नई दिल्ली : दिल्ली में अवैध शराब के धंधे पर लगाम लगाने के लिए पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने एक महत्वपूर्ण प्लान तैयार किया है. उन्होंने क्राइम ब्रांच को दिल्ली के टॉप 10 शराब तस्करों की लिस्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं. इनकी जांच न केवल दिल्ली पुलिस बल्कि डीआरआई, एसीबी सहित अन्य एजेंसियों द्वारा करवाई जाए. उन्हें उम्मीद है कि इस एक्शन का बड़ा संदेश तस्करों के बीच जाएगा और अवैध शराब की तस्करी में कमी आएगी.
जानकारी के अनुसार दिल्ली सहित देश भर में अपराधों का एक बड़ा कारण नशा रहता है. कुछ बदमाश नशे की पूर्ति के लिए अपराध करते हैं तो कुछ बदमाश नशा करने के बाद अपराध करते हैं. इसलिए पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना लगातार नशे के खिलाफ एक्शन ले रहे हैं. ड्रग्स तस्करों पर लगातार शिकंजा कसने के बाद उन्होंने अब शराब तस्करों के खिलाफ भी एक्शन की तैयारी की है. उन्होंने क्राइम ब्रांच को निर्देश दिए हैं कि वह सभी जिला डीसीपी से संपर्क कर दिल्ली के टॉप 10 शराब तस्करों की सूची तैयार करें. इसके बाद उनके खिलाफ एक्शन की तैयारी करें. इसके साथ ही उन हॉट स्पॉट को भी चिन्हित कर एक्शन लिया जाए जहां अवैध शराब की खरीद फरोख्त होती है.
अवैध शराब पर नकेल कसने का बना मास्टरप्लान दिल्ली पुलिस के पूर्व डीसीपी एलएन राव ने बताया कि अपराध एवं नशा एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. यह बात बिल्कुल ठीक है कि नशे में बहुत लोग अपराध करते हैं. ऐसा देखने में आता है कि सस्ती शराब पीने के बाद अपराधिक किस्म के लोग अपराध करने के लिए निकल पड़ते हैं. वहीं कई बार शराब या अन्य नशे को खरीदने के लिए भी बदमाशों द्वारा अपराध को अंजाम दिया जाता है. इसलिए दिल्ली पुलिस कमिश्नर द्वारा तैयार किया जा रहा यह प्लान आने वाले समय में बेहतर परिणाम लेकर आएगा. इससे जहां एक तरफ शराब के बड़े तस्करों के खिलाफ एक्शन होगा तो वहीं दूसरी तरफ इससे छोटे शराब तस्करों पर भी प्रभाव पड़ेगा. वहीं इससे संबंधित अपराध भी कम होने लगेंगे. पूर्व डीसीपी एलएन राव ने बताया कि किसी भी अपराध को खत्म करने के लिए उसके फाइनेंस एंगल पर चोट पहुंचाना बेहद ही आवश्यक होता है. पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ऐसे अपराधों में फाइनेंस एंगल की तलाश कर उस पर आर्थिक चोट पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. यह एक बेहद ही महत्वपूर्ण कदम है. दिल्ली पुलिस इस तरीके के फाइनेंस एंगल पर जांच नहीं करती है. इसकी वजह से उन्हें डीआरआई या प्रवर्तन निदेशालय आदि एजेंसियों का सहयोग लेकर ऐसे बड़े नेटवर्क पर चोट पहुंचाने की आवश्यकता है. इस चोट से निश्चित तौर पर भविष्य में अपराध में कमी देखने को मिलेगी.
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