यदि विपरीत परिस्थितियों में भी अपने कर्म में डटे रहें और हार जीत, लाभ हानि, यश अपयश की चिंता किये बिना अपने लक्ष्य पर अपना ध्यान केन्द्रित करते हैं तो निश्चित ही हम सभी बाधाओं को पार कर सकते हैं.
पॉजिटिव भारत पॉडकास्ट में आइए एक रोचक कहानी आपको सुनाते हैं.....एक बार की बात है, एक जंगल में एक हिरनी गर्भवती थी और वह अपने बच्चे को जन्म देने के लिए उपयुक्त स्थान ढूढ़ रही थी, चलते-चलते उसे नदी के किनारे ऊंची और घनी घास की झाड़ी दिखाई दी, जिसे देखकर हिरनी ने बच्चे को जन्म देने के लिए उपयुक्त स्थान चुना.
हिरनी जैसे ही उन झाड़ियों के बीच पहुंची, उसे प्रसव पीड़ा शुरू होने लगी और इसी बीच आसमान में घने बादल बरसने के लिए तैयार थे, बिजली का भी कड़कना शुरू हो गया था. जिसे देखकर हिरनी काफी घबरा गई. इसी बीच हिरनी की नजर दायीं तरफ गई, जहां एक शिकारी पहले से ही अपने बाण पर तीर लगाकर शिकार की तलाश में था. ऐसे में हिरनी ने बायीं तरफ मुड़ना चाहा, लेकिन वहां एक शेर पहले ही घात लगाये खड़ा था. हिरनी की घबराहट और बढ़ गई इसी बीच उसने देखा कि आगे जंगल में आग लगी हुई है और उसके पीछे गहरा दरिया है.
अब हिरनी जाती तो कहां जाती उसके चारों तरफ मौत मुंह बाये खड़ी थी. एक तरह जहां वह प्रसव पीड़ा उसे सता रही थी तो दूसरी तरफ चारों ओर से वह मौत से घिर गयी थी. अब ऐसी स्थिति में हिरनी का बचना मुश्किल था. सामने भयंकर आग तो पीछे नदी का बहता पानी उसे डुबाने के लिए काफी था. अब या तो हिरनी शेर का निवाला बनती या फिर शिकारी के हाथों मारी जाती.
ऐसे विपरीत समय में हिरनी ने सारी चिंताएं छोड़कर अपने आपको नियति के हवाले छोड़ दिया और सोचने लगी जो भी होगा वह ईश्वर की इच्छा से ही होगा. वह समस्याओं से बेपरवाह होकर अपने बच्चे को जन्म देने में लग गयी इसी बीच कुदरत का ऐसा करिश्मा हुआ, जिसने परिस्थिति को बदलकर रख दिया.
शिकारी ने हिरनी के ऊपर बाण चलाना चाहा, उसकी आंखे बिजली की चमक से चौंधिया गयी जिसकी वजह से उसका बाण हिरनी को लगने की बजाय शेर की आंखों में जा लगा जिसकी वजह से शेर दहाड़ता हुआ, इधर उधर भागने लगा. घायल शेर को देखकर शिकारी भी डर गया और वहां से भाग गया और इसी बीच जोरों से बारिश भी होने लगा, जिससे घास में लगी आग भी बुझ गयी. इस प्रकार हिरनी के सामने आईं सभी मुसीबतें एक साथ खत्म हो गईं और उसने आराम से अपने बच्चे को जन्म दिया.
तो आपने सुना कि किस प्रकार हिरनी ने अपने ऊपर आयीं मुसीबतों पर ध्यान न देते हुए अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया और उस पर आईं सारी विपत्तियां एक क्षण में समाप्त हो गईं. ठीक ऐसे ही क्षण हम सभी के जीवन में कई बार आते हैं, जब हम खुद को चारो तरफ से कठिनाईयों से घिरा हुआ पाते हैं और कोई ठोस निर्णय भी नहीं ले पाते हैं. ऐसी स्थिति में सबकुछ ईश्वर की इच्छा मानकर नियति पर छोड़ देना ही उचित होता है क्योकि कहा भी गया है जो होता है वो अच्छे के लिए होता है.