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संघर्षों भरा रहा पद्मश्री दुलारी देवी का जीवन, मिथिला पेंटिंग से मिली पहचान

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Published : Nov 14, 2021, 12:05 AM IST

मिथिला पेंटिंग दुनियाभर में मशहूर है. इस बार इस पेटिंग के लिये बिहार की दुलारी देवी को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है. दुलारी देवी का पद्म सम्मान तक का यह सफर काफी मुश्किल भरा रहा. आइये जानते हैं गांव से पद्मश्री सम्मान पाने तक का सफर, उनकी जुबानी.

dulari devi interview
dulari devi interview

नई दिल्लीः यदि हौसला बुलंद हो और कुछ करने का जज्बा हो, तो कामयाबी जरूर मिलती है. यह लाइन बिहार की दुलारी देवी, जिन्हें हाल ही में मिथिला पेंटिंग (Mithila painting) के लिए पद्मश्री अवार्ड (padma shri awardee) से सम्मानित किया गया है, पर सटीक बैठती है. दुलारी देवी (padma shri awardee Dulari Devi) का जीवन संघर्षों से भरा हुआ है. बीते सप्ताह उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया. पद्मश्री अवार्ड पाने को लेकर ईटीवी भारत ने दुलारी देवी से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि यह काफी खुशी की बात है कि राष्ट्रपति ने सम्मानित किया है. 14 नवंबर से शुरू हो रहे ट्रेड फेयर में पर्यटक बिहार के पवेलियन में दुलारी देवी की मिथिला पेंटिंग का लाइव डेमो देख सकेंगे.

ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए पद्मश्री दुलारी देवी ने कहा कि इस सम्मान के नाम की घोषणा के बाद चारों तरफ से बधाई संदेश आने लगे थे. कभी अवार्ड के बारे में नहीं सोचा था, लेकिन यह गौरव की बात है. इस सरकार ने हम जैसे इंसान को इस सम्मान के लायक समझा है. सम्मान समारोह के दौरान राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी बात करने का मौका मिला, यह जीवन के खुशनुमा पलों में से एक है.

दुलारी देवी साक्षात्कार

दुलारी देवी से जब पेंटिंग में उनकी रुचि को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि परिवार में दूर-दूर तक मिथिला पेंटिंग से किसी का कोई वास्ता नहीं था. परिवार के लोग पेंटिंग को लेकर काफी नाराज रहते थे, लेकिन पेंटिंग करने का शौक था. यह शौक कर्पूरी देवी के संपर्क में आने से पूरा हो गया. दुलारी देवी (padma shri awardee Dulari Devi) ने कहा कि पेंटिंग कर्पूरी देवी से सीखी है. शुरुआत के दिनों में पेंटिंग करने के लिए सामान नहीं रहता था. लकड़ी को ही ब्रश बना लिया करते थे और मिट्टी पर चित्र बनाना शुरू कर दिया करते थे. दुलारी देवी ने कहा कि इसको लेकर मां से काफी डांट मिलती थी. जमीन पर लकीरें बनाते हुए देखने पर कहती थीं कि जमीन पर लकीर खींचने से लोग भीखमंगे हो जाते हैं.

दुलारी देवी ने कहा कि पेंटर गौरी मिश्रा ने मिथिला पेंटिंग को बढ़ाने के लिए एक संस्था का गठन किया था. कर्पूरी देवी ने उनका नाम यहां पर लिखा दिया था. यहां पर 16 साल तक काम किया. इस दाैरान एक पेंटिंग के लिये पांच रुपये मिलते थे. उन दिनों में परिवार की स्थिति ठीक नहीं थी.

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वहीं, दुलारी देवी ने कहा कि मिथिला पेंटिंग कला को आगे बढ़ाने के लिए बिहार सरकार ने उन्हें बच्चों को पढ़ाने के लिए कहा, जिस पर उन्होंने बिहार सरकार से कहा कि बच्चों को कैसे पढ़ा सकती हूं. मालूम हो कि दुलारी देवी पढ़ी-लिखी नहीं हैं. वह केवल अपना नाम बमुश्किल लिखना जानती हैं. उन्होंने कहा कि इस पर बिहार सरकार ने कहा कि वहां पर बच्चों को मिथिला पेंटिंग की कला को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें शिक्षित करना है. उन्होंने कहा कि वह खुद भी एक स्कूल चला रही हैं, जहां पर बच्चों को पेंटिंग सिखाती हैं.

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दुलारी देवी ने कहा कि फूल, पत्ती से रंग बनाकर पेंटिंग में उपयोग किया जाता है, लेकिन वह बाजार में मिलने वाले रंगों का ही पेंटिंग बनाने के लिए उपयोग करती हैं. इसके अलावा भगवान गणेश, रामायण, सीता स्वयंवर, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और बच्चों आदि पर पेंटिंग बनाना काफी पसंद है. उन्होंने उभरते कलाकारों को संदेश देते हुए कहा कि पढ़ाई सबसे ज्यादा जरूरी है. साथ ही कामयाबी पाने के लिए धीरज और धैर्य रखना बहुत जरूरी है.

दुलारी देवी ने कहा कि दो साल से कोविड-19 की वजह से काफी परेशानी आ रही है. केवल कोविड-19 की वजह से, उन्हें ही नहीं सभी कलाकारों को परेशानी आ रही है. मौजूदा स्थिति को देखते हुए सरकार को सभी कलाकारों की हर प्रकार से मदद करनी चाहिए, जिससे कि कला बची रहे और आगे बढ़े. उन्होंने कहा कि कलाकार के लिए केवल कला ही आधार है. पहले पेंटिंग विदेशों में भी बेची जाती थी, लेकिन अब यह संभव नहीं हो पा रहा है.


दुलारी देवी को वर्ष 1999 में ललित कला अकादमी, वर्ष 2012-13 में बिहार उद्योग विभाग और हाल ही में पद्मश्री अवार्ड सहित कई सम्मान अब तक मिल चुके हैं. इसके अलावा वह अब तक हजारों पेंटिंग बना चुकी हैं. दुलारी देवी मधुबनी जिले के रांटी गांव की हैं. वह पेंटिंग को लेकर पद्मश्री अवार्ड पाने वाली गांव की तीसरी महिला बन गई हैं. उनसे पहले गोदावती दत्ता और महासुंदरी देवी को सम्मान मिल चुका है.

प्रगति मैदान में आज से इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर (IITF) का 40वां संस्करण शुरू होने जा रहा है. इस वर्ष आयोजित होने वाला ट्रेड फेयर तीन गुना अधिक क्षेत्रफल में आयोजित किया जाएगा. ट्रेड फेयर के 40वें संस्करण में बिहार पार्टनर राज्य है. बिहार का पवेलियन भागलपुर सिल्क से सजाया जा रहा है. साथ ही पवेलियन में पद्मश्री दुलारी देवी सहित कई सम्मानित कलाकारों की कला को भी पर्यटक लाइव देख सकेंगे.


ईटीवी भारत ने चंद्र भूषण सिंह, प्रभारी, बिहार पवेलियन से बात की. उन्होंने बताया कि पवेलियन को भागलपुर सिल्क के कपड़े से सजाया जाएगा. पवेलियन में 50 फ़ीसदी स्टॉल पर इस वर्ष भागलपुर सिल्क का उत्पाद मिलेगा. पवेलियन में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित दुलारी देवी की कला का रोजाना पर्यटक लाइव डेमो देख सकेंगे. पर्यटक नाददा खातून सिक्की आर्ट, मनोज पंडित मंजूषा आर्ट, गोपाल पंडित टेराकोटा आर्ट की कला का भी रोज़ाना लाइव डेमो देख पाएंगे.

बिहार पवेलियन प्रभारी से बातचीत

उन्होंने बताया कि पवेलियन में बिहार सरकार द्वारा प्रोत्साहित किए जा रहे स्टार्टअप के भी स्टॉल देखने को मिलेंगे. इसमें स्टार्टअप के 41 स्टॉल रहेंगे. पूरे पवेलियन को मधुबनी पेंटिंग, मंजूषा, टेराकोटा, सिक्की आर्ट, पेपर मेसी से सजाया जाएगा. पवेलियन के अंदर और बाहर मधुबनी पेंटिंग के जरिए मां सीता स्वयंवर का दृश्य पर्यटकों को देखने को मिलेगा.


कोविड-19 नियमों का पालन करते हुए इस वर्ष ट्रेड फेयर में प्रतिदिन 35 से 40 हज़ार पर्यटकों को प्रवेश मिलेगा. 14 से 18 नवंबर तक बिजनेस डेज रहेगा. आम जनता के लिए 19 से 27 नवंबर तक ट्रेड फेयर खुला रहेगा. पर्यटक ट्रेड फेयर के लिए टिकट ऑनलाइन और दिल्ली मेट्रो के 65 स्टेशन से ले सकेंगे.

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