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Positive Bharat Podcast: चक्रव्यूह और अभिमन्यु वध, परिवार की रक्षा के लिए दिया अपना बलिदान

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Published : Oct 4, 2021, 10:20 AM IST

Updated : Oct 4, 2021, 1:50 PM IST

ETV BHARAT POSITIVE PODCAST STORY FROM MAHABHARATA
चक्रव्यूह और अभिमन्यु वध

आज के भाग-दौड़ भरी जींदगी में वक्त निकाल कर अपने परिवार में प्यार और एकता कैसे बनाए रखें ये बातें ग्रंथों के कुछ प्रसंगों से सिखी जा सकती है. आज के पाॅडकास्ट में सुनेंगे महाभारत में वीर अभिमन्यु ने कैसे अपने परिवार की रक्षा को प्राथमिकता देते हुए खुद को बलिदान कर दिया.

नई दिल्ली: आज का दौर ऐसा है, जिसमें लोगों के पास अपनों को देने के लिए समय केवल नाम मात्र ही सीमित है. ऐसे में परिवार के सदस्यों में व्यावहारिकता की डोर कमजोर होती चली जा रही है (Family Problem). लोगों के अंदर स्वार्थ इस कदर बढ़ गया है कि वह पहले खुद के लिए सोचते हैं, फिर परिवार और अन्य के लिए, यही आज के वक्त में परिवार के सदस्यों के बीच मनमुटाव (Family Issue) का एक मुख्य कारण है.

चक्रव्यूह और अभिमन्यु वध

लेकिन अगर वही व्यक्ति अपने फायदे से पहले अपने परिवार का सोचे तो? अगर ऐसा किया जाए तो जरूर परिवार और उसके सदस्यों के बीच एक बेहतर (Family Healthy Relationship) रिश्ता बन सकेगा और ऐसे व्यक्ति के लिए घर के बाकी लोगों का नजरिया (Family Positive Relationship) सकारात्मक हो पाएगा, साथ ही आपस में प्रेम भी बढ़ेगा.

लेकिन ऐसा किया कैसे जाए, इसका जवाब महाकाव्य महाभारत (Mahabharata) देता है.

युद्ध के मैदान में जब द्रोणाचार्य (Mahabharata Dronacharya) ने देखा कि अर्जुन अपना रथ लेकर दूर निकल गए हैं, तब उन्होंने महाराज युधिष्ठिर (Mahabharata Yudhisthira) को बंधक बनाने के लिए चक्रव्यूह का निर्माण कर दिया. चारों पांडव (Mahabharata Pandavas) भय और चिंता से घिर गए क्योंकि युधिष्ठिर के बंधक बन जाने का मतलब था पांडवों की हार.

ऐसे में अर्जुन पुत्र वीर अभिमन्यु (Arjuna's son Abhimanyu) ने युधिष्ठिर से कहा कि मैं चक्रव्यूह भेदना जानता हूं और वह चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए निकल पड़ा. अभिमन्यु को यह अच्छी तरह ज्ञात था कि उसे इस चक्रव्यूह से बाहर निकलना नहीं आता, फिर भी अपने परिवार की रक्षा के लिए नितांत अकेला अंदर घुसता चला गया. वीर अभिमन्यु (Mahabharata Abhimanyu) ने इस विशाल चक्रव्यूह के छह चरण पार कर लिए, लेकिन 7वें और आखिरी चरण पर दुर्योधन, कर्ण, द्रोणाचार्य आदि सहित 7 महारथियों से लड़ते वक्त वह वीरगति को प्राप्त हो गए (Mahabharata Abhimanyu Chakravyu).

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अभिमन्यु ने अपनी जान की परवाह किए बिना ही पहले अपने परिवार की हिफाजत को प्राथमिकता दी. अभिमन्यु ने अपने परिवार का हित ध्यान में रखते हुए वीरता पूर्वक अपना बलिदान दिया, जो आज के दौर में हमें यह सिखाता है कि अपने परिवार और अपनों के प्रति कैसी भावना होनी चाहिए, जिससे हम अपने पारिवारिक रिश्तों में मजबूती ला सकें.

ग्रंथ के इस प्रसंग से छोटी-छोटी बातें सीखकर परिवार को साथ लेकर चला जा सकता है और अपने जीवन में सकारात्मकता की एक नई उर्जा लाई जा सकती है.

Last Updated :Oct 4, 2021, 1:50 PM IST
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