नई दिल्लीः जंगल के राजा और गजराज में तनाव और इसके पीछे के कारण को लेकर, अब दिल्ली चिड़ियाघर में शोध शुरू हो गया है. इस शोध में चरणबद्ध तरीके से वन्यजीवों के नमूने लिए जाएंगे. इसके तहत पहले चरण का नमूना लिया जा चुका है. वहीं, दूसरे चरण के लिए नमूने लेने की तैयारी है. इस अध्ययन को लेकर मध्य प्रदेश स्थित नानाजी देशमुख वेटरनरी विश्वविद्यालय से दिल्ली चिड़ियाघर का करार हुआ है.
इस संबंध में ईटीवी भारत ने दिल्ली चिड़ियाघर के निदेशक रमेश कुमार पांडे से बात की. इस दौरान उन्होंने बताया कि वन्यजीवों में कॉर्टिसोल हार्मोन के जरिए, उनके तनाव के स्तर का आकलन किया जाता है. इस शोध के लिए दिल्ली चिड़ियाघर ने मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित नानाजी देशमुख वेटरनरी विश्वविद्यालय के साथ करार किया है.
इस शोध के जरिए यह पता करने की कोशिश होगी कि जो वेलफेयर का कार्य किए जा रहे हैं, इससे वन्यजीवों के रहन-सहन, तनाव में कोई फर्क आ रहा है या नहीं. उन्होंने बताया कि पर्यटकों की मौजूदगी और गैर मौजूदगी में सैंपल लिए जाएंगे. इसमें पब्लिक की गैर मौजूदगी के सैंपल लिए जा चुके हैं. पब्लिक के आने के बाद के सैंपल लेने की प्रक्रिया चल रही है. रमेश कुमार पांडे ने बताया कि 3 से 4 माह में यह रिपोर्ट आने की उम्मीद है. यह शोध शेर, बाघ, हाथी, भालू आदि बड़े वन्य जीवों पर किया जा रहा है.
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