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डीयू शिक्षक से तय किया आईपीएस का सफर, बनी मध्य जिला की पहली महिला डीसीपी

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Published : Mar 1, 2022, 2:21 PM IST

ईटीवी भारत से खास बातचीत में महिला आईपीएस अधिकारी श्वेता चौहान अपने चुनौतीपूर्ण पेशे के बारे में बताया, साथ ही डीयू में इंग्लिश लिटरेचर से लेकर आईपीएस अधिकारी बनने तक के अपने सफर के अनुभव को भी हमसे साझा किया.

डीयू शिक्षक से तय किया आईपीएस का सफर
डीयू शिक्षक से तय किया आईपीएस का सफर

नई दिल्ली: दुनिया में 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. आज किसी भी क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से कम नहीं हैं. ईटीवी भारत आज आपको ऐसी ही एक महिला आईपीएस अधिकारी से मिलवा रहा है. यह महिला हैं 2010 बैच की आईपीएस मध्य जिला डीसीपी श्वेता चौहान. श्वेता चौहान 64 साल के इतिहास में मध्य जिला की पहली महिला डीसीपी हैं. संवेदनशील जिला होने के चलते जहां इस चुनौतीपूर्ण जिले की कमान वह बखूबी संभाल रही हैं तो वहीं इसके साथ महिलाओं को मजबूत बनाने के लिए भी लगातार काम कर रही हैं.

डीसीपी श्वेता चौहान ने बताया कि बचपन से ही वह देश सेवा करना चाहती थीं. पढ़ाई के बाद उन्होंने डीयू में इंग्लिश लिटरेचर पढ़ाया. उनका मानना है कि शिक्षा देना एक महत्वपूर्ण काम है, लेकिन पुलिस फोर्स में रहते हुए आप समाज के लिए ज्यादा काम कर सकते हैं. इसलिए उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की और 2010 बैच की आईपीएस अधिकारी बनी. उन्होंने महसूस किया कि पुलिस में रहते हुए वे ज्यादा लोगों के लिए काम कर सकती हैं. उनकी शिकायतों का निवारण कर उन्हें राहत पहुंचा सकती हैं. पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने विश्वास जताते हुए मध्य जिला की कमान सौंपी जहां उनसे पूर्व कभी कोई महिला डीसीपी नियुक्त नहीं रही.

डीयू शिक्षक से तय किया आईपीएस का सफर
डीसीपी श्वेता चौहान ने बताया कि मध्य जिला में अलग-अलग समुदाय के लोग रहते हैं. इसकी वजह से यह जिला संवेदनशील माना जाता है. लेकिन वह पूरी मेहनत के साथ इस जिले को बेहतर करने के लिए काम कर रही हैं. उन्होंने बताया कि पुलिसिंग का जेंडर से कोई लेना देना नहीं है. पुरुष हो या महिला वह केवल अधिकारी होते हैं. उनका काम जनता को सुरक्षित माहौल देना और अपराध के खिलाफ काम करना होता है. महिलाओं की सुरक्षा उनके लिए पहली प्राथमिकता है. इसके लिए वह लगातार ऐसा माहौल बनाने की कोशिश कर रही हैं, जहां महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस करें. महिलाओं के साथ होने वाले अपराध जैसे छेड़छाड़, झपटमारी, लूट, फबती कसना आदि को लेकर वह पूरी गंभीरता से काम करती हैं. महिलाओं को जब सुरक्षित माहौल मिलेगा तभी वह जीवन में आगे बढ़ पाएंगी. डीसीपी श्वेता चौहान ने बताया कि देश की बेटियों को वह कहना चाहेंगी कि आगे बढ़ने के लिए शिक्षित होना आवश्यक हैं. शिक्षा ही आपको मजबूत बनाता है. इसलिए उन्हें पढ़ाई पर खास ध्यान देना चाहिए. वह खुद तीन बहनें हैं, जिनमें सबसे बड़ी वह हैं. लड़कियों को सपने देखने चाहिए और उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करनी चाहिए. सपने आपको दिशा देंगे और निश्चित ही आपको कामयाबी मिलेगी.डीसीपी श्वेता चौहान ने बताया कि उन्होंने 22 अक्टूबर को पहला पिंक बूथ करोल बाग में खोला था. यहां पर महिला पुलिसकर्मी तैनात हैं जहां कोई भी महिला अपनी शिकायत आसानी से कर सकती हैं. इसके अलावा वहां पर लॉस्ट रिपोर्ट दर्ज करने, एफआईआर की कॉपी देने, ई- एफआईआर दर्ज करने, कानूनी जानकारी आदि की सुविधा भी दी जाती है. उनके इस प्रयास कप सराहा गया और अभी तक दिल्ली में 48 पिंक बूथ खोले जा चुके हैं.

डीसीपी श्वेता चौहान ने बताया कि उन्होंने हाल ही में एक प्रशिक्षण केंद्र जीबी रोड इलाके में खोला है. यहां पर सेक्स वर्कर को सिलाई एवं मेडिकल अटेंडेंट का कोर्स कराया जा रहा है. उन्हें कंप्यूटर की बेसिक ट्रेनिंग भी दी जा रही है. उनका मानना है कि इससे वह रोजगार पाने के काबिल बनेंगी और अपने पैर पर खड़ी होंगी. वह इस नारकीय जीवन को छोड़कर एक नई जिंदगी शुरू कर सकेंगी.

डीसीपी श्वेता चौहान ने बताया कि उन्होंने अपने जिले में महिला पुलिसकर्मियों को मजबूत बनाने के लिए प्रशक्ति कार्यक्रम चलाया है. इसके तहत महिला पुलिसकर्मियों को फील्ड ड्यूटी में उतारा गया है. उनके वीरा स्क्वाड में महिला पुलिसकर्मियों की टीम है जो स्कूटी पर गश्त करती हैं. उन्होंने बीट एवं सब डिवीजन में महिला पुलिसकर्मी को तैनात किया है. जीबी रोड पर बनाई गई पिंक चौकी की कमान भी महिला सब इंस्पेक्टर को सौंपी गई है. यह महिला पुलिसकर्मी किसी भी पुरुष पुलिसकर्मी से कम नहीं हैं.

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