नई दिल्ली : दिल्ली मेट्रो की सबसे महत्वपूर्ण पिंक लाइन मेट्रो आज से बिना चालक के दौड़ने लगी है. केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी एवं दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने गुरुवार को पहली ड्राइवरलेस मेट्रो को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस मौके पर डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक डॉ. मंगू सिंह सहित वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे. यात्रियों के लिए अब बिना ड्राइवर की मेट्रो चलने लगी है. इसके परिचालन के साथ ही दिल्ली मेट्रो में 95 किलोमीटर ड्राइवरलेस मेट्रो का नेटवर्क हो गया है.
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस अवसर पर कहा कि ड्राइवरलेस मेट्रो की बात करें तो भारत अभी चौथे स्थान पर है. मलेशिया की राजधानी इस सूची में तीसरे स्थान पर है. लेकिन उनका ड्राइवरलेस मेट्रो भारत से केवल एक किलोमीटर ही ज्यादा है. भारत में जिस तेजी से इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, उससे जल्द ही वह अगले पायेदान पर नजर आएंगे. उन्होंने कहा कि दिसंबर 2020 में पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल मैजेंटा लाइन पर किया गया था. एक साल से भी कम समय में डीएमआरसी ने इसमें 59 किलोमीटर नेटवर्क जोड़ दिया है. उन्होंने कहा कि वह कई देशों में सेवा कर चुके हैं लेकिन वह गर्व के साथ कह सकते हैं कि दिल्ली मेट्रो देश के कई मेट्रो नेटवर्क से बेहतर है .यह विश्व स्तरीय ऑटोमेटिक सिस्टम है.
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हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि महामारी से पहले लगभग 65 लाख यात्री रोजाना दिल्ली मेट्रो में सफर करते थे. कोविड-19 के चलते मेट्रो नेटवर्क को कई महीनों के लिए बंद करना पड़ा था. सरकार ने मेट्रो में खड़े होकर चलने की अनुमति दे दी है. जल्दी मेट्रो नेटवर्क में यात्रियों की संख्या में भी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी. उन्होंने कहा कि जब आज देश में पेट्रोल की कीमतें बढ़ रही हैं तो लोग अपनी गाड़ी को छोड़कर मेट्रो में आराम से सफर कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि 1046 किलोमीटर मेट्रो नेटवर्क बनकर तैयार हो रहा है. अभी फिलहाल 18 शहरों में मेट्रो नेटवर्क उपलब्ध है. कई राज्यों के मुख्यमंत्री अपने क्षेत्र में मेट्रो चाहते हैं. सरकार मेट्रोलाइट और मेट्रो नियो को नई जगहों पर चलाने की दिशा में काम कर रही है.
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि दुनिया में डीएमआरसी ने एक अलग पहचान बनाई है. देश में मैजेंटा लाइन से ड्राइवरलेस मेट्रो की शुरुआत 11 माह पहले हो चुकी है. कोविड महामारी के बावजूद इतने कम समय में डीएमआरसी ने पिंक लाइन को ड्राइवरलेस चलाने का काम कर दिखाया है. उन्होंने कहा कि लोगों को यह समझने की आवश्यकता है कि ड्राइवरलेस मेट्रो किसी व्यक्ति द्वारा चलाए जाने से ज्यादा सुरक्षित है. इसमें मानवीय गलती की संभावना पूरी तरीके से खत्म हो जाती है. यह पूरी तरीके से ऑटोमेटिक है और लोगों के सफर को पहले से भी सुरक्षित बनाएगी.
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डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक डॉ मंगू सिंह ने कहा कि इस मौके पर वह मेट्रो कर्मचारियों को बधाई देना चाहते हैं जिनके प्रयास से यह महत्वपूर्ण कार्य सफल हुआ है. उन्होंने बताया कि इस लाइन पर 38 मेट्रो स्टेशन बने हुए हैं जिसे 11 माह के भीतर ड्राइवरलेस नेटवर्क बनाया गया है. इसमें जहां एक तरफ बेहतर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है तो वहीं आत्मनिर्भर भारत की झलक इसमें देखने को मिलेगी. आज रोलिंग स्टॉक क्षेत्र में भी भारत आगे बढ़ रहा है. ड्राइवरलेस मेट्रो से न केवल समय की बचत होगी बल्कि ऊर्जा की भी बचत होगी. आवश्यकता पड़ने पर यह मेट्रो ट्रेन 90 सेकंड के अंतराल पर चल सकती है. अब 97 किलोमीटर लंबे नेटवर्क पर बिना ड्राइवर मेट्रो दौड़ेगी.
शहरी एवं आवासन मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि बीते वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब मैजेंटा लाइन में ड्राइवरलेस मेट्रो की शुरुआत की तो ऐसे कुछ ही देशों में शामिल हो गया जहां इस तरह की सुविधा थी. 1 साल से भी कम समय में डीएमआरसी ने दिल्ली की सबसे बड़ी लाइन को चालक रहित बना दिया है. यह कार्य कोविड-19 की परेशानियों के बीच संभव हुआ है. इस तकनीक के कई फायदे हैं. इससे यात्रियों की सुरक्षा कई गुना बढ़ जाती है. चालक सुबह 3 से 4 बजे उठकर डिपो में जाते हैं और वहां से मेट्रो ट्रेन लेते हैं. अब इसकी आवश्यकता नहीं होगी. यह ट्रेन अपने आप चलने के लिए तैयार हो जाती है. इसका ऑपरेशन बेहतर होता है.
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