नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस डिजिटल दिशा में लगातार आगे बढ़ रही है. दिल्ली में दर्ज होने वाली एफआईआर में 70 फीसदी से ज्यादा मामले लोग घर बैठे ऑनलाइन दर्ज कर रहे हैं. लोगों को ऑनलाइन एफआईआर से बड़ी सहूलियत मिली है, लेकिन ऐसे मामलों की जांच गंभीरता से नहीं हो रही है. इसे लेकर दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है. उन्होंने ऑनलाइन एफआईआर मामले की गंभीरता से जांच के लिए गाइडलाइंस जारी कर दी है.
जानकारी के अनुसार दिल्ली पुलिस ने 2015 में ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करने की सुविधा लोगों के लिए शुरू की थी. इसमें सबसे पहले सामान खोने पर एनसीआर काटने की सुविधा लोगों को दी गई थी. इसके बाद चोरी एवं वाहन चोरी की ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करने की सुविधा को इसमें जोड़ा गया. हाल ही में पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने इसमें सेंधमारी की एफआईआर को दर्ज करने की सुविधा दिल्ली के लोगों को दी है. दिल्ली पुलिस की इस सुविधा का लोग काफी इस्तेमाल कर रहे हैं. पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि प्रत्येक वर्ष 70 फीसदी से ज्यादा एफआईआर ऑनलाइन दर्ज की जा रही है. लेकिन ऐसे मामलों की जांच से वरिष्ठ पुलिस अधिकारी संतुष्ट नहीं है. इसके चलते जांच को लेकर पुलिस कमिश्नर ने नई गाइडलाइंस जारी की है.
दिल्ली पुलिस के पूर्व एसीपी वेदभूषण ने पुलिस कमिश्नर द्वारा जारी गाइडलाइंस को बेहद महत्वपूर्ण बताया है. उन्होंने बताया कि ऑनलाइन एफआईआर के मामलों की जांच अभी पुलिस गंभीरता से नहीं कर रही थी. इसकी वजह से लोगों की एफआईआर तो दर्ज हो जाती थी, लेकिन जांच ठीक से नहीं होती थी. ऐसे अपराधों में आरोपी बहुत कम पकड़े जाते हैं. चोरी हुए सामान की बरामदगी के मामले भी बहुत कम सामने आते हैं. इसकी वजह पुलिस का अन्य गंभीर वारदातों की जांच में लगा होना है. इसकी वजह से यह सुविधा लोगों के लिए लाभदायक नहीं हो रही थी. पुलिस के इस रवैये से पीड़ित लोगों में भी काफी नाराजगी रहती थी.
पूर्व एसीपी ने बताया कि अब पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने ऐसे मामलों की जांच के लिए एसओपी बना दी है. इसकी वजह से ऐसे मामलों की जांच भी गंभीरता से होगी. इससे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. पुलिस उनके मामलों की जांच अब इस एसओपी के तहत करेगी जिससे लोगों के बीच में पुलिस की छवि में सुधार आएगा. उन्होंने बताया कि पुलिस कमिश्नर की इस पहल से आने वाले समय में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे. इससे ऑनलाइन एफआईआर के मामलों को सुलझाने के प्रतिशत में भी सुधार होगा.
पुलिस कमिश्नर द्वारा जारी एसओपी
- ऑनलाइन एफआईआर दर्ज होने के 24 घंटे के भीतर जांच अधिकारी शिकायतकर्ता से मिलेगा
- 24 घंटे के भीतर अपराध के मौके का मुआयना किया जाएगा
- साइट प्लान तैयार कर बेहतर तरीके से जांच करें
- 24 घंटे के भीतर पीड़ित एवं गवाह का बयान दर्ज किया जाएगा
- सभी साक्ष्यों को रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा
- एफआईआर होने के 24 घंटे के भीतर जांच अधिकारी एफआईआर की कॉपी पर पीड़ित के हस्ताक्षर लेगा
- एफआईआर के 24 घंटे के भीतर सब डिवीजन ऑफिसर मौके का मुआयना करेगा और पीड़ित से मिलेगा
- प्रत्येक सप्ताह पीड़ित को उसके केस में हुई जांच का ब्यौरा भी पुलिस द्वारा बताया जाएगा
- एसीपी एवं डीसीपी इस तरह की वारदातों की समीक्षा कर अपराध के तरीकों का विश्लेषण करेंगे और ऐसे गैंग चिन्हित करेंगे
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