नई दिल्लीः दिल्ली विश्वविद्यालय में मंगलवार को अकादमिक काउंसिल (AC) की बैठक आयोजित की गई थी. बैठक में दो दलित लेखक और महाश्वेता देवी की कहानी द्रौपदी को इंग्लिश ऑनर्स सेमेस्टर पांच के पाठ्यक्रम से हटाने का शिक्षकों ने विरोध किया. पूरे मामले पर डीयू के रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता ने कहा कि ओवरसाइट कमेटी ने इंग्लिश ऑनर्स सेमेस्टर पांच में जो बदलाव किए हैं, वह पूरी तरह से विचार-विमर्श कर ही किया गया है.
डॉ. विकास गुप्ता ने कहा कि इंग्लिश ऑनर्स सेमेस्टर पांच पाठ्यक्रम में हुए बदलाव को कुछ लोग बढ़ा-चढ़ाकर बता रहे हैं. ओवरसाइट कमेटी ने जो सुझाव दिया है, उसे ही अपनाया गया है. कमेटी ने सभी हितधारकों से बात कर ही कदम उठाया है. डिपार्टमेंट ऑफ इंग्लिश के द्वारा पाठ्य सामग्री तैयार की गई है. इस कमेटी को एग्जीक्यूटिव काउंसिल (EC) द्वारा गठित किया गया था और पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय के अधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है.
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डॉ. विकास गुप्ता ने कहा कि मौजूदा पाठ्यक्रम समावेशी है. पाठ्यक्रम में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्ध लेखकों को शामिल किया गया है. पाठ्यक्रम बनाते समय जाति या धर्म ध्यान में नहीं रखा जाता है. लिटरेचर में, इस तरीके से विषयों को शामिल किया जाता है, जिससे किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचे.
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दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (DUTA) की कोषाध्यक्ष प्रोफेसर आभा देव हबीब ने कहा कि ऐसा लगता है कि विश्वविद्यालय पर दबाव बढ़ा है. इसलिए विश्वविद्यालय प्रशासन को यह कहना पड़ा रहा है कि जो भी फैसला लिया है वह सर्वसम्मति से लिया गया है.
बता दें कि मंगलवार को हुई AC की बैठक में कई सदस्यों ने आपत्ति जताते हुए नोट दिया था. इसमें लिखा था कि दो दलित लेखक बामा और सुखरतारिणी को हटा दिया है. उनकी जगह रमाबाई को दी गई है. इसके अलावा सदस्यों ने महाश्वेतादेवी की लघु कहानी द्रौपदी को पाठ्यक्रम से हटाने का भी विरोध किया है. बता दें कि यह कहानी डीयू के पाठ्यक्रम में वर्ष 1999 से शामिल है.