नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में पहाड़ी क्षेत्र में हो रही बर्फबारी की वजह से सर्द हवाएं बहने का दौर लगातार जारी है. जिससे दिल्ली में ठंड कायम है. आज सुबह 8:30 पर मौसम विभाग के द्वारा दिल्ली का मिनिमम तापमान सफ़दरजंग के क्षेत्र में 6.4, पालम 9 डिग्री और लोधी रोड के क्षेत्र में 6.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. राजधानी दिल्ली में आज धुंध की चादर भी देखी गई जिसकी वजह से विजिबिलिटी घटकर 500 मीटर के आसपास रह गई है. हालांकि दिन बढ़ने के साथ विजिबिलिटी में सुधार होगा.
इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट (INDIA METEOROLOGICAL DEPARTMENT) द्वारा आज सुबह जारी किए गए मौसम बुलेटिन के अनुसार राजधानी दिल्ली में आने वाले दिनों में लोगों को ठंड से कुछ हद तक राहत मिलने का अनुमान जताया गया है. पिछले दो दिन से राजधानी दिल्ली के तापमान में गिरावट जरूर है. लेकिन दिन में धूप निकलने की वजह से लोगों को थोड़ी राहत मिली है. आज सुबह सफदरजंग के क्षेत्र में दिल्ली का मिनिमम तापमान 6.4, पालम 9 और लोधी रोड में 6.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. इस बीच राजधानी दिल्ली के विभिन्न इलाकों में हल्की धुंध भी देखी गई जिसके चलते विजिबिलिटी 500 से लेकर 800 मीटर तक दर्ज की गई. वहीं 3 फरवरी से एक बार फिर मौसम में बदलाव होगा. 3 और 4 फरवरी को बारिश के साथ तेज हवाएं ठंड बढ़ाएंगी. मौसम विभाग ने 3 फरवरी को येलो अलर्ट जारी किया है.
कैसे पता करते हैं तापमान
मौसम तथा उससे निर्धारित होने वाली जलवायु के लिए कुछ मूल तत्व हैं, जिनमें तापमान आर्द्रता, वायु का दबाव या वायुभार, पवन तथा उसके बहाव की दिशा, बादल, वर्षा आदि प्रमुख हैं. किसी क्षेत्र के लिए मौसम की जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से वैज्ञानिकों ने कई प्रकार के यंत्रों को बनाया है. जिसकी सहायता से केवल मौसम की जानकारी ही नहीं मिलती है बल्कि मौसम का पूर्वानुमान भी लगाया जता है.
किसी भी मौसम के लिए तापमान सबसे महत्वपूर्ण अवयव है. वातावरण में ताप की स्थिति को मापने वाले यंत्र को तापमापी या थर्मामीटर कहते हैं. तापमापी यंत्र का निर्माण इस मौलिक सिद्धांत के अनुसार किया गया है कि विभिन्न पदार्थों पर तापमान के परिवर्तन की भिन्न प्रक्रिया होती है. तापमापी की नली में जिस पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है, वह पारा होता है. शीशे की नली में रखा हुआ यह पदार्थ गर्म होने पर तेजी से फैलता है और ऊपर की ओर चढ़ता है. इसके विपरीत ठंडक होने पर अधिक सिकुड़ता है. इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप कांच की नली में यह द्रव ताप अधिक होने पर ऊंचा उठकर अधिक तापमान की सूचना देता है. ताप कम होने पर यह द्रव सिकुड़ता है और नीचे की ओर उतरकर कम तापमान का संकेत देता है. द्रव की इस नली पर अंशों में (डिग्री) अंक बने रहते हैं, जिन्हें पढ़कर तापमान का पता चलता है.
मुख्यतः तापमान को ‘सेल्सियस’ या ‘फारेनहाइट’ के अंशों (डिग्री) में अभिव्यक्त किया जाता है. भारत में दशमलव प्रणाली के अनुसार बने सेल्सियस तापमापी का उपयोग अधिक किया जाता है. तापमान में पानी जमने (हिमांक) तथा पानी उबलने (क्वथनांक) की स्थिति को विशेष महत्व दिया जाता है. सेल्सियस के अनुसार, सागर तल पर बर्फ या हिमबिंदु को 0 डिग्री (शून्य अंश) तथा पानी उबलने की स्थिति को 100 डिग्री (एक सौ अंश) की मान्यता दी गई है, जबकि मनुष्य के शरीर का सामान्य तापमान 37 डिग्री से 0 डिग्री माना जाता है.
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