नई दिल्ली: दुनिया में 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. आज किसी भी क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से कम नहीं हैं. ईटीवी भारत आज आपको ऐसी ही एक महिला आईपीएस अधिकारी से मिलवा रहा है. यह महिला हैं 2010 बैच की आईपीएस मध्य जिला डीसीपी श्वेता चौहान. श्वेता चौहान 64 साल के इतिहास में मध्य जिला की पहली महिला डीसीपी हैं. संवेदनशील जिला होने के चलते जहां इस चुनौतीपूर्ण जिले की कमान वह बखूबी संभाल रही हैं तो वहीं इसके साथ महिलाओं को मजबूत बनाने के लिए भी लगातार काम कर रही हैं.
डीसीपी श्वेता चौहान ने बताया कि बचपन से ही वह देश सेवा करना चाहती थीं. पढ़ाई के बाद उन्होंने डीयू में इंग्लिश लिटरेचर पढ़ाया. उनका मानना है कि शिक्षा देना एक महत्वपूर्ण काम है, लेकिन पुलिस फोर्स में रहते हुए आप समाज के लिए ज्यादा काम कर सकते हैं. इसलिए उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की और 2010 बैच की आईपीएस अधिकारी बनी. उन्होंने महसूस किया कि पुलिस में रहते हुए वे ज्यादा लोगों के लिए काम कर सकती हैं. उनकी शिकायतों का निवारण कर उन्हें राहत पहुंचा सकती हैं. पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने विश्वास जताते हुए मध्य जिला की कमान सौंपी जहां उनसे पूर्व कभी कोई महिला डीसीपी नियुक्त नहीं रही.
डीसीपी श्वेता चौहान ने बताया कि उन्होंने हाल ही में एक प्रशिक्षण केंद्र जीबी रोड इलाके में खोला है. यहां पर सेक्स वर्कर को सिलाई एवं मेडिकल अटेंडेंट का कोर्स कराया जा रहा है. उन्हें कंप्यूटर की बेसिक ट्रेनिंग भी दी जा रही है. उनका मानना है कि इससे वह रोजगार पाने के काबिल बनेंगी और अपने पैर पर खड़ी होंगी. वह इस नारकीय जीवन को छोड़कर एक नई जिंदगी शुरू कर सकेंगी.
डीसीपी श्वेता चौहान ने बताया कि उन्होंने अपने जिले में महिला पुलिसकर्मियों को मजबूत बनाने के लिए प्रशक्ति कार्यक्रम चलाया है. इसके तहत महिला पुलिसकर्मियों को फील्ड ड्यूटी में उतारा गया है. उनके वीरा स्क्वाड में महिला पुलिसकर्मियों की टीम है जो स्कूटी पर गश्त करती हैं. उन्होंने बीट एवं सब डिवीजन में महिला पुलिसकर्मी को तैनात किया है. जीबी रोड पर बनाई गई पिंक चौकी की कमान भी महिला सब इंस्पेक्टर को सौंपी गई है. यह महिला पुलिसकर्मी किसी भी पुरुष पुलिसकर्मी से कम नहीं हैं.
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