नई दिल्ली : दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने निजी कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उनका कार्यकाल 5 वर्ष 4 माह का रहा. उन्होंने वर्ष 2017 में पदभार संभाला था. वह 1969 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं. बैजल दिल्ली विकास प्राधिकरण सहित कई विभागों में महत्वपूर्ण पद संभाल चुके हैं. दिल्ली के उपराज्यपाल के तौर पर उनका कार्यकाल विवादों के घेरे में रहा. कई बार दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव देखने को मिला.
दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक घर-घर राशन को लेकर उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच टकराव देखने को मिला था. इस योजना को लेकर दिल्ली सरकार का कहना था कि लाभार्थी को जिस तरीके से पिज़्ज़ा फोन कॉल करने से घर डिलीवर हो जाता है. उसी तरीके से राशन भी लाभार्थी को बिना किसी परेशानी के मिलना चाहिए, लेकिन दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने कैबिनेट से इस योजना को मंजूरी मिलने के बाद भी योजना की फाइल को खारिज कर दिया था. दिल्ली सरकार ने घर-घर राशन योजना को वर्ष 2018 में मंजूरी दी थी.
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिया इस्तीफा, जानें केजरीवाल सरकार के साथ हुए बड़े विवाद दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक सीसीटीवी योजना को लेकर भी सरकार और उपराज्यपाल के बीच जमकर टकराव देखने को मिला था. इस योजना को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधायकों के साथ उपराज्यपाल अनिल बैजल के आवास तक विरोध मार्च निकाला था. इस दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधायकों के साथ सीसीटीवी योजना को दिल्ली में लागू करने की मांग को लेकर मई 2018 में उपराज्यपाल आवास के बाहर सड़क पर धरना दिया था.दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पूरी कैबिनेट आईएएस अधिकारियों के रवैए से नाराज होकर दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के आवास के भीतर धरने पर बैठ गई थी. दिल्ली सरकार के विरोध के जवाब में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और रोहिणी से विधायक विजेंद्र गुप्ता और बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा सहित कई नेता दिल्ली सचिवालय में धरने पर बैठ गए थे. इन सबके चलते दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं को लेकर जमकर राजनीतिक बवाल हुआ था.
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिया इस्तीफा, जानें केजरीवाल सरकार के साथ हुए बड़े विवाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखकर अस्पतालों में स्टाफ की कमी का मामला उठाया था. जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि उपराज्यपाल अनिल बैजल के कहने पर ही अधिकारी स्वास्थ्य मामलों की फाइल को पास कर रहे हैं. इस मामले को लेकर दोनों के बीच काफी टकराव देखने को मिला था. दिल्ली सरकार की एक हजार बसों की खरीद की प्रक्रिया की जांच को लेकर तीन सदस्यीय एक कमेटी बनाई गई थी. इस मामले में अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल बैजल के बीच काफी खींच-तान देखने को मिला था. बीजेपी इस मामले को लेकर लगातार सीबीआई जांच की मांग कर रही थी.केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीति को लेकर बड़ी तादाद में किसानों ने दिल्ली कूच किया था. किसानों के विरोध प्रदर्शन में लाल किले में हिंसा हुई थी. किसानों के खिलाफ हिंसा मामले को लेकर कोर्ट में किसानों की पैरवी कौन करे. इस मुद्दे पर भी दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच मतभेद देखने को मिला था. दिल्ली सरकार ने वकीलों के एक पैनल को उपराज्यपाल को भेजा था, लेकिन उसे खारिज करते हुए दिल्ली सरकार को नई सूची भेजी गई थी. जिसके बाद दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल की सूची को खारिज कर दिया था.
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिया इस्तीफा, जानें केजरीवाल सरकार के साथ हुए बड़े विवाद कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली सरकार ने दिल्ली के अस्पतालों में दिल्ली के निवासियों के इलाज को लेकर आदेश जारी किया था. दिल्ली सरकार के इस आदेश को लेकर उपराज्यपाल के बीच टकराव देखने को मिला था. दिल्ली सरकार के आदेश को उपराज्यपाल अनिल बैजल ने खारिज कर दिया था. सरकार के इस आदेश में कहा गया था कि दिल्ली के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली के लोगों का इलाज किया जाएगा.दिल्ली के जंतर-मंतर पर भारी तादाद में पूर्व सैनिक वन-रैंक. वन-पेंशन की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे. इस दौरान एक पूर्व सैनिक राम किशन ग्रेवाल ने आत्महत्या कर ली थी. दिल्ली सरकार ने पूर्व सैनिक राम किशन के परिवार को एक करोड़ रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की थी, लेकिन दिल्ली सरकार के इस प्रपोजल को उपराज्यपाल अनिल बैजल ने खारिज कर दिया था. इस दौरान उन्होंने कहा था कि लाभार्थी दिल्ली का निवासी नहीं बल्कि हरियाणा का रहने वाला है.