नई दिल्ली: उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कोरोना के दौर में हम 12वीं कक्षा के बच्चों का भविष्य कैसे तय करें, इसे लेकर केंद्रीय रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में आज एक बैठक हुई. इस बैठक में केंद्रीय शिक्षा मंत्री, कई राज्यों के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मौजूद रहे. सभी लोग मान रहे हैं कि अभी के समय में एक अभूतपूर्व संकट है और इसमें परीक्षा लेना आसान काम नहीं है.
'केंद्र ने परीक्षा को लेकर दिए हैं दो प्रस्ताव'
सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने दो प्रस्ताव दिए. पहला प्रस्ताव था कि 12वीं के बच्चों की परीक्षा पहले की तरह लें, लेकिन कुछ चुने हुए विषयों की ही परीक्षा हो. जैसे 200 विषयों में से 20 अहम विषय की परीक्षा लें और उन्हीं के आधार पर बाकी विषय के भी मार्क तय हो जाएं. दूसरा प्रस्ताव यह था कि परीक्षा का पैटर्न थोड़ा बदला जाए. स्कूल में ही परीक्षा हो, ऑब्जेक्टिव सवाल आए, 3 घंटे की जगह डेढ़ घंटे की परीक्षा हो और कॉपी चेक करने का काम भी स्कूल के अंदर ही हो.
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'कल ली थी टीचर्स-प्रिंसिपल्स से राय'
मनीष सिसोदिया ने बताया कि इस दूसरे प्रस्ताव में यह भी बात थी कि बच्चे अपने सब्जेक्ट चुन लें और किन्ही तीन-चार विषयों के पेपर दें. सिसोदिया ने कहा कि कल मैंने दिल्ली के बहुत सारे सरकारी और प्राइवेट स्कूल के टीचर और प्रिंसिपल के साथ बात की थी. उसके आधार पर दिल्ली की तरफ से 12वीं कक्षा के बच्चों के बारे में सरकारों को क्या कदम उठाने चाहिए इस पर राय रखी, क्योंकि बात केवल बोर्ड की परीक्षा की नहीं है बात इसके आगे के एंट्रेंस एग्जाम, सेमेस्टर एग्जाम और यूनिवर्सिटी एग्जाम भी हैं.
'हमें परीक्षा लेने का शौक पूरा नहीं करना'
मनीष सिसोदिया ने कहा कि इस वक्त सभी बच्चे, उनके अभिभावक और टीचर खासतौर पर केंद्र सरकार की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं. यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब रोजाना ढाई लाख नए संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. हमारे सामने तीसरी लहर की बात भी सामने आ रही है, जिसमें आशंका है कि बच्चों को सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है. ऐसे में दिल्ली सरकार का मानना है कि बच्चों की सेहत और सुरक्षा से खिलवाड़ करके हमको परीक्षा पूरा करने का शौक पूरा नहीं करना चाहिए.
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'हिस्टोरिकल रिफरेंस पर करें मूल्यांकन'
सिसोदिया ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं या शिक्षा व्यवस्था की अपनी अलग मजबूरी और पाबंदियां हैं, जिसमें परीक्षा होनी चाहिए यह तय होता है. लेकिन दिल्ली सरकार ने आज केंद्र सरकार को कह दिया है कि हम किसी भी तरह की परीक्षा करवाने के पक्ष में नहीं हैं. हमारा मानना है कि हिस्टोरिकल रिफरेंस के आधार पर बच्चे का मूल्यांकन करें और उसको 12वीं की परीक्षा में उत्तीर्ण करें. अगर कोई बच्चा पास नहीं होता है, तो जैसा हमने दसवीं में उसको ऑप्शन दिया, समय आने पर हम उसकी परीक्षा ली जाए.
'टीचर्स-बच्चों के लिए लाएं 3 करोड़ वैक्सीन'
मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमने केंद्र से कहा है कि एक ही समाधान है कि हम बच्चों का टीकाकरण करवाएं. देशभर में डेढ़ करोड़ बच्चे 12वीं में हैं. आज देश में वैक्सीन उपलब्ध है, जो युवाओं के लिए कारगर बताई जा रही है, विदेशों में भी वैक्सीन उपलब्ध है, जो 12 से 18 साल के बच्चों के लिए कारगर घोषित हो चुकी है. इसलिए केंद्र सरकार से निवेदन है कि डेढ़ करोड़ बच्चों के लिए और करीब डेढ़ करोड़ टीचर्स के लिए कुल 3 करोड़ वैक्सीन लेकर आएं और इन्हें लगाएं.
'केंद्र निभाए जिम्मेदारी, फाइजर से करें बात'
फाइजर वैक्सीन को लेकर मनीष सिसोदिया ने कहा कि उनसे हमने भी संपर्क किया था. उन्होंने कहा कि हमारे पास डोज़ तो हैं, लेकिन हम केंद्र सरकार से बात कर रहे हैं. सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार यह जिम्मेदारी निभाए और फाइजर से बात करके देश के डेढ़ करोड़ बच्चों के लिए वैक्सीन लेकर आए. उन्होंने कहा कि अगर यह वैक्सीन नहीं मिलती है, तो देश की जो वैक्सीन 18 साल से ज्यादा उम्र वालों के लिए उप्लब्ध है, वो लगाई जाए.
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'हेल्थ एक्सपर्ट्स से राय ले केंद्र सरकार'
बच्चों से जुड़े आंकड़े देते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि 12वीं के कुल बच्चों में से 20 से 25 फ़ीसदी 18 साल के हो चुके हैं. करीब 70 फीसदी बच्चे ऐसे हैं, जो 17-18 साल के बीच के हैं. यानी लगभग 95 फ़ीसदी बच्चे 17-18 साल की उम्र के हैं. हमने केंद्र सरकार से अपील की है कि इसे लेकर हेल्थ एक्सपर्ट और वैक्सीन निर्माता कम्पनियों से बात करें कि क्या देश में जो 18 साल के युवा के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, वो 17 साल के युवा के लिए कारगर है, उन्हें लगाई जा सकती है. Conclusion:'तो दो दिन में लगा देंगे बच्चों को वैक्सीन'
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स्कूलों को उपलब्ध करा दें वैक्सीन
सिसोदिया ने कहा कि अगर 17.5 साल के बच्चों को यह वैक्सीन लगवाई जा सकती है, तो हमें बाकी सारा टीकाकरण कार्यक्रम रोककर इन बच्चों को वैक्सीन लगवानी चाहिए. वैक्सीन स्कूलों को उपलब्ध करा दें, वे आसपास के डॉक्टर और बाकी स्टाफ को लेकर वैक्सीन लगवा लेंगे. उन्होंने कहा कि अगर हमें आज मंजूरी मिलने पर साढ़े 17 साल के बच्चों के लिए वैक्सीन मिल जाए, तो 2 दिन में दिल्ली के 12वीं क्लास के सभी बच्चों को वैक्सीन लगवा देंगे.