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दिल्ली हिंसा के मामले में गैर जरूरी गवाह रखने पर दिल्ली पुलिस को फटकार, लगाया पांच हजार का जुर्माना

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Published : Aug 18, 2022, 9:10 PM IST

दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस

दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में दिल्ली हिंसा को लेकर सुनवाई Hearing on Delhi violence in Karkardooma Court हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने गैरजरूरी गवाह रखने पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाया.

नई दिल्ली: कड़कड़डूमा कोर्ट Delhi Karkardooma Court ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में गैर जरूरी गवाहों को सूची से नहीं हटाने पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई है. एडिशनल सेशंस जज पुलस्त्य प्रमाचल Additional Sessions Judge Pulastya Pramachal ने कहा कि दिल्ली पुलिस कोर्ट और गवाहों के समय के अलावा उस पर खर्च हो रहे सार्वजनिक धन का बिल्कुल सम्मान नहीं करती है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.

कोर्ट ने संबंधित पुलिस उपाधीक्षक को निर्देश दिया कि वे सभी स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर और जांच अधिकारियों को इस बारे में संवेदनशील बनाएं कि वे गैर जरूरी गवाहों को सूची में शामिल नहीं करें और अगर वे सूची में शामिल हैं तो उन्हें हटाने के लिए तत्काल कदम उठाएं. कोर्ट ने ये आदेश गोकलपुरी थाने में दर्ज दिल्ली हिंसा से जुड़े एक मामले की सुनवाई के बाद दिया.

कोर्ट गोकलपुरी थाने में दर्ज एफआईआर नंबर 53/2020 पर 17 अक्टूबर को सुनवाई कर रही थी. दोपहर एक बजे स्वतंत्र गवाह हिमांशु और एएसआई हरि बाबू के बयान दर्ज किए गए. आरोपियों की ओर से पेश वकीलों ने हिमांशु का क्रास-एग्जामिनेशन भी किया. दोपहर दो बजे के बाद जब इस मामले पर फिर सुनवाई शुरू हुई तो कोर्ट ने पाया कि गवाह हिमांशु ने पुलिस के समक्ष जो बयान दिया था उसमें 25 फरवरी 2020 को शाम छह बजे की घटना का जिक्र किया था लेकिन एफआईआर नंबर 53/2020 24 और 25 फरवरी 2020 की दरम्यानी रात 12 बजे से एक बजे के बीच की घटना है. ऐसे में इस केस में गवाह हिमांशु का बयान गैर जरूरी था.

कोर्ट ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली हिंसा के जुड़े कई मामलों में दिल्ली पुलिस को गैर जरूरी गवाहों को हटाने का निर्देश देने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया. कोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के संबंधित पुलिस उपाधीक्षक को भी इस संबंधी जरुरी निर्देश दिए थे लेकिन उसका कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं दिखा. कोर्ट ने कहा कि पुलिस को गवाहों के समय और उसे दिए जाने वाले धन के अलावा कोर्ट के समय का कोई सम्मान नहीं है. उसके बाद कोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए संबंधित पुलिस उपाधीक्षक को निर्देश किया कि इसके लिए जिम्मेदारी तय करें तकि जुर्माने की ये रकम वसूली जाए.

कोर्ट ने संबंधित पुलिस उपाधीक्षक से दोबारा आग्रह किया कि वे सभी स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर और जांच अधिकारियों को इस बारे में संवेदनशील बनाएं कि वे गैरजरुरी गवाहों को सूची में शामिल नहीं करे और अगर वे सूची में शामिल हैं तो उन्हें हटाने के लिए तत्काल कदम उठाएं.

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