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Positive भारत Podcast: एक एथलीट जो खुद रेस जीत सकता था, लेकिन उसने आगे वाले को जिताया

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Published : Aug 6, 2021, 9:33 AM IST

PODCAST PROGRAM ON Evan Fernandez
खेल में हार कर भी गया जीता ये खिलाड़ी

खेल प्रतिस्पर्धा में हार-जीत का सिलसिला लगा रहता है, लेकिन कई बार खेल के मैदान से ऐसी तस्वीरें सामने आती हैं, जिसमें खिलाड़ी हारकर भी जीत जाता है, आज के पाॅडकास्ट में हम आपको एक ऐसी ही कहानी सुना रहे हैं.

नई दिल्ली: टोक्यो ओलंपिक 2020 का आज 15वां दिन है, देश दुनिया के लोगों की जुबान से ओलंपिक खेलों के रोमांच की बातें हटने का नाम नहीं ले रहीं. खेलों के इस महाकुंभ में दुनिया भर का थ्रिल और एक्शन देखने को मिल जाता है, लेकिन कई बार दर्शकों की नजरों में कुछ ऐसे पल कैद हो जाते हैं, जो खेल में सामने वाले का नजरिया बदल देते हैं, अक्सर ऐसी तस्वीरों में आप खिलाड़ी को खेल जीतते तो नहीं देख पाते, लेकिन खिलाड़ी लोगों का दिल जरुर जीत लेते हैं.

2012 के क्रॅास कंट्री रेस इवेंट में एक से बढ़कर एक दिग्गज धावक शुमार हुए थे, इन दिग्गजों में केनिया के सुप्रसिद्ध धावक अबेल मुताई का नाम भी शामिल था. प्रतियोगिता शुरू हुए वक्त हो चला था, ऐसे में सारे खिलाड़ी ट्रैक पर दोड़ना शुरू कर चुके थे, कुछ देर तक चले इस सिलसिले के बाद प्रतियोगिता का अंतिम राउंड आ गया था, दर्शकों की भीड़ अंतिम रेखा के सबसे करीब खिलाड़ी अबेल मुताई के नाम का जयघोष कर रही थी.

खेल में हार कर भी गया जीता ये खिलाड़ी

अंतिम रेखा के कुछ मीटर की ही दूरी के साथ अबेल ने लगभग स्वर्ण पदक जीत ही लिया था, लेकिन तभी कुछ गलतफहमी के कारण वे अंतिम रेखा, समझकर एक मीटर पहले ही रुक गए. पीछे से आ रहे तेज रफ्तार धावकों ने ऐसा होता देख अपने दौड़ने की रफ्तार बढ़ा ली, शायद अभी भी उन्हें अबेल मुताई को मात देकर जीतने की उम्मीद थी, लेकिन अबेल के बिल्कुल पीछे आ रहे दूसरे धावक स्पेन के इव्हान फर्नांडिस अबेल को हुई गलतफहमी को भाप गए, फर्नांडिस ने तुरंत कुछ ऐसा करने का फैसला किया, जिसे देख पूरी दुनिया हैरान हो गई.

इव्हान फर्नांडिस ने तुरंत चिल्लाकर अबेल को आगे जाने के लिए कहा, लेकिन स्पेनिश समझ न पाने के कारण अबेल अपनी जगह पर टीके रहे. फर्नांडिस ने एक-दो बार ऐसा करने की कोशिश की, लेकिन अबेल की कोई हरकत न होते देख, उन्होंने अबेल को जोर का धक्का दिया, और अंतिम रेखा तक पहुंचा दिया और उसके बाद खुद अंतिम रेखा तक दौड़ लगाकर दूसरे स्थान पर पहुंच गए, इस तरह अबेल ने प्रथम और इव्हान ने दूसरा नंबर हासिल किया. इस तस्वीर को देख हर कोई अचम्भित था.

बाद में जब पत्रकारों ने इव्हान से पूछा कि मौका मिलने के बावजूद आपने प्रथम क्रमांक क्यों गंवाया, आप स्वर्ण पदक आसानी से जीत सकते थे. तब इव्हान ने जवाब दिया कि अबेल प्रथम ही थे. यह प्रतियोगिता उन्हीं की थी." मेरे स्वर्ण पदक जीतने का क्या अर्थ है, क्या मेरे पदक को सम्मान मिलता, क्या मेरी मां इस पदक को अपना पाती. मेरा मानना है कि संस्कार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक आगे जाते रहते हैं. दूसरों की दुर्बलता या अज्ञान का फायदा न उठाते हुए उनको मदद करने की सीख मेरी मां ने मुझे दी है.

पोडियम की इस प्रतिस्पर्धा में ऐसी मजबूत खेल भावना को देख, दर्शकों ने ताली बजाकर इव्हान की जमकर सरहाना की, बाद में खेल जगत के लिए यह एक ऐसा किस्सा साबित हुआ, जिसे हर खिलाड़ी आज भी याद करता है.

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