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रेप किसी महिला की आत्मा और शरीर के साथ किया गया सबसे बर्बर अपराध है : दिल्ली हाईकोर्ट

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Published : Feb 14, 2022, 8:57 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि रेप किसी महिला के शरीर और आत्मा के साथ किया गया सबसे बर्बर अपराध है. जस्टिस चंद्रधारी सिंह की बेंच ने 2012 में एक महिला के रेप के तीन आरोपियों को बरी करने और तीन आरोपियों को मिली सजा को बरकरार रखते हुए ये टिप्पणी की.

दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि रेप किसी महिला के शरीर और आत्मा के साथ किया गया सबसे बर्बर अपराध है. जस्टिस चंद्रधारी सिंह की बेंच ने 2012 में एक महिला के रेप के तीन आरोपियों को बरी करने और तीन आरोपियों को मिली सजा को बरकरार रखते हुए ये टिप्पणी की.



यह घटना 18 मई 2012 की है. 19 मई 2012 को पीसीआर को सूचना मिली कि कालिंदी कुंज के पास एक महिला से एक ट्रक में छह लोगों ने रेप किया है. सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और पीड़िता का बयान लिया. पीड़िता ने बताया कि वो वो नजफगढ़ से मदनपुर खादर आकर कूड़ा चुनती है. 18 मई 2012 को पीड़िता ने मदनपुर खादर के जलेबी चौक से नेहरू प्लेस जाने के लिए ग्रामीण सेवा में बैठी. ग्रामीण सेवा को एक सह-आरोपी लकी चला रहा था जबकि दूसरा सह-आरोपी टेहना हेल्पर का काम कर रहा था.

जब महिला नेहरू प्लेस पहुंची तो सभी सवारी नेहरू प्लेस उतर गए. उसके बाद लकी और टेहना पीड़िता को सीएनजी पंप पर ले गए. वहां महिला का परिचय विक्की ऊर्फ विजय और सत्यजीत विश्वास ऊर्फ सत्ते से करवाया. विक्की और सत्ते ने पीड़िता को जबरन एक कार में बैठाया. वे पीड़िता को नेहरू प्लेस में एक सिनेमा हॉल के पास ले गए जहां सत्ते ने पीड़िता का रेप किया.

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उसके बाद पीड़िता के खादर जेजे कालोनी ले जाया गया जहां लक्की विक्कीस, टेहना और सत्ते ने रेप किया. विक्की ने दूसरे सह-आरोपियों उमा शंकर और अमित ऊर्फ सोनू जाट को बुलाया जिन्होंने भी पीड़िता का रेप किया. पुलिस ने पीड़िता के बयान पर 19 मई 2012 को जैतपुर थाने में एफआईआर दर्ज की. इस मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट में 27 गवाहों के बयान दर्ज किए गए.

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि पीड़िता के बयानों में काफी विरोधाभास है और उन बयानों की तस्दीक मेडिकल साक्ष्य भी नहीं कर रहे हैं. इसलिए उसके बयानों को भरोसेमंद नहीं कहा जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि मामले में दो किस्म के आरोपी हैं. एक के खिलाफ मेडिकल साक्ष्य हैं जबकि एक के खिलाफ मेडिकल साक्ष्य हैं.

हाईकोर्ट ने आरोपियों अमित ऊर्फ सोनू जाट, सत्ते, टेहना को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि तीनों आरोपी लंबे समय से जेल में हैं ऐसे अब उन्हें जेल में रखना मुनासिब नहीं होगा. कोर्ट ने विक्की , लकी और उमाशंकर को ट्रायल कोर्ट से मिली सजा को बरकरार रखा.

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