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नया कानून : किराए की कोख को अब मिलेगा मान, सरोगेसी और ART का प्रचार होगा बंद

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Published : Dec 14, 2021, 8:43 PM IST

संसद ने सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2019 और असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नॉलॉजी बिल 2020 के जरिए देश भर में अवैध रूप से चल रहे ART-IVF सेंटर्स और सरोगेसी के अनैतिक इस्तेमाल के साथ ही करोड़ों के मेडिकल टूरिज्म व्यवसाय पर नकेल कस दी है.

Parliament crackdown on unethical use of surrogacy as well as medical tourism business worth crores
नया कानून : किराए की कोख को अब मिलेगा मान, सरोगेसी और ART का प्रचार होगा बंद

नई दिल्ली : देश की संसद ने सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2019 और असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नॉलॉजी बिल 2020 पास करके अनैतिक प्रैक्टिस में लिप्त हजारों ART, IVF एवं सरोगेसी सेंटर्स पर नकेल कस दी है. अब देश में गैर कानूनी रूप से किराए का कोख लेना बुत कठिन होगा. इतना ही नहीं, सरोगेसी, ART व IVF के जरिए संतान का लिंग परीक्षण भी अब नामुमकिन होगा. यानी मनचाही औलाद और मॉडल चाइल्ड देने का दावा करने वाले IVF सेंटर्स पर ताला लग जाएगा.

देश के हाई प्रोफाइल लोग जो सरोगेसी, ART यानी असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी या IVF यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक के जरिए माता या पिता बनना चाहते हैं, उनके मंसूबों पर पानी फिर गया है. सरोगेसी पर देश की संसद में सख्त विधेयक पास किया गया है. इस कानून के तहत अब किराए की गोद का व्यावसायिक इस्तेमाल भी गैरकानूनी और गैरजमानती अपराध है. वैज्ञानिक विधि से करोड़ों कमाने का सपना पाले हजारों विशेषज्ञ डॉक्टर्स के पर भी कतर दिए गए हैं. देश में हजारों करोड़ का सरोगेसी व IVF व्यवसाय इससे प्रभावित होगा.

संसद ने सरोगेसी के अनैतिक इस्तेमाल के साथ ही करोड़ों के मेडिकल टूरिज्म व्यवसाय पर नकेल कस दी



कुदरती तौर पर मां बनने में अक्षम महिलाओं को मातृत्व सुख प्राप्त करने के लिए IVF और सेरोगेसी का सहारा लेना पड़ता है. इस तकनीक को ऐसी महिलाओं के लिए वरदान माना जाता है. लेकिन वक्त बीतने के साथ ही इनका अनैतिक रूप से इस्तेमाल होने लगा. किराए पर कोख लेने का चलन बढ़ा और bollywood की कई प्रसिद्ध शख्सियतों ने इस तकनीक के इस्तेमाल से बगैर विवाह किए संतान सुख प्राप्त किए. इन मामलों में गलत तरीके से विज्ञान के वरदान का इस्तेमाल किया गया. मातृत्व सुख से वंचित होना किसी भी महिला के लिए बहुत ही दुखद अहसास है. इसलिए यह तकनीक वरदान है, लेकिन इसके अनैतिक इस्तेमाल को रोकना भी जरूरी है. लिहाजा इसके गलत इस्तेमाल से लगभग 1000 करोड़ रुपए की मेडिकल टूरिज्म इंडस्ट्री को नियंत्रित एवं नियमित करने की जरूरत महसूस की गई. सरोगेसी एवं ऐसी अन्य तकनीक को नियमित करने एवं इनके व्यावसायीकरण पर रोक लगाने के लिए 2016 में लोकसभा में इस बिल को पेश किया गया था. अब 9 दिसंबर 2021 को राज्यसभा में इस बिल को पास कर दिया गया है. इस बिल को लाने का मुख्य उद्देश्य मातृत्व के व्यवसायीकरण को रोकना और सरोगेट मदर के हितों की रक्षा करना भी है.

Even if you give greed of crores! Now you will not be able to get male child by ART-surrogacy!
चाहे दे दो करोड़ों का लालच! अब ART-सरोगेसी से नहीं मिल पाएगा बालक!



देश में आमतौर पर गरीब एवं लाचार महिलाओं का सरोगेट मदर (अपनी कोख किराये पर देने वाली मां) के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. ऐसी महिलाओं को बहुत ही कम पैसे दिए जाते हैं. उन्हें किसी भी तरह की सुरक्षा प्रदान नहीं की जाती है. बच्चा पैदा होते ही सेरोगेट मदर को उसकी हालत पर छोड़ दिया जाता है. मानव शिशु के गैरकानूनी तरीके से खरीद-फरोख्त के इस तरीके के व्यवसायीकरण पर रोक लगाने के लिए सरकार का यह एक अहम कदम माना जा रहा है. अभी तक यह इंडस्ट्री किसी भी तरह के कानून के दायरे में नहीं आती थी, लेकिन ART यानी असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी एवं सरोगेसी बिल के पास होने के बाद पूरी तरह से यह इंडस्ट्री नियमित एवं नियंत्रित कर दी गई है. इसमें सभी हित धारकों का पूरा ध्यान रखते हुए सख्त प्रावधान बनाए गए हैं.

Surrogate mother must be married at least once in life
अनजान लड़की या महिला को सरोगेट मदर के रूप में चयन नहीं कर सकते

सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2019 और असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नॉलॉजी बिल 2020 के अहम बिंदु

  • कपल को सरोगेसी के जरिए संतान प्राप्त करने के लिए पत्नी दोनों में से कोई एक या दोनों के संतान पैदा करने में अक्षम होने का प्रमाण पत्र दिखाना होगा.
  • देश की अदालत के आदेश के बाद ही सरोगेसी की अनुमति मिलेगी.
  • सरोगेट मदर को 16 महीने इंश्योरेंस कवर दी जाएगी, जिसमें डिलीवरी के बाद होने वाली मेडिकल कॉम्प्लिकेशंस भी कवर होंगे.
  • सरोगेसी के लिए पुरुषों एवं महिलाओं की उम्र क्रमशः 26-55 एवं 25-50 वर्ष होनी चाहिए.
  • पति एवं पत्नी दोनों को ही भारतीय नागरिक होना चाहिए.
  • कम से कम 5 वर्षों से दोनों शादीशुदा जीवन जी रहे हों और 5 साल के बाद भी अगर उनकी कोई संतान नहीं हुई, तो ही सरोगेसी का सहारा ले सकते हैं.
  • कपल ने किसी को भी अपनी संतान के रूप में गोद नहीं लिया हो.
  • सरोगेसी के जरिए जो संतान प्राप्त हुई है. अगर वह फिजिकली या मेंटली स्वस्थ नहीं है या कोई गंभीर मेडिकल डिसऑर्डर है, तो सरोगेसी का सहारा ले सकते हैं.
  • कोई भी कुंवारी लड़की सरोगेट मदर नहीं बन सकती है.
  • सरोगेट मदर को जीवन में कम से कम एक बार विवाहित जरूर होना चाहिए.
  • सरोगेट मदर की अपनी एक संतान जरूर होनी चाहिए.
  • सरोगेट मदर बनने वाली महिला की उम्र 25 से 35 वर्ष के बीच ही होनी चाहिए.
  • कोई भी व्यक्ति अपने निकटतम संबंधियों में से ही किसी को सरोगेट मदर के रूप में चुन सकता है.
  • किसी अनजान लड़की या महिला का सरोगेट मदर के रूप में चयन नहीं कर सकते हैं.
  • कोई भी महिला अपने जीवन काल में केवल एक बार ही अपनी कोख को किराए पर दे सकती है.

सरोगेट मदर बनने के पहले उसके पास मेडिकल एवं साइकोलॉजिकल फिटनेस सर्टिफिकेट जरूर होना चाहिए.

कानून में सरोगेट मदर के हितों का भी रखा गया है ध्यान

सरोगेट मदर के हितों को ध्यान में रखते हुए उसकी सुरक्षा की बात की गई है. ताकि अगर किसी भी समय उसको लगता है कि यह उसके लिए सुरक्षित नहीं है. तो महिला सरोगेट मदर बनने से इंकार कर सकती है. ऐसा वह अपने गर्भ में भ्रूण के प्रतिस्थापित करने के पहले कभी भी कर सकती है. सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2019 और असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नॉलॉजी बिल 2020 में इस बात का भी प्रावधान किया गया है कि सरोगेसी के जरिए जो संतान पैदा होगी, उसे हर हाल में कपल को अपने साथ रखना होगा. किसी भी बहाने से उसे छोड़ना गैर कानूनी अपराध माना जाएगा.

Surrogate mother must be married at least once in life
सरोगेट मदर को जीवन में कम से कम एक बार विवाहित जरूर होना चाहिए


सरोगेसी के कॉमर्शियल इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक

इस बिल में सरगोसी के कॉमर्शियल इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है. कोई भी सरोगेसी क्लीनिक किसी भी माध्यम से चाहे वह इलेक्ट्रॉनिक हो या प्रिंट मीडिया या सोशल मीडिया के माध्यम से अपने सरोगेसी क्लीनिक का विज्ञापन नहीं निकाल सकती है. क्लीनिक बच्चों के लिंग निर्धारण नहीं कर सकते हैं. सरोगेसी की पूरी प्रक्रिया रजिस्टर्ड सरोगेसी क्लीनिक में ही हो सकती है.

सरोगेसी में पैसों का लेनदेन हुआ तो सख्त सजा होगी

कॉमर्शियल सरोगेसी के माध्यम से माता-पिता बनने वाले कपल के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. अगर पहली बार उनसे यह गलती होती है, तो इसके लिए उन्हें 5 साल के लिए जेल की सजा और पांच लाख का जुर्माना देना होगा. इसके बाद होने वाली हर गलती के लिए 10 साल की जेल की सजा एवं 10 लाख का जुर्माना भरना होगा. यह अपराध हर हाल में गैर जमानती होगा.

देश में केवल 2 फीसदी ART सेंटर्स ही रजिस्टर्ड

नि:संतान दंपतियों को संतान सुख देने का दावा करने वाले करीब 20 हजार IVF सेंटर देश भर में चल रहे हैं. इनमें से महज 20 प्रतिशत IVF सेंटर ही ICMR यानी Indian Council of Medical Research में रजिस्टर्ड हैं. बाकी सभी सेंटर अवैध रूप से चलाए जा रहे हैं. हैरानी की बात तो यह है कि सरोगेसी के इस्तेमाल से कपल को संतान सुख देने का दावा करने वाले ART सेंटर्स में से महज 2 परसेंट ही रजिस्टर्ड हैं. ज्यादातर IVF और ART सेंटर्स बिना रजिस्ट्रेशन के ही चल रहे हैं. ये ART व IVF सेंटर्स नि:संतान दंपतियों को संतान सुख का लालच देकर उनसे मोटी रकम वसूल रहे हैं. सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2019 और असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नॉलॉजी बिल 2020 के जरिए इन पर नकेल तो कसेगी ही नि:संतान संपतियों को सही और नैतिक रास्ते से बच्चा मिल सकेगा.

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