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LG के निशाने पर केजरीवाल सरकर, मुख्य सचिव से पूछा, क्लासरूम घोटाले की जांच में क्यों हो रही देरी, पढ़ें पूरा मामला

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Published : Aug 26, 2022, 4:53 PM IST

सरकारी स्कूलों में बनाए गए क्लासरूम के मामले में अब केजरीवाल सरकार की मुश्किलें बढ़ती आ रही हैं. राज्यपाल ने सीवीसी जांच पर कार्रवाई में सतर्कता विभाग ने दाे साल पांच महीने की देरी पर रिपोर्ट मांगी है. Delhi Government Schools

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नई दिल्ली: दिल्ली के सरकारी स्कूलों (Delhi Government Schools ) में नए कमरों और शौचालय के निर्माण में घोटाले की शिकायत पर जांच में देरी को लेकर उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने नाराजगी जताई है. शुक्रवार को उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव नरेश कुमार से दिल्ली सरकार के स्कूलों में सीवीसी (central vigilance commission) जांच पर कार्रवाई में सतर्कता विभाग द्वारा दाे साल पांच महीने की देरी पर रिपोर्ट मांगी है (LG demand report from Chief Secretary). प्राप्त शिकायत की शुरुआती जांच में पाया गया कि 194 स्कूलों में आवश्यक 160 के मुकाबले 1214 शौचालयों का निर्माण किया गया, जिससे 37 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च हुए.

सीवीसी द्वारा सतर्कता विभाग के सचिव को 17 फरवरी 2020 को रिपाेर्ट भेजी गई थी. रिपोर्ट में परियोजनाओं के निष्पादन में घोर अनियमितताएं और प्रक्रियात्मक खामियां पाई गईं थी. इसमें आगे की जांच और कार्रवाई के लिए टिप्पणी मांगी गई थी. उपराज्यपाल ने इस देरी को गंभीरता से लिया है. स्कूलों में नए कमरे के निर्माण और अन्य कार्यों में भ्रष्टाचार की शिकायत बीजेपी ने की थी.

क्या थी अनियमितता की शिकायत

• सीवीसी को 25.07.2019 को दिल्ली सरकार के स्कूलों में अतिरिक्त कक्षा कक्षों के निर्माण में अनियमितताओं और लागत में वृद्धि के संबंध में एक शिकायत प्राप्त हुई थी.
• बेहतरी के नाम पर बिना निविदा बुलाए निर्माण लागत 90 फीसदी तक बढ़ गई.
• दिल्ली सरकार ने बिना टेंडर के 500 करोड़ रुपए की लागत बढ़ाने की मंजूरी दी.
• जीएफआर और सीपीडब्ल्यूडी वर्क्स मैनुअल का खुला उल्लंघन.
• निर्माण की खराब गुणवत्ता और अधूरा कार्य.

सीवीसी जांच रिपोर्ट दिनांक 17.02.2020 के निष्कर्ष

• मूल रूप से प्रस्तावित और स्वीकृत कार्यों के लिए निविदाएं मंगाई गई थीं. लेकिन बाद में प्लिंथ क्षेत्र में वृद्धि आदि के कारण प्रस्तावों के खिलाफ अनुबंध मूल्य प्रदान किया गया, जो 17 फीसद से 90 फीसद तक अलग था.
• लागत 326.25 करोड़ रुपये तक बढ़ गई, जो निविदा की आवंटित राशि से 53% अधिक है.
• इस बढ़ी हुई लागत का उपयोग 6133 कक्षाओं के मुकाबले केवल 4027 कक्षाओं के निर्माण के लिए किया गया था जिनका निर्माण किया जाना था.
• 194 स्कूलों में 37 करोड़ रुपए (लगभग) के अतिरिक्त व्यय के साथ 160 शौचालयों की आवश्यकता के मुकाबले 1214 शौचालयों का निर्माण किया गया.
• दिल्ली सरकार द्वारा शौचालयों की गिनती की गई और उन्हें कक्षाओं के रूप में पेश किया गया.
• 194 स्कूलों में 6133 कक्षाओं की आवश्यकता के बदले 141 स्कूलों में केवल 4027 अतिरिक्त कक्षाओं का निर्माण किया गया था.
• प्रत्येक कक्षा की औसत लागत रु. 33 लाख (लगभग) हुई.
• निरीक्षण के दौरान लोक निर्माण विभाग के 29 रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के दावे के विपरीत केवल 2 रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पाए गए.
• इन परियोजनाओं के लिए स्वीकृत राशि 989.26 करोड़ रुपये थी, सभी निविदाओं का पुरस्कार मूल्य रु 860.63 करोड़, लेकिन वास्तविक खर्च बढ़कर 1315.57 करोड़ रुपये हो गया.
• अतिरिक्त कार्य करने और बेहतरी को लागू करने के लिए कोई नई निविदा नहीं बुलाई गई. ये कार्य मौजूदा ठेकेदारों द्वारा किए गए थे जो अन्य स्कूलों में काम कर रहे थे.
• कार्यों के निष्पादन में गुणवत्ता संबंधी मुद्दों और कई कार्यों को अधूरा छोड़ दिया गया था.


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