता भारती ठाकुर, एक गृहिणी. उसका नाम उसकी मां के नाम पर रखा गया था. उसके दो छोटे भाई हैं, जिनका नाम रिशव और अयाची है, जो उनकी बड़ी बहन की संगीत यात्रा का अनुसरण करते हैं, जो तबला बजाकर और गायन में उनका साथ देते हैं.
मैथिली ने अपने पिता से संगीत सीखा. अपनी बेटी की क्षमता को महसूस करते हुए और अधिक अवसर प्राप्त करने के लिए, रमेश ठाकुर ने खुद को और अपने परिवार को दिल्ली में शिप्ट किया. मैथिली और उनके दो भाइयों की शिक्षा वहां के बाल भवन इंटरनेशनल स्कूल में हुई थी. यहां तक कि उनकी पढ़ाई के दौरान, तीन भाई-बहनों को उनके पिता ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, हारमोनियम और तबला में प्रशिक्षित किया था.
वह अपने दो छोटे भाइयों रिशव और अयाची के साथ देखी जाती हैं. रिशव तबले पर हैं और अयाची एक गायक हैं. 2019 में मैथिली और उनके दो भाइयों को चुनाव आयोग द्वारा मधुबनी का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया.
लिट्ल चैंप से बड़े ऑडिएंश के बीच गाया
बड़े ऑडिएंश के बीच गाने की शुरुआत लिट्ल चैंप से हुई. जीवन की पहली प्रतियोगिता थी. नर्वसनेस था फिर भी टॉप-30 में आईं. फिर आगे बढ़ने का जो सिलसिला शुरू हुआ तो यह बढ़ता ही गया. 2015 में इंडियन आइडल में गईं. मैथिली लोकगीतों से शुरू हुआ सफर क्लासिकल में मंझे हुए कलाकार की श्रेणी में ला दिया. राइजिंग स्टार में फर्स्ट रनर अप रहीं.
अब तक मिल चुके हैं कई सम्मान
राजीव गांधी अवार्ड और आई जीनियस यंग सिंगिंग स्टार अवार्ड मिला. वीमेंस डे पर प्रसार भारती ने सम्मानित किया. केंद्रीय महिला आयोग ने भी सम्मान से नवाजा. छोटी-सी उम्र में दर्जनों सम्मान हासिल कर मैथिली ठाकुर आज युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं.