नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि कोरोना टेस्ट किट न्यूनतम दर पर जल्द मुहैया कराया जाना चाहिए, ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण पर नियंत्रण पाया जा सके. जस्टिस नाजमी वजीरी ने दो निजी कंपनियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया.
लोगों की सुरक्षा सर्वोपरि
कोर्ट ने कहा कि देश में अभूतपूर्व चिकित्सा संकट आ गया है. देश की अर्थव्यवस्था ठहर सी गई है. ऐसे में लोगों की सुरक्षा को ध्यान के ऊपर निजी हित आड़े नहीं आने चाहिए. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पक्षकार तीनों निजी कंपनियों को लोगों के हितों का ध्यान रखते हुए उसे चार सौ रुपये प्रति किट बेचा जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि उनका ये आदेश आईसीएमआर और तमिलनाडु सरकार को छह सौ रुपये प्रति किट देने से नहीं रोकता है.
तीन कंपनियों के बीच करार हुआ था
दरअसल, तीन निजी कंपनियों ने एक करार किया था, जिसके तहत चीन से दस लाख कोरोना टेट का किट आयात कर छह सौ रुपये प्रति किट के दर से वितरित करना था. छह सौ रुपये प्रति किट का दर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने स्वीकृत किया था. रेयर मेटाबोलिक्स लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड और आर्क फार्मास्युटिकल्स ने मैट्रिक्स लैब्स से करार किया था.
बकाया रकम देने तक किट नहीं दे रही थी कंपनी
रेयर मेटाबोलिक्स लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड और आर्क फार्मास्युटिकल्स ने याचिका दायर कर मैट्रिक्स लैब्स से सवा सात लाख कोरोना टेस्ट किट दिलाये जाने की मांग की थी. मैट्रिक्स लैब्स ने कहा था कि जब तक उसका पूरा बकाया रकम नहीं मिल जाएगा, तब तक वे सवा सात लाख किट नहीं देंगे. इन सवा सात लाख किट में से पांच लाख किट आर्क फार्मास्युटिकल्स की ओर से आईसीएमआर को तीस करोड़ रुपये में दिए जाने थे.
दस लाख किट का दिया गया था ऑर्डर
रेयर मेटाबोलिक्स लाईफ साइंसेज प्राईवेट लिमिटेड और अरक फार्मास्युटिकल्स ने याचिका में कहा था कि शुरु में दस लाख किट का आर्डर दिया गया था जिसमें पांच लाख कि आईसीएमआर को दिया जाना था. पांच लाख में से पौने तीन लाख किट आईसीएमआर को दिए जा चुके हैं, लेकिन मैट्रिक्स लैब्स ने कहा कि वो बकाया सवा दो लाख किट तभी देगा जब उसके पूरे पैसे का भुगतान हो जाएगा.
भारत आते ही किट सौंपने का आदेश
सुनवाई के दौरान वकील जयंत मेहता और अंशुमान साहनी ने कोर्ट को बताया कि मैट्रिक्स से हुए करार के मुताबिक पांच लाख किट के लिए उसे पौने तेरह करोड़ रुपये दे दिए गए थे और बाकी सवा आठ करोड़ रुपये आईसीएमआर से मिलने के बाद दिए जाने थे. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि इस वैश्विक महामारी को देखते हुए बाकी सवा दो लाख किट उनके भारत में आते ही आईसीएमआर को तुरंत सौंपे जाएं. आईसीएमआर जैसे ही इनका भुगतान कर देगा वो रकम 24 घंटे के अंदर मैट्रिक्स लैब्स को दे दी जाए. कोर्ट ने कहा कि दस लाख किट में बाकी बचे पांच लाख किट में से पचास हजार किट तमिलनाडु को दे दिए जाएं. उसके बाद बाकी साढ़े चार लाख किट को चार सौ रुपये प्रति किट किसी सरकार या निजी एजेंसी को उपलब्ध करा दिया जाए.