नई दिल्ली : वैवाहिक रेप मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि हर महिला को चाहे वो शादीशुदा हो या गैरशादीशुदा, उसे नहीं कहने का अधिकार है. जस्टिस सी हरिशंकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये टिप्पणी की.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि विवाहित महिला के साथ भेदभाव क्यों ? क्या विवाहित महिला की गरिमा भंग नहीं होती है और अविवाहित महिला की गरिमा को ठेस पहुंचती है. कोर्ट ने कहा कि महिला चाहे शादीशुदा हो या गैरशादीशुदा उसे नहीं कहने का हक है.
हाई कोर्ट ने दुनिया के दूसरे देशों का भी उदाहरण दिया. कोर्ट ने कहा कि दुनिया के जिन 50 देशों ने वैवाहिक रेप को अपराध करार दिया है, क्या उन देशों ने गलत किया है ? कोर्ट ने कहा कि यह दलील स्वीकार करना मुश्किल है कि महिलाओं के पास दूसरे कानूनी विकल्प मौजूद हैं. कोर्ट ने कहा कि IPC की धारा 375 के अपवाद में वैवाहिक रेप को अपराध करार देने में बाधा लगाई गई है इसलिए इसे अपराध करार देने का परीक्षण संविधान की धारा 14 और 21 के तहत ही किया जा सकता है. बता दें कि IPC की धारा 375 के अपवाद में कहा गया है कि पत्नी के साथ बनाया गया यौन संबंध अपराध नहीं है अगर पत्नी 15 वर्ष से कम उम्र की हो.
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याचिका NGO आरआईटी फाउंडेशन, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति समेत दो और लोगों ने दायर की है. याचिका में IPC की धारा 375 के अपवाद को निरस्त करने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि यह अपवाद विवाहित महिलाओं के साथ उनके पतियों की ओर से की गई यौन प्रताड़ना की खुली छूट देता है.
केंद्र सरकार ने 29 अगस्त 2018 को हाई कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा था कि वैवाहिक रेप को अपराध की श्रेणी में शामिल करने से शादी जैसी संस्था अस्थिर हो जाएगी और ये पतियों को प्रताड़ित करने का एक जरिया बन जाएगा. केंद्र ने कहा था कि पति और पत्नी के बीच यौन संबंधों के प्रमाण बहुत दिनों तक नहीं रह पाते. केंद्र ने कहा था कि भारत में अशिक्षा, महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त न होना और समाज की मानसिकता की वजह से वैवाहिक रेप को अपराध की श्रेणी में नहीं रख सकते. केंद्र ने कहा था कि इस मामले में राज्यों को भी पक्षकार बनाया जाए ताकि उनका पक्ष जाना जा सके.
केंद्र ने कहा था कि अगर किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ किए गए किसी भी यौन कार्य को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा तो इस मामले में फैसले एक जगह आकर सिमट जाएंगे और वो होगी पत्नी. इसमें कोर्ट किन साक्ष्यों पर भरोसा करेगी ये भी एक बड़ा सवाल होगा.