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छात्र आंदोलन की आड़ में जामिया हिंसा को अंजाम दिया गया: दिल्ली पुलिस

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Published : Jun 4, 2020, 9:02 PM IST

जामिया हिंसा मामले में जांच की मांग करने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग करने वाली याचिका पर दिल्ली पुलिस ने इस आशय का जवाबी हलफनामा हाईकोर्ट में दायर किया है. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि जामिया हिंसा सोची-समझी योजना के तहत की गई थी. इस मामले पर कल यानि 5 जून को सुनवाई होगी.

Delhi police reaction on jamia violence
जामिया हिंसा पर पुलिस की प्रतिक्रिया

नई दिल्ली: जामिया हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि जामिया हिंसा की इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों से साफ पता चलता है कि छात्र आंदोलन की आड़ में स्थानीय लोगों की मदद से हिंसा को अंजाम दिया गया था. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि 13 और 15 दिसंबर 2019 को हुई हिंसा के मामले में तीन एफआईआर दर्ज की गई है. इस हिंसा में पत्थरों, लाठियों, पेट्रोल बम, ट्यूबलाईट्स का इस्तेमाल किया गया. इस घटना में कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे. दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिल्ली पुलिस पर क्रूरता का आरोप गलत है.

Delhi police reaction on jamia violence
जामिया हिंसा पर पुलिस की प्रतिक्रिया


'विरोध करना सबका अधिकार, लेकिन हिंसा सही नहीं'
दिल्ली पुलिस ने कहा है कि विरोध करना सबका अधिकार है लेकिन विरोध करने की आड़ में कानून का उल्लंघन करना और हिंसा और दंगे में शामिल होना सही नहीं है. ये आरोप सही नहीं है कि युनिवर्सिटी प्रशासन की बिना अनुमति के पुलिस परिसर में घुसी और छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की. दिल्ली पुलिस ने अपने हलफनामे में सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान और आरोपियों की पूरी लिस्ट हाईकोर्ट को सौंपी है.

जांच के नाम पर घंटों बैठाने का आरोप
पिछले 22 मई को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. याचिका वकील नबीला हसन ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील स्नेहा मुखर्जी ने कहा था कि जामिया युनिवर्सिटी के कई छात्रों को पुलिस ने बुलाया और जांच के नाम पर घंटों बैठाए रखा. यहां तक कि कोरोना के संकट के दौरान भी छात्रों को पुलिस परेशान कर रही है. याचिका में कहा गया था कि जामिया युनिवर्सिटी की हालत आज भी वैसी ही है जैसी पहले थी. इसलिए इस मामले पर जल्द सुनवाई की जाए.


जांच अहम मोड़ पर है
पिछले 4 फरवरी को हाईकोर्ट ने जामिया हिंसा मामले में जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी थी. सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच से कहा था कि जांच अहम मोड़ पर है और उसे पूरा होने दिया जाए, तभी हम उचित जवाब दे पाएंगे.


93 छात्र घायल हुए थे
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने कहा था कि जामिया के 93 छात्र घायल हुए. छात्रों ने सीसीटीवी फुटेज के साथ शिकायत भी की. उन्होंने ललिता कुमारी के केस का हवाला देते हुए कहा था कि इन शिकायतों के आधार पर एफआईआर दर्ज की जाए, तब तुषार मेहता ने कहा था कि कई एफआईआर दायर करने से बेहतर है कि एक समग्र एफआईआर दर्ज की जाए. सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा था कि हाईकोर्ट के पहले के आदेश का पालन नहीं किया गया, क्योंकि कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है. अगर उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए समय चाहिए तो उसके लिए भी एक हलफनामा दाखिल होना चाहिए.

पुलिस की कार्रवाई पर रोक की मांग ठुकराई थी
19 दिसंबर 2019 को हाईकोर्ट ने छात्रो के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर रोक की मांग को ठुकरा दिया था. कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. 19 दिसंबर 2019 को जब कोर्ट ने छात्रो के खिलाफ़ गिरफ्तारी और पुलिस कार्रवाई पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था तो चीफ जस्टिस डीएन पटेल की कोर्ट में ही कुछ वकीलों ने शर्म-शर्म के नारे लगाए थे. चीफ जस्टिस बिना कोई रिएक्शन दिये उठकर अपने चैम्बर में चले गए थे. जिसके बाद 20 दिसंबर 2019 को हाईकोर्ट ने कुछ वकीलों की मांग पर इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन कर कार्रवाई करने की बात कही थी.

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