नई दिल्ली: राजधानी के उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा को आज दो वर्ष बीत गए हैं. इन दंगों में दिल्ली पुलिस ने अब तक 1900 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है. दंगे के साजिशकर्ता एवं गिरफ्तार हुए कई आरोपी अभी भी जेल में हैं. इनमें से कुछ आरोपियों को अदालत सजा भी सुना चुकी है. वहीं कुछ आरोपी को अदालत ने बरी भी कर दिया है. लेकिन दंगे के ऐसे कई मामले हैं जिनकी तफ्तीश अभी तक चल रही है.
जानकारी के अनुसार उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों को आज दो साल पूरे हो गए हैं. 24 एवं 25 फरवरी 2020 को हुए इन दंगों में 53 लोगों की हत्या हुई थी जबकि 581 लोग अलग-अलग जगहों पर घायल हुए थे. पुलिस ने इन दंगों को लेकर कुल 755 एफआईआर विभिन्न थानों में दर्ज की थी. इनमें से एक एफआईआर स्पेशल सेल ने दिल्ली दंगों की साजिश को लेकर भी दर्ज की थी. दंगों से जुड़े विभिन्न मामलों में पुलिस द्वारा अभी तक 1900 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. वहीं 400 से ज्यादा मामलों में आरोपपत्र भी दाखिल हो चुका है. इन पर अदालत में सुनवाई चल रही है.
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पुलिस का दावा है कि दंगों के इन मामलों की निष्पक्षता के साथ जांच की गई है. पुलिस द्वारा दर्ज 755 मामलों में से 60 मामलों की जांच क्राइम ब्रांच द्वारा की जा रही है. इनमें अधिकांश मामले हत्या के हैं. इसके लिए क्राइम ब्रांच में तीन एसआईटी गठित हैं. वहीं पूरी साजिश को लेकर स्पेशल सेल ने यूएपीए एक्ट के तहत मामला दर्ज किया हुआ है. इस एफआईआर में उन लोगों को गिरफ्तार किया गया है जो दंगों के पीछे भूमिका निभा रहे थे. इन मामलों के अलावा अन्य सभी एफआईआर की जांच लोकल पुलिस कर रही है. पुलिस ने पहली बार दंगे के समय सभी शिकायतों पर एफआईआर की ताकि प्रत्येक व्यक्ति को न्याय मिले. इन मामलों की सुनवाई कड़कड़डूमा स्थित विशेष अदालत में चल रही है.
कहां कितनी एफएआईआर
स्थान | संख्या |
न्यू उस्मानपुर | 24 |
शास्त्री नगर | 10 |
गोकलपुरी | 118 |
दयालपुर | 76 |
ज्योति नगर | 35 |
खजूरी खास | 153 |
करावल नगर | 91 |
सोनिया विहार | 5 |
भजनपुरा | 137 |
वेलकम | 26 |
जाफराबाद | 79 |
दिल्ली दंगों की क्रोनोलॉजी
- दिसंबर 2019- दिल्ली के विभिन्न इलाकों में सीएए के विरोध में प्रदर्शन शुरू हुए
- जनवरी 2020- वज़ीराबाद रोड चांद बाग एवं जाफराबाद मुख्य सड़क पर सीएए विरोधी प्रदर्शन शुरू हुए.
- 22 फरवरी 2020- जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास एक हजार से ज्यादा लोग एकत्रित होकर प्रदर्शन करने लगे.
- 23 फरवरी 2020- जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ गई. शाम को दूसरे समुदाय के लोग भी आ गए. दोनों पक्षों के बीच पथराव हुआ जिसे शांत कराया गया.
- 24 फरवरी- सुबह 11 बजे- शाहदरा जिला डीसीपी अमित शर्मा पुलिस फोर्स के साथ चांद बाग के समीप चल रहे प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे.
- दोपहर 1 बजे- भीड़ ने वहां मौजूद पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया जिसमें डीसीपी अमित शर्मा, उनका ऑपरेटर हवलदार रतनलाल और एसीपी गोकलपुरी अनुज कुमार गंभीर रूप से घायल हुए.
- दोपहर 2 बजे- अस्पताल में डॉक्टरों ने हवलदार रतनलाल को मृत घोषित कर दिया.
- दोपहर 2.30 बजे सप्तऋषि बिल्डिंग में जाकर इन लोगों ने गोली चलाई जिससे शाहिद नामक युवक की मौत हो गई.
- दोपहर 3 बजे- चांद बाग स्थित निगम पार्षद ताहिर हुसैन के मकान से हिंसा की गई.
- शाम 4 बजे- दयालपुर इलाके में दंगे के दौरान शाहरुख ने हवाई फायरिंग के साथ पुलिसकर्मी पर पिस्तौल तानी
- शाम 4 बजे- अनिल स्वीट्स में जाकर उपद्रवियों ने वहां के कर्मचारी दिलबर नेगी की बेरहमी से हत्या कर दी और दुकान को आग के हवाले कर दिया.
- रात 8.30 बजे- गोकलपुरी स्थित टायर मार्किट में लोगों ने आग लगा दी
- 25 फरवरी 2020- सुबह 11 बजे- मौजपुर चौक पर दो गुट आपस में भीड़ गए जिसमें विनोद नामक शख्स की मौत हो गई.
- दोपहर 1.30 बजे- अम्बेडकर कॉलेज के पास बनी डिस्पेंसरी के समीप हुए दंगे. यहां रिक्शा चालक 32 वर्षीय दीपक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. वहीं कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया.
- 4.30 बजे करदमपुरी पुलिया के पास दंगे हुए जिसमें मोहम्मद फुरकान सहित चार लोगों को गोली लगी, इसमें फुरकान की मौत हो गई थी.
- शाम 5 बजे- आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा घर से निकलकर गली में पहुंचा जहां से कुछ लोग उसे खींचकर ले गए और पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी.
- 26 फरवरी 2020- गोकलपुरी नाले से पुलिस को चार लोगों के शव मिले जिनकी दंगों के दौरान हत्या की गई थी.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि दंगों की निष्पक्ष जांच के लिए पुलिस ने ज्यादा तकनीक का सहारा लिया क्योंकि इसके साक्ष्य को गलत नहीं ठहराया जा सकता. वीडियो एनलेटिक के जरिये सीसीटीवी फुटेज में मौजूद आरोपियों की पहचान की गई. ई-वाहन एवं पुलिस के पास मौजूद डाटाबेस से आरोपियों की पहचान की गई. फेसिअल रिकॉग्निजेशन सिस्टम का भी इस्तेमाल किया गया. इनकी मदद से 231 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी. इनके अलावा एफएसएल की भी मदद महत्वपूर्ण साइंटिफिक साक्ष्य के लिए ली गई है. मोबाइल से जो डेटा डिलीट किये गए, उन्हें भी हासिल किया गया. लोकेशन के जरिये भी आरोपियों की पहचान की गई. डीएनए, फिंगरप्रिंट और फेसिअल रिकंस्ट्रक्शन का भी इस्तेमाल पुलिस जांच में किया गया है.
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