नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सेना के अफसरों और जवानों के लिए सोशल मीडिया पर पाबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है. जस्टिस राजीव सहाय लॉ और जस्टिस आशा मेनन की बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई के बाद याचिका खारिज करने का आदेश दिया.
परिवार से मिलने में समस्या
पिछली 14 जुलाई को कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका सेना के एक सेवारत अधिकारी कर्नल पीके चौधरी ने दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि यह नीति असंवैधानिक है और सेना को इसे वापस लेने के लिए कहा जाए. याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता विदेश में रह रहे अपने परिवार के लोगों से बिना सोशल मीडिया के नहीं मिल सकता है.
वह अपने फेसबुक अकाउंट भारतीय सेना के दिशा-निर्देशों के मुताबिक जिम्मेदारी के साथ इस्तेमाल करता है. उसने कभी भी कोई गोपनीय और संवेदनशील सूचना को सोशल मीडिया पर साझा नहीं किया है.
'सेना का दिशानिर्देश मौलिक अधिकारों का उल्लंघन'
याचिका में कहा गया था कि सेना का दिशानिर्देश मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. सेना का आदेश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निजता के अधिकार का हनन है. याचिका में कहा गया था कि संविधान की धारा 33 के मुताबिक सेना के मौलिक अधिकारों पर केवल संसद ही फैसला ले सकती है और सेना संसद नहीं है.
सोशल मीडिया को डिलीट करने का सेना का आदेश संविधान की धारा 21 का उल्लंघन है. एक तरफ सेना सोशल मीडिया के अकाउंट को डिलीट करने का आदेश देती है. वहीं दूसरी तरफ वो सोशल मीडिया पर सैनिकों को सुरक्षित व्यवहार अपनाने पर ट्रेनिंग देती है.