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EtvDharma : गुरुवार से ही शुरु हो गई कार्तिक पूर्णिमा, कल शुक्रवार 12 बजे तक है पावन दिन

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Published : Nov 18, 2021, 12:09 PM IST

Updated : Nov 18, 2021, 12:23 PM IST

गुरुवार से ही शुरु हो गई कार्तिक पूर्णिमा
गुरुवार से ही शुरु हो गई कार्तिक पूर्णिमा

शुक्रवार, 19 नवंबर को कार्तिक माह की पूर्णिमा है. इसे देवताओं की दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है, जिस कारण इसे देव दीपावली भी कहते हैं. कार्तिक मास की अंतिम तिथि यानी पूर्णिमा पर इस माह के स्नान समाप्त हो जाएंगे. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान, दीपदान, पूजा, आरती, हवन और दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.

नई दिल्ली: शुक्रवार, 19 नवंबर को कार्तिक माह की पूर्णिमा है. इसे देव दीपावली भी कहा जाता है. इस दिन गुरुनानक देव जी की जयंती भी मनाई जाती है. इसी तिथि पर भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ था. इसे भगवान विष्णु का पहला अवतार माना जाता है. प्राचीन समय में जब जल प्रलय आया था, तब मत्स्य अवतार के रूप में भगवान ने पूरे संसार की रक्षा की थी. कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस तिथि पर शिव जी ने त्रिपुरासुर नाम के दैत्य का वध किया था, इस वजह से इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा कहते हैं. कार्तिक पूर्णिमा को देवताओं की दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है. इस कारण इसे देव दीपावली कहते हैं. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दीपदान करने की परंपरा है. साथ ही हवन, दान, जप, तप आदि धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व बताया गया है. विष्णु पुराण के अनुसार, इस दिन भगवान नारायण ने मत्स्यावतार लिया था. साथ ही इस दिन उपछाया चंद्रग्रहण भी लग रहा है. जो इस दिन महत्व को और अधिक बढ़ाता है. कार्तिक मास की अंतिम तिथि यानी पूर्णिमा पर इस माह के स्नान समाप्त हो जाएंगे. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान, दीपदान, पूजा, आरती, हवन और दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़नी और सुननी चाहिए. जरूरतमंद लोगों को फल, अनाज, दाल, चावल, गरम वस्त्र आदि का दान करना चाहिए. कार्तिक पूर्णिमा पर अगर नदी में स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं तो घर ही सुबह जल्दी उठें और पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें. स्नान करते समय सभी तीर्थों का और नदियों का ध्यान करना चाहिए. सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं. जल तांबे के लोटे से चढ़ाएं. अर्घ्य देते समय सूर्य के मंत्रों का जाप करना चाहिए. किसी गौशाला में हरी घास और धन का दान करें. इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएं. ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. कर्पूर जलाकर आरती करें. शिव जी के साथ ही गणेश जी, माता पार्वती, कार्तिकेय स्वामी और नंदी की भी विशेष पूजा करें. हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें.

कार्तिक महीने का आखिरी दिन 19 नवंबर को है. इस दिन पूर्णिमा तिथि रहेगी. कार्तिक पूर्णिमा पर तीर्थ स्नान, व्रत, भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा और दीपदान करने की परंपरा है. इस दिन किए गए स्नान और दान से कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है. व्रत, पूजा-पाठ और दीपदान करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं. पुराणों में भी इस दिन को पुण्य देने वाला पर्व बताया गया है. कार्तिक के बाद मार्गशीर्ष यानी अगहन महीना शुरू हो जाएगा.

कार्तिक पूर्णिमा पर शुभ योगः

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि 19 नवंबर को छत्र योग और चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहेगा. साथ ही चंद्रमा पर बृहस्पति की दृष्टि रहेगी. इस शुभ संयोग में भगवान विष्णु की पूजा और व्रत का फल और बढ़ जाएगा. शुक्रवार को पूर्णिमा तिथि में सूर्योदय होने से इस दिन स्नान-दान, पूजा और व्रत वाली पूर्णिमा रहेगी. इस दिन देव दिवाली भी मनाई जाएगी.

देव दीपावलीः

मान्यता है कि देव दीपावली के दिन सभी देवता गंगा नदी के घाट पर आकर दीप जलाकर अपनी खुशी को दर्शाते हैं. इसीलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान का बहुत अधिक महत्व है. इस दिन नदी और तालाब में दीपदान करने से सभी तरह के संकट समाप्त हो जाते हैं और कर्ज से भी मुक्ति मिलती है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर के मुख्यद्वार पर आम के पत्तों से बनाया हुआ तोरण जरूर बांधे और दीपावली की ही तरह चारों और दीपक जलाएं.

तुलसी पूजनः

कार्तिक पूर्णिमा के दिन शालिग्राम के साथ ही तुलसी जी की पूजा की जाती है. इस दिन तुलसी पूजन का बहुत अधिक महत्व होता है. इस दिन तीर्थ पूजा, गंगा पूजा, विष्णु पूजा, लक्ष्मी पूजा और यज्ञ और हवन का भी बहुत अधिक महत्व होता है. इस दिन किए हुए स्नान, दान, होम, यज्ञ और उपासना का अनंत फल होता है. इस दिन तुलसी के सामने दीपक जरूर जलाएं. जिससे आपके मनोकामना पूरी हो और दरिद्रता दूर हो सके.

जरूरतमंदों को करें दानः

कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान करने से दस यज्ञों के समान फल प्राप्त होता है. इस दिन दान का बहुत अधिक महत्व होता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपनी क्षमता अनुसार अन्न दान, वस्त्र दान और अन्य जो भी दान कर सकते हों वह जरूर करें. इससे घर परिवार में धन-समृद्धि और बरकत बनी रहती है.

भगवान शिव बने थे त्रिपुरारीः

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक महाबलशाली असुर का वध इसी दिन किया था. इससे देवताओं को इस दानव के अत्यारचारों से मुक्ति मिली और देवताओं ने खुश होकर भगवान शिव को त्रिपुरारी नाम दिया.

भगवान विष्णुा का प्रथम अवतारः

पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि भगवान विष्णुन का प्रथम अवतार भी इसी दिन हुआ था. प्रथम अवतार के रूप में भगवान विष्णुि मत्स्ओय यानी मछली के रूप में प्रकट हुए थे. इस दिन सत्यरनारायण भगवान की कथा करवाकर जातकों को शुभ फल की प्राप्ति हो सकती है.

कार्तिक पूर्णिमा पर तिल स्नान से मिलेगी शनि दोषों से राहतः

कार्तिक पूर्णिमा पर तिल जल में डालकर स्नान करने से शनि दोष समाप्त होंगे. खासकर शनि की साढ़ेसाती. वही कुंडली में पितृ दोष, चांडाल दोष, नदी दोष की स्थिति यदि है तो उसमें भी शीघ्र लाभ होगा.

कार्तिक पूर्णिमाः

कार्तिक पूर्णिमा तिथि आरंभ- 18 नवंबर दोपहर 12:00 बजे से

कार्तिक पूर्णिमा तिथि समाप्त- 19 नवंबर दोपहर 02:26 पर

ज्योतिष के अनुसार रहे हैं कि राशि अनुसार आपको इन चीजों का दान करना चाहिए

मेष-गुड़

वृष- गर्म कपड़ों

मिथुन-मूंग की दाल

कर्क-चावल

सिंह-गेहूं

कन्या-हरे रंग का चारा

तुला भोजन

वृश्चिकृ- गुड़ और चना

धनु-गर्म खाने की चीजें, जैसे बाजरा,

मकर-कंबल

कुंभ-काली उड़द की दाल

मीन- हल्दी और बेसन की मिठाई

Last Updated :Nov 18, 2021, 12:23 PM IST
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