नई दिल्ली : दिल्ली में अपराधियों पर नकेल कसने के लिए पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना द्वारा बदमाशों पर मकोका का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है. उन्होंने सभी जिला डीसीपी को निर्देश दिए हैं कि वह सक्रिय बदमाशों को लेकर यह सुनिश्चित करें कि क्या उस पर मकोका लगाया जा सकता है. अगर वह संगठित तौर पर अपराध कर रहा है तो उसके खिलाफ मकोका के तहत एक्शन लिया जाए. उनका मानना है कि इस प्रयास से आने वाले समय में अपराध पर लगाम लग सकेगी.
जानकारी के अनुसार, दिल्ली में दर्जन भर से ज्यादा गैंग के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने मकोका के तहत मामला दर्ज किया हुआ है. इनमें जितेंद्र गोगी गैंग, मंजीत महाल गैंग, नीरज बवाना गैंग, कपिल सांगवान गैंग, नासिर गैंग, लॉरेंस बिश्नोई-काला जठेड़ी गैंग आदि शामिल हैं. इसके साथ ही हाल में जालसाज सुकेश चंद्रशेखर एवं उसके साथियों पर भी मकोका लगाया गया है.
पुलिस द्वारा इन गैंग पर मकोका लगाए जाने के बाद से उनके गैंग द्वारा की जाने वाली वारदातों में काफी कमी आई है. मकोका की मदद से पुलिस इन बदमाशों को कई वर्षों से जेल के भीतर रखने में भी कामयाब रही है. पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना का मानना है कि दिल्ली को अगर सुरक्षित बनाना है तो संगठित तौर पर अपराध करने वाले बदमाशों के खिलाफ मकोका के इस्तेमाल को बढ़ाना होगा.
ये भी पढ़ें- जानिए मकोका में सुकेश-लीना को मिल सकती है कितनी सजा, क्या कहता है कानून ?
पुलिस कमिश्नर ने हाल ही में हुई वरिष्ठ अधिकारियों की एक बैठक में सभी जिला डीसीपी को निर्देश दिए हैं कि वह अपने क्षेत्र में सक्रिय बदमाशों की पहचान करने के साथ यह सुनिश्चित करें कि वह संगठित तौर पर अपराध तो नहीं कर रहे हैं.
अगर ऐसा कोई बदमाश है जो संगठित तौर पर अपराध कर रहा है तो उसके खिलाफ मकोका के तहत एक्शन लिया जाए. इससे न केवल उस गैंग में पुलिस एक्शन का डर आएगा, बल्कि इस तरह से अपराध करने वाले अन्य बदमाशों के भी हौसले टूटेंगे. उन्होंने सभी जिला डीसीपी को ऐसे बदमाशों की सूची तैयार करने के भी निर्देश दिए हैं.
ये भी पढ़ें- क्या है मकोका कानून ? जिसके तहत सुकेश चंद्रशेखर पर होगी कार्रवाई
दिल्ली पुलिस के पूर्व डीसीपी एलएन राव ने बताया कि दिल्ली पुलिस मकोका कानून का इस्तेमाल उन अपराधियों पर करती है जिनके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं और जो संगठित तौर पर अपराध करते हैं. उन्होंने बताया कि मकोका लगाने के लिए सबसे पहली शर्त यह है कि जिस पर मकोका लगाया जा रहा है उसके खिलाफ बीते 10 साल में कम से कम दो मामले दर्ज होने चाहिए.
इनके आरोपपत्र पर अदालत द्वारा संज्ञान लिया होना चाहिए. अगर यह शर्त पूरी नहीं होती तो किसी भी अपराधी के खिलाफ मकोका का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. इसलिए पुलिस ऐसे गैंग पर ही मकोका लगाती है जो संगठित तौर पर अपहरण, फिरौती वसूलना, लूट आदि वारदातों को अंजाम देते हैं. उन्होंने बताया कि अतिरिक्त आयुक्त या संयुक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी की मंजूरी के बाद ही एफआईआर होती है और आरोपपत्र दाखिल होता है.
ये भी पढ़ें- काला जठेड़ी के प्यार में रिवॉल्वर रानी को मिला 'मकोका का तोहफा'
पूर्व डीसीपी एलएन राव ने बताया कि मकोका के तहत बेहद ही कड़ा एक्शन पूरे गैंग पर लिया जाता है. इस गैंग से जो भी लोग जुड़े होते हैं वह सब मकोका में कवर होते हैं. मकोका में अग्रिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं है. वहीं जब तक गवाही नहीं हो जाती तब तक इस मामले में जमानत मिलना मुश्किल होता है.
उन्होंने बताया कि मकोका में दोष साबित होने पर पांच साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. इसके साथ ही कम से कम 5 लाख रुपये के जुर्माने की सजा भी दोषी पर होती है. यही वजह है कि दिल्ली पुलिस अपराध को कम करने के लिए मकोका का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर रही है.