नई दिल्ली: फिल्मी परिवार से ताल्लुकात रखने वाले गोविंदा ने फिल्मी करियर में एक से बढ़कर एक कमाल की फिल्में दी, लेकिन उनकी बॉलीवुड जगत में मिली, इस सफलता के पीछे संघर्ष भी बहुत है.
किस्सा तबका है, जब गोविंदा के पिता अरुण आहूजा फिल्मी दुनिया में सिक्का जमाने का प्रयास कर रहे थे. अरुण आहूजा एक एक्टर थे और उन्होंने लगभग 40 फिल्मों में काम किया था, लेकिन बड़ी स्क्रीन पर कई फिल्में कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई थी. इसको लेकर अरुण आहूजा पर काफी आर्थिक दबाव रहा करता था. अरुण आहूजा ने इस बीच एक फिल्म बनाने की सोची, उन्होंने अपना सारा पैसा और बचत इस फिल्म में लगा दी, लेकिन इस बार भी उनकी किस्मत खराब ही निकली. अरुण आहूजा की बनाई यह फिल्म भी फ्लॉप रही और उनका सारा पैसा डूब गया. इसके बाद कार्टर रोड स्थित बंगले को भी बेचना पड़ा. इसके बाद उनके परिवार पर आर्थिक संकट गहराता चला गया.
गोविंदा का परिवार गुजारा करने के लिए मुंबई के विरार इलाके में किसी छोटे से चॉल में रहने लगे. स्टार बनने का सपना आंखों में लिए दिन-रात यहां से बाहर निकलने के बारे में सोचने लगे और मेहनत करने में लगे रहे. इसके बाद विरार की इन गलियों से निकल कर बॉलीवुड के सुपर स्टार बनें.
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गोविंदा के जीवन और उससे जुड़े संघर्ष की यह किस्सा सिद्ध करता है कि कामयाबी का रास्ता आसान नहीं होता, लेकिन जीवन में हर इम्तिहान को पास कर आगे बढ़ना ही सफलता का एकमात्र रास्ता है.
जीवन की स्थिति हम पर क्या प्रभाव डालती है, यह निर्भर करता है हमारे रवैये पर. अगर आप सकारात्मक सोचते हैं, तो आप निश्चयी ही कुछ बड़ा हासिल कर सकते हैं, लेकिन अगर आप स्थिति या बुरे वक्त को लेकर नकारात्मक विचार रख रहें हैं, तो शायद आपको सफलता हासिल करने में कई सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़े.
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