नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में केजरीवाल सरकार के द्वारा 12 सौ फीसदी वित्त पोषित कॉलेजों में फंड को लेकर घमासान जारी है. वहीं इससे पूरे मामले को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (DUTA) की ओर से चरणबद्ध तरीके में हड़ताल का आह्वान किया गया है. ईटीवी भारत ने इस पूरे मामले को लेकर DUTA के उपाध्यक्ष आलोक रंजन पांडे से बात की.
इस बातचीत में आलोक रंजन पांडे ने कहा कि आम आदमी की बात करने वाली दिल्ली सरकार आज शिक्षकों के साथ जिस तरीके से व्यवहार कर रही है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि सरकार को नींद से जागना होगा और जल्द ही 12 कॉलेजों का पूरा फंड जारी करना ही होगा. साथ ही उन्होंने कड़ी चेतावनी दी और कहा कि अगर सरकार ने फंड जारी नहीं किया तो आने वाले समय में शिक्षक, दाखिला प्रक्रिया और एग्जामिनेशन का भी बहिष्कार कर सकते हैं.
'सोई हुई है ये सरकार'
बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में दिल्ली सरकार के द्वारा सौ फीसदी वित्त पोषित कॉलेजों में फंड न मिलने को लेकर DUTA के द्वारा 28 सितंबर से 1 अक्टूबर तक क्लस्टर वॉइस स्ट्राइक बुलाई गई है. वहीं इस पूरे मामले को लेकर डूटा उपाध्यक्ष आलोक रंजन पांडे ने कहा कि यह सरकार सोई हुई है. उसे जगाने के लिए हम चरणबद्ध तरीके से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि चरणबद्ध तरीके से विरोध-प्रदर्शन कर सरकार को यह बताना चाह रहे हैं कि जो सरकार आम आदमी की दुहाई देते हुए सत्ता में आई थी.
आज फंड न जारी करने की वजह से शिक्षक और कर्मचारियों की स्थिति बदहाल हो गई है. साथ ही कहा कि शिक्षक और कर्मचारी लगातार काम कर रहे हैं. छात्रों को पढ़ा रहे हैं. लेकिन उन्हें पिछले 5 महीने से वेतन नहीं मिल रहा है. यह सरकार का एक अमानवीय चेहरा है. पांडे ने सवाल किया और कहा कि अगर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस समय खुद नौकरी-पेशा में होते और उन्हें इतने दिन की सैलरी नहीं मिलती तो वह इस महामारी के दौर में किस तरह से अपने घर का खर्चा चलाते. यह सोच कर उन्हें सैलरी जल्द जारी करनी चाहिए.
'दो अक्टूबर को शिक्षक उतरेंगे सत्याग्रह पर'
DUTA उपाध्यक्ष आलोक रंजन पांडे ने कहा कि अब हमारे पास प्रदर्शन के अलावा कोई रास्ता नहीं है. उन्होंने कहा कि सब कुछ कर चुके, लेकिन सरकार की नींद नहीं खुल रही है. अगर सरकार की नींद नहीं खुली तो अब हम 2 अक्टूबर से सत्याग्रह करने जा रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि शिक्षक इस समय जान हथेली पर रखकर काम कर रहे हैं और सरकार शिक्षकों को अंग्रेजों की तरह 'बांटो और राज करो' नीति पर काम कर रही है. सरकार ने 6 कॉलेजों का कुछ फंड जारी किया, वह भी अपर्याप्त है. लेकिन यह सब नहीं चलेगा सरकार को पूरे 12 कॉलेजों का फंड जारी करना होगा.
'स्टूडेंट्स के नुकसान के लिए जिम्मेदार होगी सरकार'
DUTA उपाध्यक्ष ने कहा कि अगर सरकार ने फंड जारी नहीं किया तो दिल्ली विश्वविद्यालय में होने वाले दाखिला प्रक्रिया और परीक्षा का हम सभी शिक्षक बहिष्कार करने के लिए मजबूर हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि कब तक शिक्षक खाली पेट काम करते रहेंगे. सरकार अगर नहीं जागी तो हमें यह कदम उठाना पड़ेगा और स्टूडेंट्स को जो नुकसान होगा. उसके लिए दिल्ली सरकार जिम्मेदार होगी.
बता दें कि DUTA की ओर से दिल्ली विश्वविद्यालय में दिल्ली सरकार के द्वारा 12 वित्त पोषित कॉलेज में फंड न मिलने को लेकर दिल्ली विधानसभा से लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय तक में शिक्षकों के द्वारा विरोध-प्रदर्शन किया जा चुका है, लेकिन मामला जस का तस बना हुआ है. शिक्षकों की मांग है कि सरकार 12 कॉलेजों का जल्द से जल्द जारी करें और यह भेदभाव की जो नीति अपनाई जा रही है वह नहीं चलेगी.