नई दिल्ली: एलौपेथ को लेकर योगगुरु रामदेव द्वारा बीते दिनों दिए गए बयानों से खफा देशभर के डॉक्टर लगातार उनपर एक्शन की मांग कर रहे हैं. इसी कड़ी में आज रेजिडेंट डॉक्टर्स ने काला दिवस मनाया. एम्स, सफदरजंग, डॉ राम मनोहर लोहिया, लोकनायक जयप्रकाश, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, गुरु तेग बहादुर अस्पताल, राजीव गांधी, हिंदू राव समेत सभी बड़े अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर्स ने ड्यूटी के दौरान काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराया.
एम्स के रेसिडेंट डॉक्टर्स ने भी ब्लैक डे का समर्थन किया और काली पट्टी बांधकर उन्होंने काम किया. बता दें कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (एफएआईएमए) पहले ही रामदेव को कानूनी नोटिस थमा चुके हैं, देश के अलग-अलग हिस्सों में एफआईआर भी दर्ज कराई गई है.
DDU अस्पताल के डॉक्टर्स ने जताया विरोध
वेस्ट दिल्ली के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल दीनदयाल उपाध्याय के रेजिडेंट डॉक्टर भी बाबा रामदेव के खिलाफ फेडरेशन ऑफ रेसिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन इंडिया के समर्थन में हैं. दीनदयाल उपाध्याय के डॉक्टरों ने काली पट्टी बांधकर और पीपीई किट पहन कर विरोध जताया. रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना है कि बाबा रामदेव ने जो बयान दिया वह बेहद शर्मनाक है क्योंकि इस आपदा काल में जहां लोगों की जाने जा रही थी वहां ये रेजिडेंट डॉक्टर अपनी जान की परवाह किए बिना उनको बचाने की कोशिश के साथ-साथ बाकी दूसरे मरीजों का इलाज भी कर रहे हैं, लेकिन बाबा रामदेव के बयान से डॉक्टरों का हौसला कमजोर पड़ता है इसलिए सरकार बाबा रामदेव के खिलाफ जल्द से जल्द कानूनी कार्रवाई करें.
संजय गांधी अस्पताल में बाबा रामदेव के बयान का विरोध
दिल्ली के संजय गांधी अस्पताल में भी काम करने वाले सीनियर और जूनियर डॉक्टर्स से बाबा रामदेव के खिलाफ अपना रोष व्यक्त किया. सभी डॉक्टर्स हाथ में काला रिबन बांधकर अस्पताल में काम करते हुए दिखाई दिए.आरडीए प्रेजिडेंट राजीव दास ने कहा कि बाबा रामदेव वैक्सीन और मेडिसिन के नाम पर लोगों के बीच में गलफहमियां फैलाने का काम कर रहे हैं, जिसको लेकर सभी डॉक्टर्स बाबा रामदेव का विरोध कर रहे हैं.
रामदेव बयान विवाद पर बोले DMA सचिव डॉ. अजय गंभीर
इस मामले पर डीएमए के सचिव डॉ. अजय गंभीर ने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में बाबा रामदेव का इस तरह बयान देना की वैक्सीन काम नहीं कर रही है, दवाइयां काम नहीं कर रही है लोगों के लिए कंफ्यूजन पैदा कर रहा है. बाबा रामदेव के बयान ने आधुनिक चिकित्सा पद्धति पर सवाल खड़ा कर अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना मरीजों की सेवा करने वाले डॉक्टर की निष्ठा पर सवाल खड़ा कर उनका मनोबल गिराने का काम किया है. डॉ अजय गंभीर ने सरकार से अपील की कि वे बाबा रामदेव के उस विवादास्पद और आपत्तिजनक टिप्पणी को वापस लेने के लिए दबाव बनाए और उनसे चिकित्सकों से माफी मांगने को कहे.
FORDA ने किया था आह्वान
बता दें फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन की ओर से 29 मई को इस एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन का आवाहन किया गया था. फोरडा की ओर से कहा गया है कि इस प्रोटेस्ट के जरिए हम सरकार से यह मांग करते हैं कि बाबा रामदेव के खिलाफ हो 'महामारी रोग अधिनियम 1897' के तहत कार्रवाई की जाए या बाबा रामदेव खुद सामने आकर स्पष्ट रूप से अपने बयान पर सभी डॉक्टरों स्वास्थ्य कर्मियों से माफी मांगें. इसके साथ ही एसोसिएशन की तरफ से साफ किया गया है कि हम आयुर्वेद या उससे जुड़ी किसी भी पद्धति के खिलाफ नहीं है, हम केवल रामकृष्ण यादव उर्फ बाबा रामदेव के बयान के खिलाफ अपना विरोध जता रहे हैं.
इस वजह से बढ़ रहा विवाद
बता दें यह विवाद तब शुरू हुआ जब सोशल मीडिया पर बाबा रामदेव द्वारा एक कथित वीडियो में कहा जा रहा था कि एलोपैथी एक बेवकूफी भरा विज्ञान है. इसके जरिए लोगों का सही इलाज नहीं किया जाता. इसके साथ ही उन्होंने वैक्सीन को लेकर भी अपनी वीडियो में कहा कि वैक्सीन लेने के बाद लाखों डॉक्टरों की जान चली गई, जिसके बाद इस बयान पर बाबा रामदेव ने सफाई देते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से एलोपैथी को लेकर 25 सवाल पूछें, जिसके बाद विवाद और ज्यादा बढ़ गया है.