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DLSA बनी पीड़ित की आवाज, दिव्यांग को 3 साल बाद मिला इंसाफ

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Published : Oct 22, 2019, 1:08 PM IST

DLSA पश्चिम जिला के सचिव विनोद मीणा ने बताया कि उनके पास सतेन्द्र कुमार नाम का शख्स मदद मांगने के लिए आया था. वह ठीक से बोल नहीं पा रहा था. उन्होंने दो बार उससे बातचीत करने की कोशिश की. तब जाकर इशारों में उसकी बात को समझ पाए.

दिल्ली लीगल सर्विस अथॉरिटी

नई दिल्ली: वेस्ट डिस्ट्रिक्ट के दिल्ली लीगल सर्विस अथॉरिटी(DLSA) दफ्तर में उस समय अजीब माहौल बन गया. जब एक व्यक्ति मदद के लिए वहां पहुंचा. लेकिन वह एक भी शब्द बोलने में असमर्थ था. उसकी बात समझना बेहद मुश्किल था.

दिव्यांग को 3 साल बाद DLSA ने दिलाया इंसाफ

लेकिन धैर्य दिखाते हुए सचिव विनोद मीणा और अधिवक्ता अनुराग बिंदल ने उसकी बात को इशारों से समझा. इसके बाद उन्होंने न केवल उसकी समस्या समझी बल्कि उसका समाधान भी करवाया.

मदद मांगने पहुंचे DLSA कार्यायल
DLSA पश्चिम जिला के सचिव विनोद मीणा ने बताया कि उनके पास सतेन्द्र कुमार नाम का शख्स मदद मांगने के लिए आया था. बाहर बैठे अधिवक्ता ने उसकी समस्या जाननी चाही, लेकिन वह ठीक से बोल नहीं पा रहा था. बातचीत से वह मानसिक रूप से विक्षिप्त लग रहा था.
इसलिए उन्होंने खुद उसको अपने पास बुलाया और उसकी समस्या जाननी चाही. वह कुछ भी नहीं बता पा रहा था. क्योंकि वह बोलने में सक्षम नहीं था. वह पढ़ा-लिखा भी नहीं था. जिस वजह से वह लिखकर भी अपनी समस्या नहीं बता पाया.

'समस्या समझने के लिए करनी पड़ी मशक्कत'
सचिव विनोद मीणा ने बताया कि उन्होंने दो बार उससे बातचीत करने की कोशिश की. तब जाकर इशारों में उसकी बात को समझ पाए. इससे यह साफ हुआ कि उसका कुछ रुपयों का लेन-देन है.
उन्होंने इस व्यक्ति को अपने सभी दस्तावेज लेकर आने के लिए कहा. वह जब दस्तावेज लेकर आया तो उससे पता चला कि कोई शख्स उसके रुपये नहीं लौटा रहा है.
उन्होंने जब दस्तावेज बारीकी से देखे तो यह 3 साल से अधिक पुराने हो चुके थे. 3 साल के बाद कोई भी शख्स अपनी रकम कानूनी रूप से वापस लेने के लिए दावा नहीं कर सकता. इस मामले में यह समय सीमा खत्म हो चुकी थी.

अधिवक्ता ने समस्या समझकर की मदद
सचिव ने पीड़ित की मदद के लिए अधिवक्ता अनुराग बिंदल को इसकी जिम्मेदारी सौंपी. अनुराग ने 7 से 8 बार पीड़ित को समय दिया और इशारों में उनकी बात बड़े धैर्य के साथ समझी. इसके साथ ही उसके पास मौजूद सभी दस्तावेजों से जानकारी जुटाई. उन्होंने अदालत में उस दूसरी पार्टी के खिलाफ रिकवरी का केस दायर किया. जिससे सतेन्द्र को रुपये लेने थे. इस बाबत जैसे ही पार्टी को नोटिस मिला वह फौरन DLSA और अधिवक्ता के पास समझौते के लिए पहुंची.

पीड़ित को मिली 72 फीसदी रकम
दूसरी पार्टी ने DLSA पहुंचकर यह माना कि उन्हें पीड़ित के रुपए देने हैं. वह बिना केस लड़े 72 फीसदी रकम लौटाने को तैयार हो गए. वहीं पीड़ित सतेन्द्र भी यह रकम लेने को तैयार हो गया. जिसके बाद पीड़ित को DLSA के हस्तक्षेप पर यह रकम मिल गई है.

Intro:नई दिल्ली
पश्चिम जिला डीएलएसए ( दिल्ली लीगल सर्विस अथॉरिटी) कार्यालय में उस समय अजीब माहौल बन गया जब एक व्यक्ति मदद के लिए तो पहुंचा, लेकिन वह एक भी शब्द बोलने में असमर्थ था. उसकी बात समझना बेहद मुश्किल था, लेकिन धैर्य दिखाते हुए सचिव विनोद मीणा एवं अधिवक्ता अनुराग बिंदल ने उसकी बात को इशारों से समझा. इसके बाद उन्होंने न केवल उसकी समस्या समझी बल्कि उसका समाधान भी करवाया.


Body:डीएलएसए पश्चिम जिला के सचिव विनोद मीणा ने बताया कि उनके पास सतेन्द्र कुमार नामक शख्स मदद के लिए आया था. बाहर बैठे अधिवक्ता ने उसकी समस्या जाननी चाही, लेकिन वह ठीक से बोल नहीं पा रहा था. बातचीत से वह मानसिक रूप से विक्षिप्त लग रहा था. इसलिए उन्होंने खुद उसको अपने पास बुलाया और उसकी समस्या जाननी चाही. वह कुछ भी नहीं बता पा रहा था क्योंकि वह बोलने में सक्षम नहीं था. वह पढ़ा लिखा भी नहीं था. इसकी वजह से वह लिखकर भी अपनी समस्या नहीं बता सकता था.


समस्या समझने में करनी पड़ी कड़ी मेहनत
सचिव विनोद मीणा ने बताया कि उन्होंने दो बार उससे बातचीत करने की कोशिश की और इशारों में उसकी बात को समझा. इससे यह स्पष्ट हुआ कि उसका कुछ रुपयों का लेन देन है. उन्होंने इस व्यक्ति को अपने सभी दस्तावेज लेकर आने के लिए कहा. वह जब दस्तावेज लेकर आया तो उससे पता चला कि कोई शख्स उसके रुपए नहीं लौटा रहा है. उन्होंने जब दस्तावेज बारीकी से देखें तो यह 3 साल से अधिक पुराने हो चुके थे. 3 साल के बाद कोई भी शख्स अपनी रकम कानूनी रूप से वापस लेने के लिए दावा नहीं कर सकता. इस मामले में यह समय सीमा खत्म हो चुकी थी.


धैर्यपूर्वक अधिवक्ता ने समस्या समझकर की मदद
सचिव ने पीड़ित की मदद के लिए अधिवक्ता अनुराग बिंदल को इसकी जिम्मेदारी सौंपी. अनुराग ने 7 से 8 बार पीड़ित को समय दिया और इशारों में उनकी बात बड़े धैर्य के साथ समझी. इसके साथ ही उसके पास मौजूद सभी दस्तावेजों से जानकारी जुटाई. उन्होंने अदालत में उस दूसरी पार्टी के खिलाफ रिकवरी का केस दायर किया जिससे सतेन्द्र को रुपये लेने थे. इस बाबत जैसे ही पार्टी को नोटिस मिला वह तुरंत डीएलएसए एवं अधिवक्ता के पास समझौते के लिए पहुंची.





Conclusion:पीड़ित को मिली 72 फीसदी रकम
दूसरी पार्टी ने डीएलएसए पहुंचकर यह माना कि उन्हें पीड़ित के रुपए देने हैं. वह बिना केस लड़े 72 फ़ीसदी रकम लौटाने को तैयार हो गए. वहीं पीड़ित सतेन्द्र भी यह रकम लेने को तैयार हो गया, जिसके बाद पीड़ित को डीएलएसए के हस्तक्षेप पर यह रकम मिल गई है.
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