नई दिल्ली: कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दी है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने 11 जनवरी को सुनवाई करने का आदेश दिया.
बीते नौ दिसंबर को उमर खालिद ने सुनवाई के दौरान इन आरोपों का खंडन किया कि उमर खालिद के पिता के कहने पर 250 बांग्लादेशी महिलाएं विरोध प्रदर्शन में शामिल होने पहुंची थीं. उमर की ओर से वकील त्रिदिप पायस ने कहा था कि PFI का नाम इसलिए सामने ला रही है ताकि चीजों को और उलझाया जाए.
पायस ने कहा था कि एक गवाह की ओर से ये कहना कि प्रदर्शन में 250 बांग्लादेशी महिलाएं पहुंची थीं, इसका मतलब ये है कि गवाह एक सुपरमैन है जो हर एक महिला को व्यक्तिगत रूप से जानता था. जिस प्रदर्शन में उमर खालिद ने भाषण दिया था उसमें कुछ भी गैरकानूनी घटित नहीं हुआ था. गवाह मजिस्ट्रेट के सामने जो बयान देता है उससे जब पुलिस का काम नहीं चलता तो वो गवाह को दोबारा पुलिस के समक्ष बयान देने के लिए बुलाती है. फरवरी की घटना के लिए पुलिस को गवाह दिसंबर में मिले, ये हास्यास्पद है.
बीते 29 नवंबर को उमर खालिद ने कहा था कि जब पुलिस को एक गवाह ने दंगे की पूरी योजना की जानकारी दी थी कि पुलिस ने दंगा होने क्यों दिया. पायस ने एक संरक्षित गवाह के बयान का हवाला देते हुए कहा कि वो सीलमपुर के SHO के लगातार संपर्क में था. गवाह जनवरी 2020 में SHO से मिला था. SHO ने उसे लगातार अपडेट देने को कहा था. ऐसे में जब दिल्ली पुलिस को पहले से जानकारी थी तो उसने दंगे को होने क्यों दिया.
छह सितंबर को उमर खालिद ने पहले से दायर अपनी जमानत याचिका को वापस लेते हुए नयी जमानत याचिका दायर की थी. उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदिप पायस ने कहा था कि उन्होंने पहले जो जमानत याचिका दायर की थी वो अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 439 के तहत दायर की गई थी. दिल्ली पुलिस की ओर से इस याचिका को सुनवाई योग्य नहीं मानने पर पायस ने धारा 439 के तहत दायर जमानत याचिका वापस ले ली और अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 437 के तहत नई याचिका दायर की. कोर्ट ने धारा 437 के तहत दायर नई याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था.
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बता दें कि क्राइम ब्रांच ने उमर खालिद पर दंगे भड़काने, दंगों की साजिश रचने और देशविरोधी भाषण देने के अलावा दूसरी धाराओ के तहत चार्जशीट दाखिल की थी. करीब 100 पेजों की चार्जशीट में कहा गया है कि आठ जनवरी 2020 को शाहीन बाग में उमर खालिद, खालिद सैफी और ताहिर हुसैन ने मिलकर दिल्ली दंगों की योजना बनाने के लिए मीटिंग की.
इस दौरान ही उमर खालिद ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शनों में मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र में हिस्सा लिया और भड़काऊ भाषण दिए. इन भाषणों में उमर खालिद ने दंगों के लिए लोगों को भड़काया है. चार्जशीट में कहा गया है कि जिन-जिन राज्यों में उमर खालिद गया उसके लिए उसे आने-जाने और रुकने का पैसा प्रदर्शनकारियों के कर्ता-धर्ता इंतजाम करते थे.
उमर खालिद को 13 सितंबर 2020 को पूछताछ के बाद स्पेशल सेल ने गिरफ्तार कर लिया था. 17 सितंबर 2020 को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की ओर से दायर चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. 16 सितंबर 2020 को स्पेशल सेल ने चार्जशीट दाखिल की थी.